flowchart of indian financial system

परिचय संपादित करें

   वित्तीय प्रणाली यह प्रणाली है जो धन की अदला बदली करने की अनुमति देता है। अदला बदली उधार देने वालो और उधार लेने वालो के बीच मे होती है। एक देश की वित्तीय प्रणाली यह शामिल करती है, बैंक, प्रतिभूति बाजार ,पेंशन, म्यूचुअल फंड्स, केंद्रीय अधिकोष आदि। यह एक सबसे जरूरी साधन है आर्थिक विकास के लिये। वित्तीय प्रणाली के कुछ कार्य: आर्थिक दक्षता को सुधारती है। यह एक कडी कि तरह काम करती है ,जमाकर्ताओं और निवेशको के बीच मे। उन लोगों को प्रोत्साहित करते है। वह वित्तीय बाजार को विस्तार करने मे मदद करते है। वित्तीय प्रणाली का मुख्य कार्या जमा पूंजी को लामबंद करन है।[1]

वित्तीय प्रणाली को चार विभाजनों मे समझा जा सकता है: संपादित करें

  १)वित्तीय स्ंस्थाऍ : वित्तीय स्ंस्थाऍ लोगों को आसानी से ऋण लेने के लिये मदद करतें है और धन जमाने की सुविधा भी देते है।
  उदाहरण: एन बी एफ सी, एच एफ सी, आई सी आई सी आई, आई एफ सी आई आदि कैई तरह के बैंक है जैसे : सार्वजनिक बैंक, व्यावसायिक बैंक ,केंद्रीय बैंक, सहयोगी बैंक, सोदागर 
  बैंक आदि।
  २)वित्तीय बाज़ार :यह लोगों को वित्तीय दावों मे भाग लेने और सौदा करने के लिये सक्षम करते है।
  उदाहरण: धन बाज़ार और राजधानी बाज़ार।
  ३)वित्तीय साधनें : यह येसे दस्तावेज़ है जो वित्तीय दावों का  प्रतिनिधित्व करते हैं ।
  उदाहरण : विनिमय का बिल, वचन पत्र, खज़ाना बिल, शेयरज़्, डिबेंचरज़् आदि।
  ४)वित्तीय सेवाएं : यह मदद कते है उधार लेने मै और वित्त पोषण करने मे, भुगतान करने मै और समझौता करने मे आदि।
  उदाहरण : पट्टा, किराये पर खरीदने मे, फैक्टरिंग आदि।[2]

दुनिया मे दो तरह के वित्तीय प्रणाली होते है : संपादित करें

  १) बैंक आधारित वित्तीय प्रणाली।
  २) बाज़ार आधारित वित्तीय प्रणाली।

वित्तीय प्रणाली की महत्वता : संपादित करें

  १)लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा जमा पूंजी रख ने के लिये प्रोत्साहित करना और वह धन को दूसरे लोगों को ऋण के तरह देना।
  २)व्यापारियों को ज़रूरत के हिसाब से धन दे कर राष्ट्रीय उत्पादन को बढ़ाना।
  ३)निवेशकों के ज़रूरतों और मुश्किलों को धयान मे रखता है।
  ४) देश के आर्थिक विकास मे बहुत बडा हाथ है।
  ५) देश के कमजोर वर्ग के लोगों के विकास के लिये बढ़ावा देता है।
  ६)देश के लोगों के जीवन स्तर ऊंचा करत है।

दो तरह के बाज़ार संपादित करें

  १)प्राथमिक बाज़ार : यह नए कंपनियों के नए शेरों को बाज़ार मे लाकर बेचने के लिये है। 
  २)द्वितीयक बाजार : यह पहले से मौजूद कंपनियों के पुराने शेरों को बाज़र मे व्यापार करने के लिये है।
  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Financial_system
  2. http://www.bankexamstoday.com/2017/04/overview-of-indian-financial-system.html