गगन अरोड़ा

गगन अरोड़ा
जन्म २४ जून १९९७
दिल्ली,भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
उपनाम आशु
शिक्षा क्राइस्ट विश्वविद्यालय, बंगलौर
धर्म हिन्दू

मै और मेरा परिवार

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मेरा नाम गगन अरोड़ा है। मै दिल्ली से हूँ। मेरी आयु अठारह वर्ष है। मै एकल परिवार से हूँ। मेरे परिवार में चार सदस्य है, मै अपने परिवार में सबसे छोटा हूँ। मेरे पिताजी का नाम श्री पुष्पिंदर अरोड़ा है। वे एक सरकारी कर्मचारी है। वे उत्तरी भारत रेलवे के लिए काम करते हैं। वे एक वरिष्ठ कार्यालय अधीक्षक है। मेरी माताजी का नाम श्रीमती मीना अरोडा है, वे भी एक सरकारी कर्मचारी है। वह दिल्ली पुलिस में ए.स.आई है। मेरे माता पिता बहुत ही सरल हैं, परन्तु वे कड़ी मेहनत में विश्वास रखते है। एक बड़ी बहन भी है उनका नाम कोमल अरोडा है। मै उनके बहुत ही करीब हूँ और उन्हें अपने जीवन के बारे मे सब बताता हूँ। वे कनाडा में हंबर विश्वविद्यालय में एम.बी.ए का अध्ययन कर रही है। मेरा परिवार बहुत ही साधारण परिवार है, लेकिन सब ही बहुत मेहनती हैं।

मेरे मित्र

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मेरे बहुत सारे मित्र है। जो मेरे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कुछ बी.ए कर रहे हैं, कुछ बी.टेक कर रहे हैं दूसरे बी.बी.ए कर रहे है। बंगलौर आने के बाद मैं उन्हें बहुत याद करता हूँ। मुझे जब भी मौका मिलता है मैं उनसे बात करता हूँ।

मेरी शिक्षा

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मै पहले डीएवी स्कूल में पढता था। यह एक बहुत अच्छा स्कूल है जहां वे छात्रों को नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में पढ़ाते है। 11वीं कक्षा में मैने मानविकी लेने का निर्णय लिया। यह निर्णय काफी चौंकाने वाला था क्योंकि मैं पढ़ाई में अच्छा था और सबने सोचा कि मै विज्ञान के क्षेत्र में जाउंगा। लेकिन मुझे बाकियों की परवाह नहीं थी और मै अपने निर्णय पर अडा रहा। 12वीं के बाद मैं क्राइस्ट विश्वविद्यालय में चुना गया। अब मैं मनोविज्ञान में बी.ए का अध्ययन कर रहा हूँ।

मेरा सपना और मेरा लक्ष्य

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शुरू से ही मनोविज्ञान में मेरी रुचि रही है। एक विषय के रूप में मनोविज्ञान मुझे प्रेरणा देता है और मेरे जीवन को अर्थ देता है। इसके बिना मै अपने जीवन के बारे मे सोच भी नहीं सकता। मेरा पहला और आखिरी लक्ष्य है एक मनोवैज्ञानिक बनना ताकि मैं मेरे चारों ओर लोगों को समझ सकु और उन्हें मद्द कर सकु। आज के व्यस्त जीवन मे लोग मुस्कुराना भूल चुके हैं इसलिए मैं उनकी मुस्कान का कारण बनना चाहता हूँ। मैं समाज के प्रति किसी तरीके का योगदान करना चाहता हुँ। कुछ लोग कहते है कि मैं जिद्दी हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि मेरी यह ज़िद मुझे मेरी मंजिल तक ले जाएगी। हाल ही में मैने एक मनोविज्ञान कार्यशाला में भाग लिया जिसमे मैं अपने विभाग का प्रतिनिधित्व कर रहा था। वहाँ मैंने सक्रिय रूप से भाग लिया और वहाँ मुझे कई मनोविज्ञान के शिक्षकों के साथ काम करने का मौका मिला। मेरी सक्रिय भागीदारी और योगदान के लिए मुझे विभाग के प्रमुख से प्रशंसापत्र मिला, यह अभी तक की मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह एक ऐसा अनुभव है जो मै अपने पूरे जीवन में कभी नहीं भूलुंगा। अभी मैं एक इंटर्नशिप के लिए देख रहा हूँ, और मैं इस बड़ी संस्था का एक जरूरी हिस्सा होने के लिए, कठोर परिश्रम करने के लिए और मनोविज्ञान के क्षेत्र में अपना नाम बनाने के लिए तैयार हूँ।