लूनी नदी - उपनाम- लवणी / लवणवती/मरूआशा। उदगम-अजमेर में अरावली की नाग पहाङियों से अनासागर झिल के पास से। प्रवाह- यह नदी अजमेर से निकलकर् नागोर ,पाली,जोधपुर, बाङमेर, व जालोर कूल 6 जिलों में बहनें बाद गुजरात में प्रवेश कर कच्छ की खाङी के माध्यम से अरबसागर में मिलती है। - राजस्थान व गुजरात में बहने वाली इस नदी की कुल लम्बाई 350km व राजस्थान में 330km है। इस नदी का पानी अजमेर से बलोतरा (बाङमेर ) तक पानी मिठा व इसके लवणीय क्षेत्र में बहने के कारण खारा हो जाता है ईसलिए इसे आधी मिठ्ठी व आधी खारी नदी बोलते है। - लूनी नदी का अपवाह राज्य के कुल अपवाह का 10.41% भाग है अपवाह क्षेत्र पर लूनी का राज्य में चम्बल के बाद दूसरा स्थान है। -* सहायक नदियाँ - जवाई , सगाई , लीलङी , जोजङी , मिठङी , सुकङी , सांगी , गुहिया , मित्री , बांडी आदि । - लूनी की सभी सहायक नदी अरावली पर्वत माला से निकलती है परन्तु जोजङी एक मात्र ऐसी नदी है जो अरावली से नहीं निकलती । लुनी की सबसे लम्बी व सहायक नदी जवाई नदी है । 2.- माही नदी - उपनाम - बांगङ की गंगा / आदिवासीयो की गंगा / कांठल की गंगा । उदगम - मध्यप्रदेश में विध्यांचल पर्वत की अममोरू की पहाड़ी से मेहद झिल से मनोहरपुरा नामक स्थान से । पर्वाह - यह नदी राजस्थान में खांदू (बांसवाड़ा) से प्रवेश करती है तथा प्रवेश के बाद प्रतापगढ़ व बांसवाडा तथा डुगरपूर की सिमां बनाते हूए खम्बत की खाङी के माध्यम से अरब सागर में गिरती है । तीन राज्यो मध्यप्रदेश , राजस्थान , व गुजरात में बहनें वाली इस नदी की कूल लम्बाई 546 km. राजस्थान में 17 km. हैं । - माही नदी सर्वप्रथम उत्तर की ओर बहने के बाद दक्षिण की ओर बहकर उलटे u आकार का निर्माण करती है । माही नदी कर्क रेखा को दो बार पार करती है * नयाटापटा ( बणेशवर , डुगरपूर) :- इस स्थान पर माही नदी में सोम व जाखम नदियाँ मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती हैं । * इस स्थान पर पर्तिवर्ष माघ पूर्णिमा को आदिवासियों का प्रसिद्ध मेला लगता हैं जिसे आदिवासियों का कुंभ या बागङ का पुष्कर कहते है। * वणेशवर विशव का एक मात्र स्थान है यहाँ खण्डित शिवलिंग की पूजा की जाती है । - सहायक नदियाँ - सोम , जाखम , चाप , अनास हरण , दर , ईरू , लाखन। - राज्य का प्रसिद्ध माही ब्जाज सागर बांध ( भोरणेडा) बांसवाड़ा नामक स्थान पर बना हूआ है। 3. सोम नदी - उदगम - उदयपुर में ऋषमदेव की निकट बावलवाडा के जंगलों बीटामेडा की पहाङियों से। प्रवाह - यह नदी उदयपुर से निकलकर डूगरपुर में प्रवेश बेणेश्वर नांमक स्थान पर माही नदी में मिल जाती है । - सोम , कमला , अम्बा का त्रिवेणी संगम सोम नदी पर डूगरपुर जिले में बनता है। - सोमकांणदर बांध (उदयपुर) सोम नदी पर बना हूआ है । - जाखम नदी - उदगम - प्रतापगढ में छोटी सादङी की भोवर माता की पहाङियों से। - यह नदी प्रतापगढ़ से निकलकर उदयपुर व ङूगरपूर में बहकर बणेशवर के निकट सोम नदी में मिल जाती है। - राज्य का सबसे ऊंचा बांध जाखम बांध (81m) ऊंचा प्रतापगढ़ जिले में जाखम नदी पर बना हूआ है। - साबरमती नदी - यह नदी गुजरात की प्रमुख नदी है परंतु ईसका उदगम उदयपुर में कोटडा कि पहाड़ी से है । - गुजरात के प्रमुख गांधी नगर व अहमदाबाद ईसी नदी के किनारे स्थित है । - जवाई नदी - यह नदी पाली से निकलकर जालोर व बाङमेर जिलों में बहते हूए गान्दव ( बाङमेर) नामक स्थान पर लूनी नदी में मिल जाती है । - जवाई बांध ( सुमेरपुर पाली ) जवाई नदी पर बना हूआ है जिसमें मारवाड़ का अम्रित सरोवर कहते है। (बंगाल की खाङी का प्रवाह क्रम) - राज्य के दक्षिणी पूर्वी व पूर्वी भाग की नदियाँ यमुना नदी के माध्यम से बंगाल की खाङी में गिरती है। - राज्य का 22.4% भू भाग बंगाल की खाड़ी के प्रवाह के अन्तर्गत आता है। - प्रमुख नदियाँ -* 1. चंम्बल - * उपनाम - चर्मण्चती/ राजस्थान