सदस्य:Bhavananahar/प्रयोगपृष्ठ
ऑङ्कोवाय़रस, (अन्य वर्तनी ऑङ्कोवाइरस) एक विषाणु है जिसके द्वारा कैंसर हो सकता है। हेपेटाइटस बी और हेपेटाइटस सी दो मुख्य विशाणु है जो मानव कैंसर के साथ जुडे हुए है। तंबाकू उपयोग के बाद कैंसर का सबसे आम कारण विशाणु है।
इतिहास
संपादित करेंसन १९०८ में ऑलफ़ बैंग और विल्हेल्म एलरमेन के प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हुआ कि कैंसर एक वाइरस से भी हो सकता है। इन्होने पहले यह बताया कि कैंसर कोशिका मुक्त अर्क से संचारित हो सकता है। बाद में सन १९१०-१९११ में पेय़ेटन राय़ुस के द्वारा इस सिद्धन्त कि पुष्टि की गई। इन्होने मुर्गियों में ठोस ट्यूमर की पुष्टि भी की। सन १९५० के शुरुआत में यह पता चला कि विशाणु कोशिकाओं से जीन और आनुवंशिक सामग्री को निकाला और जोड़ा भी जा सकता है। यह सुझाव दिया गया था कि इन नए जीनस को अगर कोशिकाओं में डाला जाए तो वे कैंसर का कारण बन सकता है। बहुत सारे वायरल ऑङ्कोजीन की खोज की गइ और कैंसर पैदा करने के लिए पहचान भी की गइ। हेपेटाइटस बी और हेपेटाइटस सी दो मुख्य विशाणु है जो मानव कैंसर के साथ जुडे हुए है। तंबाकू उपयोग के बाद कैंसर का सबसे आम कारण विशाणु है।
प्रतिघात की प्रक्रिया
संपादित करेंदुनिया भर मे लगभग २० प्रतिशत कैंसर विषाणु के माध्यम से फैलते है। सारे विषाणु कैंसर नही फैलाते है। विषाणु डीएनए और आरएनए है जो प्रोटिन की परत मे लिपटे हुए होते है। पर विषाणु अपने दम पर नही जी सकते है। वे एक मेज़बान कोशिका पर आक्रमण करने के लिए मजबुर होते है, ताकी वे जी सके और प्रतिरूप प्रस्तुत कर सके। विषाणु के माध्यम से कैंसर होने के तीन प्रकार है :
- कुछ विषाणु जीर्ण सुजन का कारन हो सकते है। परिणामित सुजन, कोशिकाओ को तेज़ी से विभाजित करती है। तेज़ कोशिका विभाजन से आनुवंशिक सामग्री मे बदलाव हो सकते है जो कैंसर मे परिणामित होती है।
- कुछ विषाणु सीधा डीएनए को क्षति करती है जो कैंसर का रूप अवश्य लेता है।
- कुछ विषाणु हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली को क्षति कर देती है, ताकी वो कैंसर के खिलाफ लडने की ताक्त को कम कर देता है।
आज तक, अनेक वायरल ओंकोजीन की खोज की गइ और कैंसर पैदा करने के लिए पहचान भी की गइ। हेपेटाइटस बी और हेपेटाइटस सी दो मुख्य विशाणु है जो मानव कैंसर के साथ जुडे हुए है। तंबाकू उपयोग के बाद कैंसर का सबसे आम कारण विशाणु है। विशाणु के द्वारा हुए कैंसर को दो भाग में बांटा जा सकता है। पहला, तीव्रता से बदलने वाले विषाणु और दुसरा धीरे-धीरे बदलने वाले विषाणु।
