Manshi Choudhary
Manshi Choudhary 26 नवम्बर 2018 से सदस्य हैं
अन्नदाता
तेरे पेट में जितनी जगह नहीं,
तेरी थाल में उतना होता है।
बंगले से झांक कर देखा जरा,
अन्नदाता भूखा सोता है।।
तू जब घर अपने सोया था,
वह खेत मंढेर पर होता है।
जिस अन्य को तूने बिगाड़ दिया,
वो कितने जतन से होता है।।
थी तेरी सुधा भी याद उसे,
वो अपनी वृथा को भूल गया।
तुझे गोधूम धरती फाड़ दिया,
दानी की दया को भूल गया।।
उसे मरता देख वीराना में,
तूने अपना मुंख फेर लिया।
ये देख की लहास लटकती है,
तुने अपना मुख फेर लिया।।