की कामधेनु / मालवगंगा । - उदगम - मध्यप्रदेश में विध्यांचल पर्वत की जानापाव की पहाड़ी से महूनामक स्थान से । - प्रवाह - यह नदी राजस्थान में चोरासीगढ (चितोङगढ) से प्रवेश करती है तथा प्रवेश करने के बाद चितोङगढ,कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करोली व धोलपुर जिलों में बहने के बाद उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर मुरादगंज नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है व यमुना के माध्यम से बंगाल की खाङी में गिरती है। तीन राज्यों - मध्यप्रदेश, राजस्थान, व उतरप्रदेश के बहने के बाद ईस नदी की कूल लम्बाई 965km व राजस्थान में 135km है। - चंम्बल नदी भारत की सबसे लम्बी नदी जल सिमां रेखा राजस्थान व मध्यप्रदेश के बीच करती है जिसकी लम्बाई 241km है। - चंम्बल नदी पर कुल 4 बांध बने हुए है। 1- गांधीनगर (मध्यप्रदेश) 2- राणाप्रताप सागर बांध रावतभाटा चितोङ 3- कोटा बेराज (कोटा) 4- जवाहर सागर (कोटा) - रामेश्वरम् (सवाईमाधोपुर)- इस स्थान पर चंम्बल नदी में बनास व सीप मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है । - सहायक नदियाँ - बनास, कालीसिंध, पार्वती, पर्वन, आहू , चाकण , नेवज, चंद्रभाग आदि। -* बनास नदी - उपनाम - बनों की आशा / वर्णाशा / वशिष्ठी उदगम- राजसमंद जिले में कुम्भलगढ के नजदीक खमनौर की पहाड़ी से। प्रवाह क्रम - यह नदी राजसमंद जिले से निकलकर चितोङ , भिलवाड़ा , अजमेर , टोंक , व सवाईमाधोपूर जिलों में बहकर रमेशवरम नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती हैं। पूर्ण रूप से राजस्थान में बहने वाली सबसे लम्बी बनास की कुल लम्बाई 480 किलोमीटर है। - राजस्थान में महत्वपूर्ण पेयजल परियोजना बीसलपुर बांध टोंक जिले में बनास नदी पर बना हूआ है। - ईशरदा बांध (सवाईमाधोपुर) बनास नदी पर बना हूआ जिसमें जयपुर शहर को पेयजल आपुर्ति की जाती है। बीगोंद (मांडलगढ़ , भीलवाड़ा) में ईस स्थान पर बनास नदी बेङच व मेनाल नदियाँ मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है। - आयङ / बेङच - उदगम - उदयपुर में गोगुन्दा की पहाड़ी से। प्रवाह - यह नदी गोगुन्दा की पहाडी से आयङ के नाम से निकलती है तथा उदयपुर की उदयसागर झील में मिलती है। - इस झील से निकलने के बाद यह नदी बेङच कहलाती है। यह नदी उदयपुर , चितोङ व भीलवाड़ा में बहकर बीगोंद नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है। राजस्थान की प्राचीन आहङ सभ्यता इसी नदी के किनारे विकसित हुई। राज्य के प्रसिद्ध घोसुण्डा बांध (चितोङ) में बेङच नदी पर स्थित हैं। - बाणगंगा / अर्जुन गंगा - जयपुर जिले की बेराठ की पहाड़ी से । प्रवाह - यह नदी जयपुर से निकलकर दोसा व भरतपुर जिलों में बहकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश फतेहाबाद नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है। - बाणगंगा नदी चंबल के बाद राज्य की दूसरी नहीं है जो सीधे जाकर यमुना में मिलती है। जमुवारामगढ बांध (जयपुर) बाणगंगा नदी पर बना हूआ है इससे जयपुर शहर को पीने का पानी मिलता है। राजस्थान की मोर्यकालीन व बोध्य कालीन प्राचीन सभ्यता स्थल बेराठ सभ्यता ईसी नदी के किनारे विकसित हुई। -* अन्य प्रमुख :- 1. कोठारी नदी - भीलवाड़ा - मेजा बांध। 2. परवन नदी - बांरा - राज्य का प्रसिद्ध दूर्ग इसी नदी के कीनारे स्थित है। 3. चन्द्र भागा - झालावाड़ इस नदी को हङोती की गंगा कहते हैं। इसी नदी के किनारे चन्द्रावती झालावाड़ नामक स्थान पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा का राज्य का प्रसिद्ध मेला आयोजित होता है। 4. मेनाल - भीलवाड़ा में । 5. ब्राह्मणी - चितोङगढ । - राज्य के प्रमुख झरने- 1.- चुलिया जल प्रपात - भीलवाड़ा। 2.- मेनाल जल प्रपात - भीलवाड़ा। 3.- भीमलत जल प्रपात - बूंदी-मांगली नदी पर।