मेरा नाम निकिता किशोर हे। मैं १८ साल कि हूँ। मैं बैंगलोर शहर कि निवासी हूँ। मेरी माता का नाम मनीशा किशोर है और मेरे पिताजी का नाम किशोर है। मैं क्राइस्ट कॉलेज में बायोटेक्नोलोजी कोर्स की छात्रा हूँ। मै सोफाया हाई स्कूल की भूतपूर्व छात्रा हूँ और मैने अपनी ११ और १२ कक्षा की पढाई माउन्ट कार्मल कॉलेज मे की। मैँ अपने माता पिता कि इक्लोती बेटी हूँ।


     मेरे शौक गीत गाना, किताबे पढना,नये स्थानो कि यात्रा करना,चित्रकारी बनाना और अंग्रेज़ी चलचित्र देखना है। मैं भगवान पर विशवास रखती हूँ और मेरा यह मानना है कि भगवान ही हमारे सुखः या दुखः मे हमारा साथ देते हूँ। मैं एक हिन्दु होने के अलावा भी हर् धर्म के भगवान को मानती हूँ और मैं हर धर्म के पर्व को मनाति हूँ। मेरे परिवार के सदस्य भी हर पर्व को बडे हर्श और उल्लास से मनाते है। मेरा यह मानना है कि इंसान मे भेद-भाव कि भावना नहीं होनी चाहिए क्योंकि हर इंसान मैं एक समान रक्त बहता है। 
   
     
    मैं खाने की बढी शौकीन हूँ। मुझे हर देश के खान-पान को खाना बेहद पस्ंद है और मुझे खाने से खुशी मिलती है। मै जीने के लिए नहीं खाना खाती हूँ बल्कि खाने के लिए अपनी ज़िदगी जीति हूँ। मुझे हमारे देश का खाना खाना सबसे ज़्यादा पसंद है। मैं भारत के हर कोने के खाने को बढे खुशी से खा सकती हूँ और मेरा यह मानना है भारतीय खाना सबसे स्वादिष्ट खाना है और स्वाद हमारे खाने मे है वो दुनिया के किसी भी कोने में नहीं मिल सकता। मेरा यह भी मानना है कि सबसे स्वादिष्ट खाना एक माँ के हाथों का खाना होता है और मुझे अपनी माता के हाथों का खाना सबसे अच्छा लगता है। मेरी माता बहुत ही स्वादपूर्ण खाना बनाती है और मुझे उनकी हाथों से बनी सूखी रोटी भी बहुत भाती है और मेरा सबसे पसंदीदा खाना कडी चावल है।
 
   
     मुझे लोगों की सहायता करना बहुत अच्छा लगता है और जब मैं किसी कि सहायता करती हूँ,मुझे मन कि शांति और खुशी मिलती है। मेरा यह मानना है कि हर इंसान को सबकी सहायता करनी चाहिए क्योकिं मानव ही मानवता कि सहायता कर है। मुझे अनाथालय में बच्चों के साथ समय बिताना अच्छा लगता है और वृध्दाश्रम में बुजुर्गों की सेवा करना अच्छा लगता है।
मेरी जीवन कि महत्वाकांशा कि मैं बायोटेक्नोलोजी के क्षेत्र में एक सुगम व्यवसायी बनु और मानवता के भले और विकास के लिए परिरश्रम करूँ। मेरे माता-पिता ने मुझे सबसे महत्त्वपूर्ण सीख यह दी है कि हमे अपने पूरे जीवन में परिश्रम ही करना चाहिए और हम्में हर चीज़ की अहमीयत होनी चाहिए। मेरी यह सोच है कि मैं अपने जीवन में जो भी कार्य करूँ वो कार्य मैं अपने माता पिता के लिए करूँ। मैं अपने माता पिता दुनिया की सारी खुशियाँ देना चाहती हूँ क्योंकि उन्होनें मुझे मेरा जीवन दीया है। मैं आपने माता की बेटी नहीं, बल्कि एक बेटे का किरदार निभाना चाहती हूँ और उनके हर कदम में उनका साथ देना चाहती हूँ जैसे उन्होनें किया है।मैं अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहिए और और उनके नाम का सम्मान रखना चाहती हूँ। मै वो हर काम करना चाहती हूँ जो एक पुरुष करता है क्योंकि एक स्त्री हर काम कर सकती है जो एक पुरुष करता है। मैं एक निर्दलीय महिला बनना चाहती हूँ और सफलता पाना चाहती हूँ। मैं अपनी सपफता से लोगों की सहायता करना करना चाहती हूँ और सबको खुश देखना चाहती हूँ क्योंकी सबकी खुशी में अपनी खुशी छिपी होती है। अंत मे मुझे सिफ एक अच्छा इंसान बनना है और अपना जीवन बिना कोई दुख या विरह के बिना इस धरती बिताना है।