गुरू जम्भेश्वर बिश्नोई संप्रदाय के संस्थापक थे। ये जाम्भोजी के नाम से भी जाने जाते है। इन्होंने 1508 में बिश्नोई पंथ की स्थापना की। 'हरि' नाम का वाचन किया करते थे। हरि भगवान विष्णु का एक नाम हैं। बिश्नोई शब्द मूल रूप से वैष्णवी शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है :- विष्णु से सम्बंधित अथवा विष्णु के उपासक। गुरु जम्भेश्वर का मानना था कि भगवान सर्वत्र है। वे हमेशा पेड़ पौधों की तथा जानवरों की रक्षा करने का संदेश देते थे। इन्होंने समराथल धोरा पर विक्रम संवत के अनुसार कार्तिक माह में 8 दिन तक बैठ कर तपस्या की थी।

श्री गुरु जम्भेश्वर संबंध बिश्नोई संप्रदाय प्रमुख पंथ केंद्र मुकाम, समराथल, जाम्भोलाव धाम, पीपासर आदि। मंत्र "विष्णु विष्णु तू भण रे प्राणी" जानवर हिरण प्रतीक खेजड़ी माता-पिता ठाकुर लोहटजी और

माता हंसा देवी Region राजस्थान , भारत Ethnic group हिन्दू त्यौहार जन्माष्टमी इनका जन्म राजस्थान के नागौर परगने के पीपासर गांव में सन् 1451

में हुआ था।