Jk75297
Jk75297 22 जून 2015 से सदस्य हैं
जयाश्री कुमारी | |
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जन्म |
६ मार्च् १९९७ वदोदरा, गुजरात, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | कॉलिज, बैनग्लोर |
प्रसिद्धि का कारण | बोलने की कला |
धर्म | हिन्दू |
मेरा नाम जयाश्री कुमारी है और मैं झारखन्ण राज्य के टाटानगर नाम के शहर से हूँ। मेरा जन्म्स्थान भी टाटानगर ही था और मैं वही पली हूँ। मैं अपनी माता पिता की इक्लौती बेटी हूँ पर्ंतू मैं बचपन से सम्मिलित परिवार में ही रही हूँ। मेरे परीवार में माता पिता के अलावा मेरे दादा दादी, चाचा चाची और उनकी पाँच वर्षीय बेटी है। क्योंकि वह बच्ची मेरे साथ पाँच वर्षों से थी मुझे कभी अपने भाई या बहन की कमी महसूस नहीं हुई और क्योंकि हमारे उम्र में काफी फरक था हमारे झगड़े काफी काम होते थे।
मेरी शिक्षा जमशेदपुर(टाटानगर) के एक प्रसिदध विद्यालय 'सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल' हुई थी जिसमें केवल बालिकाअएँ पढती हैं। केवल लड़कियों का विद्यालय होना हमारे लिए बहुत ही गौरवशाली बात थी क्योंकि केवल लड़कियों का विद्यालय होने के बाद भी अन्य विद्यालयों से मुकाबला करते समय हम अव्वल आते थे और हर छेत्र में अपनी छाप छोड़ते थे। शिष्य के रूप में मैं ज़्यादा मेहनती विद्यार्थी नहीं थी पर मुझे भाग्यवर्ष अचे अंक प्राप्त हो जाते थे परन्तु विज्ञान और गणित की अच्छी समझ ना होने के बावजूद ढंग से मेहनत ना करने के कारण मुझे मेट्रिक में कम अंक आये पर मैंने अपने माता पिता की सहमति से आर्ट्स लिया क्योंकि मुझे वैसे विषयों में ख़ास रूप से रूचि थी। बारहवीं में मैंने अर्थशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, भूगोल, हिंदी और अंग्रेजी जैसे विषयों को पढ़ा. मेरा सबसे प्रिया विषय राजनीतिक विज्ञान था और मुझे ख़ास रूप से भारत की राजनीतिक संरचना में रूचि थी। अपने मनपसंद विषयों को लगन से पढ़ने के कारण मुझे बारहवीं के मुख्या परीक्षा में न केवल अच्छे अंक आये बल्कि मैंने अपने विद्यालय में आर्ट्स में सबसे ज़्यादा अंक पाये और मैं अपने मेरा रैंक राज्य में चौथा था और अन्य अखबारों में मेरे विषय में छापा। यह समय मेरे से ज़्यादा गौरवशाली मेरे माता पिता के लिए था। मैं उनकी आभारी हूँ की उन्होंने मुझे मेरे मनपसंद विषयों को चुन के पढ़ने की आज़ादी दी बिना अपनी इच्छाओं को मुझमे थोपे । वर्तममान में मैं 'क्राइस्ट उनिेर्सित्य' में उन्देर्ग्रदुअशन कर रही हूँ। मेरे कोर्स के मुख्या विषय राजनीतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र और मीडिया है मुझे यात्रा करने का बहुत शौक है जिसके कारण मैं भविष्य में यात्रा पत्रकार बनना चाहती हूँ। भाग्यवर्ष मुझे अपने बचपन की सहेली ही कमरा बाटने के लिए मिली। बेंगलुरु के भीड़ में ज़्यादातर जवान शामिल हैं जिसके कारण यह शहर ज़िंदादिल रहता है । मैंने अगले साल तक कन्नड़ सीखने का सोचा है और बेंगलुरु के आस पास के पर्यटक स्थानो में भी यात्रा करने का सोचा है।