तीव्रता से बदलने वाले विषाणुओ के विषाणु कण, अपने साथ एक जीन ले जाते जिसे हम ऑङ्कोजीन केहते है। जैसे ही ऑङ्कोजीन विषाणु संक्रमित कोशिका में व्यकत होता है, वो तब्दील हो जाता है। इसके विप्रीत, धीरे-धीरे बदलने वाले विषाणुओ में विषाणु जीनोम डाला जाता है। जब हम धीरे-धीरे बदलने वाले विषाणु की तुलना तीव्रता से बदलने वाले विषाणु से करते है, तो हमे यह पता चला कि धीरे-धीरे बदलने वाले विषाणु बहुत विलंभ के बाद कैंसर पैदा करता है। यकृत कैंसर सबसे आम कैंसर है।
इसके दो कारण हो सकते है, पहला-हेपेटाइटिस विषाणु जैसे हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, जीर्ण वायरल संक्रमण पैदा करता है जो यकृत कैंसर का कारण बन सकता है और दूसरा है शराब। हेपेटाइटिस संचरण संभव है, इस वजह से यह कैंसर जल्दी से फैलता है। कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र में बढोती के कारण, आज एसे कैंसर रोकने के लिए टीके बनाए गये है। हेपेटाइटिस बी का टीका, पहला टीका है जो कैंसर को रोकने के लिए बनाया गया था।
ऑङ्कोवाय़रस के भेद
संपादित करेंऑङ्कोवाय़रस जो ज्ञात है, वे है:
- हेपेटाइटिस बी
यह विषाणु यकृत कैंसर फैलाता है। यह विषाणु बेहद संक्रामक होते है। यह विषाणु रक्त,वीर्य और अन्य शारीरिक तरल पदार्थ के संचरण से फैलता है। अनावरण के आम साधन है, असुरक्षित यौन संबंध, मां से बच्चे को जन्म के दोरान और नस्सो की सुइ बांटना। इस विषाणु को रोकने के लिए टीको की खोज की गइ है।
- हेपेटाइटिस सी
यह ऑङ्कोवाय़रस यकृत कैंसर फैलाता है। सन १९८० मे यह नोन-अ-नोन बी हेपेटाइटिस के नाम से जाना जाता था। शुरु मे इस संक्रमण के लक्षन नज़र नही आते। इस विषाणु से जीर्ण संक्रमण होता है। प्रतिरक्षा प्रणाली इस विषाणु से लगातार लडती है, जिस वजह से फाइब्रोसिस विकासित होता है जो अंततः सिरोसिस मे बदल जाता है। यह जीर्ण सूजन फलस्वरुप यकृत कैंसर पैदा करता है।
- एचटीएलवी-१
यह एक रिट्रोविषाणु है। यह ऑङ्कोवाय़रस ल्यूकेमिया और लिंफोमा का कैंसर फैलाता है।
- एचपीवी
यह ऑङ्कोवाय़रस ग्रीवा,गुदा और जनन का कैंसर फैलाता है। यह विषाणु यौन संचारण से होता है। इस विषाणु के खिलाफ टिके है जो ९ साल के उमर के बच्चो से २६ साल के लोगो को दिये जा सकते है। एचपीवी के १०० से भी ज़्यादा उपभेद है जिनमे से सिर्फ ३० उपभेद कैंसर फैलाते है। एचपीवी के दो उपभेद एचपीवी १६ और एचपीवी १८ है जो कैंसर सबसे ज़्यादा फैलाते है॥
- एचएचवी-८
यह ऑङ्कोवाय़रस कपोसी सरकोमा का कैंसर फैलाता है। यह केएसएचवी -कपोसी सरकोमा हेरपेस विषाणु के नाम से भी जाना जाता है।
- मेरकेल कोशिका
यह ऑङ्कोवाय़रस त्वचा का कैंसर फैलाता है। यह विषाणु बेहद आम है,परन्तु इस से होने वाला कैंसर बहुत ही दुर्लभ है।
- ईबीवी
ईबीवी- एपस्टीन बर विषाणु। यह ऑङ्कोवाय़रस लिंफोमा का कैंसर फैलाता है।