Nisstha balodia
[[File:|200px|निष्ठा बलोदिया]] निष्ठा बलोदिया | |
नाम | निष्ठा बलोदिया |
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जन्मनाम | निष्ठा बलोदिया |
लिंग | महिला |
जन्म तिथि | २३ नवेंबेर 1997 |
जन्म स्थान | कलकता |
निवास स्थान | बंगलौर |
देश | भारत |
नागरिकता | भारतीय |
जातियता | भारतीय |
शिक्षा तथा पेशा | |
पेशा | विधार्थी |
नियोक्ता | छात्र |
शिक्षा | बैचलर ऑफ कॉमर्स |
महाविद्यालय | क्राइस्ट यूनिवर्सिटी |
उच्च माध्यामिक विद्यालय | दी.स.बी इंटरनॅशनल पब्लिक स्कूल |
शौक, पसंद, और आस्था | |
शौक | संगीत |
धर्म | हिन्दु |
राजनीती | स्वतंत्र |
चलचित्र तथा प्रस्तुति | मनोरंजन के लिएँ |
पुस्तक | सभी तरह के |
सम्पर्क विवरण | |
ईमेल | साँचा:Nisstha.balodia@gmail.com |
परिचय
संपादित करेंमेरा नाम निष्ठा बलोदिया है| मेरा जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता नामक शहर में सन्न १९९७,२३ नवंबर को हुआ था| मैने अपनी कक्षा दस तक की पढ़ाई कोलकाता में ही की जिसके पश्चात अपनी ग्यारवीं और बारविन कक्षा के पढ़ाई के लीए में देहरादून चली गयी|मैने अपनी दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई कोलकाता के प्रख्यात विद्यालय सुशीला बिरला गर्ल्स स्कूल से की है| मेरे इस विद्यालय से मेरा एक अटूट रिश्ता है क्यूंकी घर के बाद मई अपने दिन का सबसे ज़्यादा समय यहीं व्यतीत करती थी मेरा विद्यालय मेरे लिए मेरे दूसरे घर के समान था।
मेरे बारे मे
संपादित करेंमेरा स्वाभाव बचपन से ही चंचल रहा है| इस कारण वर्ष मैं स्कूल में बोहत शैतानियाँ करती थी| मेरी आद्यापीकाएँ मुझसे अक्सर परेशान रहा करती थी और मेरे माता पिता से मेरी शिकायतें भी करती थी| बड़े होते होते मेरा स्वाभाव थोरा शांत होगया और मुझे पढ़ाई करने की अहमियत का धीरे धीरे अंदाज़ा भी होने लगा| मेरे चंचल स्वाभाव के कारण मेरे अंक भी कुछ ख़ास अच्छे नहीं आते थे| बड़े होने के बाद मई खूब ध्यान लगाकर पढ़ने लिखने लगी| मेरी मेहनत के परिणामस्वरूप मेरे अंकों में भी बढ़ोतरी हुई| जिस दिन मुझे कक्षा आठ में अवल आने के लिए पुरस्कार मिला था मानो वो दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा दिन था| कक्षा आठ के पश्चात मुझे कभी भी पढ़ाई में समस्या नहीं झेलनी पड़ी| मेरे अंक काफ़ी अच्छे आने लगे थे और मेरे माता पिता और मेरी अध्यापीकाएँ मुझसे काफ़ी प्रसन्न रहती थी| कक्षा दस में मेरे ८५% अंक से मेरे माता पीत्रा काफ़ी खुश थे| मुझे अपने स्कूल मेी दो खेल में काफ़ी दिलचस्पी थी पहला बॅडमिंटन और दूसरा स्विम्मिंग| मुझे किताबें पढ़ने का बचपन से ही काफ़ी शौख रहा है|मैं ज़्यादातर अँग्रेज़ी कहानियाँ पढ़ती हूँ| मुझे उपन्यासों को पढ़ना और उनके बारे मेी जाना काफ़ी अछा ल्गता है| इसके अलावा मुझे बहस करना कंप्यूटर गेम्स खेलना रचनात्मक लेख लिखना और नाटक में भाग लेने का भी काफ़ी शौख है| मैने अपने ज़िंदगी के दो साल छात्रावास में बिताए हैं| वो दो साल मेरे ज़िंदगी के ऐसे दो अनोखें साल है जो कभी भी वापस नहीं आएँगे| इन दो सालों में मैने घर का महत्व समझा है, माता पिता के प्यार का महत्वा समझा है| इन दो सालों ने मुझे स्वतंत्र बनाया और शक्तिशाली बनाया घर से बाहर निकली तो दुनिया के तौर तरीकों के बारे मेी पता चला| अच्छे और बुरे लोगों की समझ होने लगी| यह दो साल मेरे लिए अगर मस्ती का पिटारा थे तो सीख का किताब भी| मेरे इश्स स्कूल में सारे टीचर्स मुझे अपने बचे जितना प्यार देते थे| मैं इस स्कूल की स्कूल प्रीफेक्ट भी थी| इस वजह से मुझें कई सारी उत्तरदायित्व भी दिए जातें थेजिन्हें मैं बखूब निभाती थी| मेरे १२वीं में ९३% अंक आए| मैं अपने जीवन में एक कामयाब लेखिका बनाना चाहती हूँ| मेरा एक और सपना है की एक दिन में एक प्रख्यात व्यवसायी बनूँ ताकि लोग मुझे जाने और मेरे माता पिता का सर हमेशा गर्व ए उठा रहे|