हिन्दी विकि पर साहित्यकारों के जीवन परिचय पर बहुत कम लेख बने हैं, जो हैं उनमें बहुत-सी विसंगतियाँ भी देखने को मिल जाती हैं जैसे- अनेक लेखों में इतना बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन कर दिया जाता है कि वह लेख प्रथम दृष्टि में ही कोरा प्रचार-सा लगने लगता है, लेखक की किस किताब पर किस किसने क्या-क्या कहा अथवा किसी मंच से कविता पाठ करने के बाद किस श्रोता ने क्या प्रतिक्रिया दी आदि आदि...यह सब परिचयात्मक लेखों को दुरूह बनाता है और पाठक को ऊब होने लगती है (ऐसे अनेक लेख देखे जा सकते हैं)। मेरा विनम्र सुझाव है कि विकि पर साहित्यकारों पर लेख बनाने के लिए नियम निर्धारित कर लिए जाएँ तो लेख बनाने में सुविधा रहेगी और एकरूपता भी।

ऐसे लेखों में निम्नलिखित तथ्य रहने चाहिए-

साहित्यकारों पर परिचयात्मक लेखों के लिए कुछ नियम

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जन्म तिथि-

जन्म स्थान-

माता / पिता का नाम- (यदि आवश्यक हो तो)

शिक्षा-

भाषा ज्ञान-

रचनाकार की विधा- (कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, लघुकथा, हाइकु, ग़ज़ल आदि)

प्रकाशित पुस्तकें- (प्रकाशन विवरण, ISBN के साथ)

सम्पादन-

निधन- (यदि दिवंगत रचनाकार हैं तो उनके निधन की तिथि)

पुरस्कार / सम्मान-

सम्प्रति-

फोटो-

विशेष- (कोई महत्त्वपूर्ण जानकारी देनी हो तो तीन-चार पंक्तियों में दी जा सकती है)

--डा० जगदीश व्योमवार्ता 06:08, 1 जून 2014 (UTC)


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शुद्ध शब्द अशुद्ध शब्द
अनधिकार अनाधिकार
संन्यासी सन्यासी


" ये, ए, यी, ई के प्रयोग में एकरूपता के कुछ नियम-

" ये " तथा " ए " का प्रयोग अव्यय, क्रिया तथा शब्दों के बहुवचन के लिए किया जाता है।

कुछ नियम-

जिस क्रिया के भूतकालिक पुल्लिंग एक वचन रूप में " या " अन्त में आये ('गया', 'आया') तो अन्य रूपों में प्रयोग इस तरह होगा -

गया गयी गये गयीं आया आयी आये आयीं

[ गए, गई तथा आए, आई नहीं होंगे ]

जिस क्रिया के भूतकालिक पुल्लिंग एक वचन रूप में " आ " अन्त में आये तो अन्य रूपों में प्रयोग इस तरह होगा-

हुआ हुए हुई हुईं [ हुये, हुयी, हुयीं नहीं होंगे ]

दीजिए, पीजिए, लीजिए, कीजिए होंगे [ दीजिये, पीजिये, लीजिये, कीजिये नहीं ]

अव्यय को प्रथक रखने के लिए " ए " का प्रयोग होगा- इसलिए, चाहिए, जाइए, आइए

सम्प्रदान विभक्ति में भी " ए " का प्रयोग होगा- " मोहन के लिए कुर्सी लाओ " [सही है]

" मोहन के लिये कुर्सी लाओ " [गलत है]

जहाँ कोई अन्य विकल्प न हो तो वहाँ स्वर [आ, इ, ए का प्रयोग किया जायेगा ]