DRx. Yogesh Kumar
हिजामा चिकित्सा : इलाज में आमतौर पर खून चढ़ाया जाता है, लेकिन हिजामा थेरेपी में शरीर से खून निकालकर बीमारी दूर की जाती है। सालों पुरानी इस पद्धति को कपिंग थेरेपी भी कहते हैं। माइग्रेन, जॉइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल डिस्क, पैरों में सूजन, सुन्न होना और झनझनाहट जैसी बीमारी का इलाज मिनटों में संभव है। इस इलाज में दवा की जरुरत नहीं होती है। सालों पुरानी इस पद्धति से लोग अनजान हैं, यहां तक कि डॉक्टर भी इसके बारे में कम जानते हैं। लेकिन दिल्ली में इस पद्धति के जरिए इलाज किया जाता है और देश भर के यूनानी डॉक्टरों को इसकी ट्रेनिंग भी दी जाती है। यूनानी डॉक्टरों का कहना है कि कई बीमारियों में यह रामबाण है। क्या है हिजामा थेरेपी आयुष मंत्रालय के अनुसंधान अधिकारी डॉ सैयद अहमद खान ने कहा कि यह थेरेपी काफी पुरानी है। हम इसे मॉडीफाय कर रहे हैं और लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इसकी थ्योरी यह है कि शरीर में कई बीमारी की वजह खून का असंतुलन होता है। हम कपिंग थेरेपी के जरिए इस ब्लड को बैलेंस कर देते हैं और बीमारी ठीक हो जाती है और पेशंट को जल्द आराम मिल जाता है। इलाज कैसे सबसे पहले मरीज का जरूरी ब्लड टेस्ट किया जाता है और उससे संबंधित बीमारी का एक्स रे कराया जाता है। अगर किसी को माइग्रेन है तो ब्लड जांच के अलावा पारा नेजल साइट एक्सरे करते हैं। इससे माइग्रेन का इफेक्ट देखा जाता है और डॉक्टर इस रिपोर्ट के आधार पर तय करते हैं कि बॉडी में कपिंग कहां की जाए। कपिंग के लिए एनाटॉमी और फीजियोलॉजी की समझ होनी चाहिए। बीमारी के अनुसार गर्दन या गर्दन के नीचे या पीठ में कपिंग की जाती है। कपिंग के लिए शीशे का कप यूज करके वैक्यूम पैदा किया जाता है ताकि कप बॉडी से चिपक जाए। अब इसके लिए मशीन का यूज किया जाने लगा है। जिस पॉइंट पर बीमारी की पहचान होती है, वहीं पर कपिंग की जाती है। कपिंग करने के तीन से पांच मिनट बाद असंतुलित खून जमा हो जाता है। जमा हुए खून को निकाल दिया जाता है। अगर बीमारी शुरुआती हो तो दो सीटिंग में बीमारी खत्म हो जाती है, वरना तीन-चार सीटिंग की जरुरत होती है।
काफी पुरानी पद्धति डॉ खान ने बताया कि हिजामा थेरेपी प्राकृतिक चिकित्सा की सबसे पुरानी पद्घति है। समय के साथ-साथ हम इस पद्घति को भूलते चले गए। अब समय आ गया है कि फिर से हिजामा थेरेपी को जिंदा किया जाए। हाल ही में जामिया नगर के यूनानी रिसर्च सेंटर में 10 दिन तक हिजामा थेरेपी की ट्रेनिंग दी गई। डॉ अब्दुल कवि फारूकी ने कहा कि जोड़ों के दर्द, हृदय रोग, डायबिटीज, सिर दर्द, चर्म रोग, ब्लड प्रेशर, रीढ़ की हड्डी, नसों से जुड़ी बीमारियों में होने वाले दर्द से 70 पर्सेंट तक राहत मिलती है।