ग्राम- जैरपी, थाना न० ५४२ थाना-कोल्हान <<<<<<<<<<<>>>>>>>>>>

लेखन संर्दभ और ऐतिहासिक पहलु:-ग्राम जैरपी सरकारी अमिलेख में दिनांक १९ जनवरी १९१७ से प्रभाव में आया इससे पुर्व यह बिकुली गाँव का टोला में शामिल था मौजा बिकुली क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से गांव के लिए बहुत बड़ा ईलाका हो जाता है जिसके कारण उस क्षेत्र में निवास कर रहे लोगों को एक अलग गाँव का बुनियाद सौंफा गया है बिकुली गाँव का जाहेरा पुजा स्थल जैरपी क्षेत्र में अवस्थित था जिसके कारण उस क्षेत्र में निवास कर रहे लोगों को आपना गाँव का अधिकार से लैंस बनाया गया है। जिसके अन्तर्गत दो टोली बासा हुआ था (१) जैरपी दुसरा काटेसाई इसी को आधार बनाते हुए दिनांक १९ जनवरी १९१७ से सरकारी अभिलेख में गाँव के रुप में परिवृत्त हुआ तब से यह गाँव अपने प्रगति की ओर अग्रसरित है,१९-०१-१९१७ का अभिलेख अनुसार मौजा जैरपी में निवास करने वाले परिवार की सूची इस प्रकार से रखा गया है:-

किली परिवार सं०


सिंकु १६ तुबिड ०२ केड़ाई ०१ ग्वाला(गौड़) ०१


कुल परिवार सं०-२०


मौजा का मुख्य जिम्मेदारी का पद को 'मुण्डा' कहलाया जाता है और मौजा के अर्न्तगत पीढ़ आता है जहाँ के मुख्य जिम्मेदारी का पद को 'माड़की' कहलाया जाता है जिस पद में वही व्यक्ति बैठ सकता है जिसके लिए वह क्षेत्र विद्यमान है माड़की और मुण्डा कोई व्यक्ति नही यह जिम्मेदारी का पद होता है जिसके अर्न्तगत यह गाँव जैरपी अवस्थित है मुलत: गाँव में मुण्डा होता है मौजा थाना न० -५४२ पीढ़ ईस्टेट न०-५९७ और कोल्हान ईस्टेट न०-६५२ के अर्न्तगत गाँव आता है जहाँ गाँव में वीर महापुरुषों का निवास सादियों पुर्व से है आज भी गाँव में कही लड़ाकू योद्धा शामिल है जो अन्याय के खिलाफ आपना चुनौति रखता है जिसको महापुरुष की श्रेणी पर रखा जा सकता है गाँव में कही ऐसे लोग भी मिलेगा जो अवसर वाद का राजनीति कर गाँव की उपलब्धी को दिशाहीन करने का प्रयास रखता है जिसका भी गाँव में सुची प्राप्त हो जाएगा अखिर गाँव में न्याय और विकास का सकरात्माक उपलब्धी क्या है इसे पहचान किये बगैर गाँव की उपलब्धी गणना करना कहाँ का सभ्यता है जिसके बदौलत गाँव के लोगों को बहारी हुकूमत द्वारा प्रभावित करने का प्रयास रखा जाता है जिस पर जबाब है कि वो स्वत: अपने प्रदेश को चला जाए क्योंकि गाँव अर्थात मौजा हमारा है हमारे पुर्वजो द्वारा अथक प्रयास और कठिन चुनौतियों का परिणाम है जहाँ हमारे लिए गाँव में मुण्डा पहला व्यक्ति है जो हकीम का आदेश से आपना हुकूम को जारी करेगा कि गाँव में पलाना काम को किया जाना है जिसमें सम्बन्धित रैयतों का मुल भुमिका होगा गाँव है।