DevpriyaMishra
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महिलाओं ने असाधारण साहस, सामूहिक संगठन और वैचारिक दृढ़ता का परिचय दिया। वे न केवल घरेलू दायरे से बाहर निकलकर प्रत्यक्ष राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हुईं, बल्कि अपने समय के सामाजिक और सांस्कृतिक बंधनों को तोड़कर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। महिलाओं ने सत्याग्रह, विदेशी वस्त्र बहिष्कार, असहयोग आंदोलन और अन्य राष्ट्रवादी आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के आरंभिक दौर में महिलाओं की सक्रियता अपेक्षाकृत सीमित थी, लेकिन 19वीं शताब्दी के अंतिम चरण और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में महिलाओं ने शिक्षण, लेखन, एवं सामाजिक सुधार आंदोलनों के माध्यम से राष्ट्रवादी चेतना का प्रसार किया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति तक, महिलाओं ने अपनी क्षमता का लोहा मनवाया और कई क्षेत्रों में नए प्रतिमान स्थापित किए।
प्रमुख भारतीय महिला स्वतंत्रता सेनानी
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें]
रानी लक्ष्मीबाई
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई (1828–1858) ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय वीरता दिखाई। वे ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष में एक प्रतीक स्वरूप बनीं और उनकी कथा ने आने वाली पीढ़ियों की महिलाओं को प्रेरित किया।
बेगम हज़रत महल
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] बेगम हज़रत महल (19वीं शताब्दी) ने अवध क्षेत्र में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया और वे अपने संगठन कौशल एवं नेतृत्व क्षमता के लिए जानी गईं।
सरोजिनी नायडू
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] सरोजिनी नायडू (1879–1949) एक कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं। उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और महिला अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया।
कस्तूरबा गांधी
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] कस्तूरबा गांधी (1869–1944), महात्मा गांधी की पत्नी होने के साथ-साथ सत्याग्रह आंदोलनों में महिलाओं की भागीदारी का एक मजबूत स्तंभ थीं। उन्होंने ग्रामीण महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से स्वदेशी और खादी के प्रसार में योगदान दिया।
कमला नेहरू
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] कमला नेहरू (1899–1936), पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी, स्वतन्त्रता संग्राम में महिलाओं की सहभागिता के प्रति समर्पित थीं। उन्होंने स्वदेशी वस्त्रों और शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना जगाई।
संगठन, आंदोलन एवं रणनीतियाँ
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें]
महिला संगठनों की भूमिका
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अनेक महिला संगठन उभरे, जिन्होंने महिलाओं को एकजुट किया और उन्हें राजनीतिक एवं सामाजिक प्रश्नों पर संगठित संघर्ष के लिए प्रेरित किया। अखिल भारतीय महिला सम्मेलन (AIWC), भारतीय महिला संघ (IWU), तथा अन्य संगठनों ने शिक्षा, मताधिकार, आर्थिक स्वावलंबन और सामाजिक न्याय के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
असहयोग, सत्याग्रह और महिला भागीदारी
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] महिलाओं ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया, खादी को अपनाया और नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलनों में सक्रियता से भाग लिया। इससे स्वतंत्रता आंदोलन को एक व्यापक जनाधार प्राप्त हुआ और महिलाओं की राजनीतिक जागरूकता भी बढ़ी।
क्रांतिकारी आंदोलन में महिलाओं की भूमिका
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] यद्यपि अधिकांश महिलाएँ अहिंसक आंदोलनों से जुड़ी थीं, कुछ महिलाओं ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भी हिस्सा लिया। उन्होंने गुप्त पत्राचार, शस्त्र आपूर्ति और सूचनाओं के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता के पश्चात प्रभाव
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद महिला सहभागिता ने भारत के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में नई राहें खोलीं। भारत के संवैधानिक ढांचे में महिलाओं को समानता, मताधिकार और मूल अधिकारों की गारंटी मिली। इस प्रकार स्वतंत्रता आंदोलन ने भारतीय महिलाओं को अपनी क्षमता पहचानने और अपने अधिकारों के लिए जागरूक होने का एक व्यापक आधार प्रदान किया।
चित्र दीर्घा
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] (नीचे दिए गए चित्र विकिमीडिया कॉमन्स से उपलब्ध हैं और इन्हें निःशुल्क उपयोग किया जा सकता है।)
इन्हें भी देखें
संपादित करें[स्रोत सम्पादित करें] • भारत का स्वतंत्रता आंदोलन • महात्मा गांधी • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- ^ थापर-ब्योर्कर्ट, सुरूचि (2006), Women in the Indian National Movement: Unseen Faces and Unheard Voices, सबाल्टर्न स्टडीज प्रकाशन
- ^ सिंह, लीलामणि (1990), The Role of Women in the Indian Freedom Struggle (1857-1947), ओरिएंट ब्लैक्स्वान
- ^ गुप्ता, अरुण (2012), 1857 की क्रांति में महिलाओं की भूमिका, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास
- ^ हुसैन, सैयद (2005), History of Avadh and Revolt of 1857, अवध शोध संस्थान
- ^ नायडू, सरोजिनी (1917), Speeches and Writings of Sarojini Naidu, लोक लेखागार
- ^ प्रकाश, शारदा (1995), Women and Satyagraha: Kasturba’s Role, गांधी अध्ययन केंद्र
- ^ बागची, जयश्री (1987), Women Pioneers in India's Freedom Struggle, विचार प्रकाशन
- ^ रॉय, कुमुदिनी (1975), Feminist Movements in Colonial India, पेंगुइन इंडिया
- ^ देओ, नंदिनी (2010), Mobilizing Women in India: Beyond the 20th Century, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस
- ^ बेनर्जी, अंजलि (1998), Women Revolutionaries in India's Freedom Struggle, रावत प्रकाशन
- ^ चटर्जी, कमलिनी (2001), Women and the Indian Constitution, राष्ट्रीय विधि प्रकाशन