मेरा नाम बिविन् सोन्थालिया है। मैं क्राइश्ट विश्वविधालय में बि-काम(होनर्स) की पढाई पढ रहा हूं।

जन्म संपादित करें

मेरा जन्म बंगाल के मालदा जिला मे १० सितम्बर १९९७ को हुआ था। जब मैं सात साल का था, तब हि से मे छात्रावास मे रहे रहा हू। १५ साल की उम्र में मैनें अपना मैट्रिक दिया। दसवीं कक्षा मैं मैनें ८०% प्रतिशत प्रापत की। इतने अच्छे अंक आने के बाद मैं बेंगलूर के सबसे अच्छे विधालय में दाखिला लिया जिसका नाम श्री भगवान महावीर जैन कालेज है। उस कालेज में २ साल की पढाई के बाद २०१५ में पदवी पूर्व परीक्षा देकर ८५% अंक से पास हुआ। इसके बाद क्राइस्त कालेज में मैने दाखिला लिया।

शौक संपादित करें

मेरा सबसे पसंदीदा खेल टेबल टेनिस,तैराकी और लान टेनिस है। मैं बिलियाड्स और बोव्लि का भी खिलाडी हूँ। मेरे पिताजी एक व्यवसायी हे। उन्होने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। उन्होने मुझे कठिनाइयों भरा जीवन दिखाया और मुझे अनुशासित तरीके से पाला है। इसिलिये आज मैं भी अनुशासित हूँ और हर काम अनुशासन से करता हूँ। मैं भी अपने पिताजी की तरह एक संघर्ष व्यवसायी बना चाहाता हूँ।

  इसके अलावा मैने टेबल टेनिस में राज्य टूर्नामेंट खेलने के लिए गया था और मैं इंटर स्कूल तैराकी प्रतियोगिता के लिए भी गए था। मैं अक्शय कुमार का प्रशन्सक हूं। ज्यादातर उसीके चलनचित्र देखता हूं।इसके अलावा मुझे किताबें पढ्नें का शौक है। मैने चेतन भगत की सारी किताबें पढी हैं। इसके अलावा मैं सुबह सुबह व्यायाम भी करता हूं जिससे मैं तरो ताज़ा हो जाता हूं। मुझ में आलस्य बिलकुल भी नहीं है, हर काम पलक झपकते कर लेता हूं। कुल मिलाकर इन सारी चीज़ों का शौकीन हूं मैं। भाग दौड में मैं कमज़ोर हूं, और ज़्यादा देर तक मैं अकेला नहीं बैठ सकता। ये मेरी कमियाँ हैं। 

उद्देश्य संपादित करें

  लक्ष्यहीन जीवन हमे कही नहीं ले जाता है। तो, एक आदमी अपने जीवन के उद्देश्य को ठीक करना चाहिए । उन्होंने कहा कि इसे साकार करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन वह एक मजबूत दृढ़ संकल्प है, तो वह सफलता हासिल करना होगा।मेरा उद्देश्य मानवता की सेवा के लिए है पवित्र पुस्तक मानवता की सेवा करने के लिए बार-बार हमें हिदायत। हमारी पवित्र पैगंबर मौखिक रूप से हमें निर्देश दिया गया है न केवल लेकिन व्यावहारिक रूप से मानवता की सेवा के महत्व को हमें दिखाया है । उनकी पवित्र जीवन वह उनकी जरूरतों को पूरा करने और उन्हें करने के लिए एक छोटी सी खुशी लाने के लिए दूसरों को सुख देने के लिए अपने सुख , अपनी जरूरतों और उसका लाभ बलिदान किया था , जहां इस तरह की घटनाओं से भरा है।


  मैं एक सकरात्मक इन्सान हूँँ। हमेशा सकरात्मक सोचता हूँ। मेरे पिताजी ने अपने आशावादी विचारों से मेरे मुघ्द मन को भर दिया है। मैने कभी भी हार नहीं माना। हमेशा दूसरों का भला चाहा। किसी से दुशमनी भी नहीं की। हमेशा ईमानदारी से काम किया।
  आगे जाकर मेरा लक्ष्य यही है कि मैं एक बहुत बडा व्यापारी बनूँ। अपने पिताजी का कारखाना को और बढाऊँ और उनका नाम रोशन करूँ। अपने माता पिता का सेवा करना मैं अपना परमोधर्म मानता हूं। अपने परिवार को बिना किसी कठिनाई के रख्नना मेरे जीवन का उद्देश्य है सात ही सात् हम जानते हैं कि मानवता हमारे हिस्से पर एक बलिदान है सेवा करने के लिए नहीं सोचना चाहिए।समाज सेवा न केवल दयालुता का कार्य है , लेकिन यह एक सामाजिक दायित्व है, एक धार्मिक कर्तव्य और ऋण के भुगतान के लिए है। दूसरों के लिए पर्याप्त हैं करने के लिए समाज सेवा के लिए अवसर अच्छा करने के लिए ।