Jayanth.Bhargiri1940430
नाम | जयंत भर्गिरि |
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लिंग | पुरुष |
नागरिकता | भारतीय |
शिक्षा तथा पेशा | |
विश्वविद्यालय | क्राइस्ट विश्वविद्यालय, बेंगलुरु |
उच्च माध्यामिक विद्यालय | दिल्ली पब्लिक स्कूल, बेंगलुरु उत्तर |
मेरा नाम जयंत भार्गिरि हैं। मैं १९ वर्ष का हूँ और बचपन से ही बेंगलुरु में रहता हूँ।
परिवार
संपादित करेंमेरा जन्म १९ सितंबर २००० को हुआ था। पिता ज जवाहर और माता सीमा का मैं तीसरा पुत्र हूँ। मेरे पिता एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और माता भरतनाट्यम की नृत्यांगना एवं शिक्षिका है। सन् १९८८ को सितम्बर ९ के दिन मेरे सबसे ज्येष्ठ भाई जयादित्य का जन्म हुआ था। एन. एस. एल. आइ. यू. में स्नातक की पढ़ाई करने के बाद वह अभी वकील है। २९ जनवरी १९९१ को मेरे बड़े भाई जयकृष्ण का जन्म हुआ। ए. आई. आई. एम. स. दिल्ली में मनोविज्ञान की पढ़ाई के बाद उसने वहीं पर मनोचिकित्सक के रूप में काम करना शुरू किया।
शिक्षा
संपादित करेंबेंगलुरु में ही पैदा होकर अपनी बाल विहार इसी शहर में मैंने की थी। पिता जी के तबादले के कारण मुझे अपने पहली और दूसरी कक्षा एटलांटा, यू. एस. ए. में करने का मौका मिला। भारत वापिस लौटने के बाद मैंने अपने शिक्षा येलाहंका में स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में जारी रखा। तब से १२वीं कक्षा तक मैंने कभी भी शाला बदलने का सोचा भी नहीं था। दिल्ली पब्लिक स्कूल मेरे लिए स्कूल से ज्यादा घर बन गया था।
१०वीं कक्षा में १० सी. गी. पी. ए. प्राप्त करने पर मैंने आर्ट्स लेने के अपने सपने को छोड़ कर माता-पिता के कहने पर पी. सी. एम. बी. लेने का फैसला किया। १२ वीं कक्षा में ९५% प्राप्त करने पर मैंने अपने इच्छा अनुसार रसायन शास्त्र पढ़ने हेतु बेंगलुरु के क्राइस्ट विश्वविद्यालय में दाखिला लिया जहाँ पर मैं अभी BSc (PCM) की पढ़ाई कर रहा हूँ।
रुचियाँ
संपादित करेंबचपन में मुझे पढ़ाई से ज्यादा कला और खेल कूद में दिलचस्पी थी। मुझे स्विमिंग और बैडमिंटन बहुत ही अच्छा लगता था। परंतु एक समाय ऐसा आया की मुझे कला और क्रीड़ा के बीच चुनना पड़ा जहाँ मैंने कला का चुनाव किया। ४ साल के उम्र से ही माता एवं गुरु श्रीमती सीमा जवाहर से मैंने भरतनाट्यम की शिक्षा प्रारंभ किया। मैंने सन् २०११ KSEEB के भरतनाट्यम जूनियर परीक्षा में रजत पदक हासिल किया और २०१५ में KSEEB के भरतनाट्यम सीनियर परीक्षा में स्वर्ण पदक हासिल किया। आज भी मैंने अपनी नृत्य शिक्षा जारी राखी और भरतनाट्यम में मुझे नृत्ता बहुत ही अच्छा लगता है।
नृत्य के लिए संगीत अनिवार्य होने के कारन मैंने १० साल के उम्र में श्रीमती रूपा कासरवल्ली से कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा शुरू की। इसके अलावा मुझे ड्रामा और कार्यक्रम उद्घोषणा करना भी अच्छा लगता है। मेरा यह सौभाग्य था की मुझे स्पिक मैके आयोजित पहली अंतर्राष्ट्रीय शाला सम्मलेन को प्रस्तुत करने का मौका मिला।
भविष्य के योजनाएँ
संपादित करेंमुझे रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर पदवी प्रप्त करने के बाद पी.एच.डी की पढ़ाई करके प्राध्यापक बनना चाहता हूँ। साथ ही में मुझे भरतनाट्यम में विद्वत में उत्तीर्ण होने की भी इच्छा हैं और साथ ही अपने माँ के नृत्य संसथान को भी आगे बढ़ाने की इच्छा रखता हूँ।