आरक्षण जिम्मेदारी या खैरात

 

आरक्षण आज के समय मे एक बीमारी बन चुका है । आज के समय मे आरक्षण अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है । आरक्षण केवल उन्ही लोगो को दिया जा रहा है जिनके पास वोट बैक और अराजकता फैलाने की ताकत है । 

संविधान मे जातिगत आधार पर आरक्षण देने का यह मकसद था कि पिछ़़डे लोगो को अगर कुछ वरीयता देकर आगे बढाया जाय तो ये लोग आरक्षण पाकर अपने समाज के लोगो का ज्यादा से ज्यादा भला करेंगे क्योकि ये लोग अपने समाज की समस्याओ को ठीक से समझते होगे और वे ही इसके निराकरण मे अपनी  ओर से पहल करेगे ।

परन्तु आज ये लोग अपनी जिम्मेदारी से भटक गये है आज ये लोग वोट बैक एंव अराजकता फैलाने की ताकत के दम पर आरक्षण को बनाये रखना चाहते है लेकिन ये लोग उसके उद्देश्य को पूरा नही करना चाहते है ।

आरक्षण लेने वाले व्यक्ति को आरक्षण दिया गया है क्योंकि उसका समाज आज पिछडा हुआ है इसलिए इन लोगो को आरक्षण पाने की जिम्मेदारी  भी निभानी चाहिये।

आरक्षण पाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपनी तनख्वाह (सैलरी ) से प्रतिमाह निश्चित रकम खर्च करनी चाहिये । जैसे - प्रथम श्रेणी के कर्मचारी को अपनी सैलरी का 40 प्रतिशत, द्वितीय श्रेणी के कर्मचारी को अपनी सैलरी का 30 प्रतिशत, तृतीय श्रेणी के कर्मचारी को अपनी सैलरी का 20 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत और आरक्षण द्वारा शिक्षा प्राप्त करके निजी क्षेत्र मे नौकरी पाने वालो के लिये भी विभिन्न स्लैब बनाये जाय ।

इस मुद्दे पर आरक्षण पाने वाला हर व्यक्ति कहेगा कि हम ये करना तो चाहते है लेकिन हम आज के मंहगाई के युग मे इतनी बडी रकम कैसे खर्च करे परन्तु मेरा तो यह मानना है कि आपको यह सुविधा इसलिये मिली है कि आपका समाज पिछडा हूआ है और आपको इस बात के लिये चुना गया है कि आप आरक्षण रूपी सुविधा का लाभ उठा कर खुद का एंव अपने पिछडे हुये समाज का भला कर सके।

परन्तु आज के समय मे ये पिछडे हुये लोग खुद का विकास तो कर लेते है किन्तु ये अपनी जिम्मेदारी को भूल जाते है और हर जगह आरक्षण की मांग करते  है .।

एक अन्य मुद्दा है प्रमोशन मे आरक्षण पिछडे समाज के आरक्षण पाने वाले व्यक्तियो का समूह यह कह कर प्रमोशन मे आरक्षण की मांग करता है कि उच्च पदो पर उनके समाज का प्रतिनिधित्व कम है इसको पूरा करने के लिये यह पूर्व मे आरक्षण प्राप्त व्यक्तियो का समूह पूनः आरक्षण यानी प्रमोशन मे आरक्षण की मांग करता है । इस मुद्दे पर मेरा मानना है कि अगर आप प्रमोशन मे आरक्षण प्राप्त करना चाहते हो तो पहले आपको यह सिद्ध करना होगा कि आप इसके योग्य हो और आप आरक्षण प्राप्त कर अपने पिछडे समाज को आगे बढाने की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे है और आप प्रमोशन प्राप्त करने के पश्चात अपनी सैलरी 2/3 भाग यानी 66 प्रतिशत भाग अपने पिछडे समाज को समर्पित करना होगा । यह बात उन लोगो को बहुत बुरी लग सकती है जो प्रमोशन मे आरक्षण की मांग कर रहे है इन लोगो का विचार होगा कि हम फालतू मे अपनी अर्जित आय का आधे से अधिक भाग क्यो दान कर दे मंहगाई का जमाना है इसके बाद हमारा जीवन यापन कैसे होगा । इस बारे मे मेरा मत है कि आप एक पिछडे समाज से है और आपको इस लिये चुनकर आगे बढाया गया है कि आप अपना विकास करने के साथ-साथ अपने समाज का विकास करने मे सक्षम होगे । और आप यदि अधिक करना चाहते है तो आपको प्रोन्नत करके आगे बढाया जा रहा है अतः आपको जिम्मेदारी भी बढेगी अतः आपको अपनी तनख्वाह (सैलरी) का आधे से अधिक भाग ( यानी 66 प्रतिशत) देना ही होगा   

मैने आपके समक्ष यह मुद्दा रखा कि प्रत्येक आरक्षण प्राप्त व्यक्ति को अपनी तनख्वाह (सैलरी) का एक निश्चित भाग समाज को देना चाहिये । इसके लिये मेरा विचार है कि यह मांग अगर मान ली जाय तो इसमे पूर्ण पारदर्शिता बरती जाय क्योकि जैसा कि भारत मे ज्यादातर मामलो मे देखा गया है कि अगर ऐसा कोई नियम या कानून का निर्माण होने पर लोग उस नियम की कमियो को खोज कर उस नियम या कानून को निष्प्रभावी बना देते है ।

इसके लिये सरकार को निष्पादन पर आधारित खर्च करने का नियम बनाना चाहिये