रणधीर सिंग

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प्रारंभिक जीवन

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इनका जन्म १८ अक्टूबर १९४६ में हुआ।रणधीर जी भुतपूर्व ओलंपिक जाल स्तर और स्कीट शूटर है।अभी वह खेल के प्रशासक है।यह अन्तराष्टीय ओलंपिक कमीटी के सदस्या है।इनको सन १९७९ में अर्जुना पुरस्कार से सम्मानित किया गया।इनके पिता का नाम राजा भालिनद्र सिंग है।और शादी रानी उमा कुमारी से हुई थी।इनको बचपन से ही खेलने का बडा शौक रहा है।अपने आप को शूटिंग में रुचि करने के लिये दिन रात महनत करते थे।और कभी हार नही मानी।यह महनत और लगन में विशवास रखते है।यह कहते है कि-जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिये अपने आप पर भरोसा करना जरूरी है।खेल के साथ-साथ पढाई में भी आगे थे।इनकी पढाई कोल ब्रोवन स्कूल में हुयी।इन्होने स्टीफन कोलेज से इतिहास में बी ए की डिग्रि प्राप्त की।यह एक ऐसे परिवार से है जो खेल को हमेशा से महत्व देता रहा।रणधीर जी ने बहुत ही कम उम्र में शूटींग करना सीख लिया।सन १९६४ में जब वे १८ साल के थे तब इंडियन नैशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिए।इनकी टीम ने फिर अगले साल जीत हासिल की,और सन १९६७ में स्कीट में पहला राष्टीय व्यक्ति का खिताब जीता।उसके बाद नैशनल स्तर पे स्कीट और शूटिंग में विभिन्न खिताब जीते।

यह पहले भारतीय शूटर है जिन्होने सन १९७८ के एशियन गेम्स में जीत हासिल की।इनको सन १९८२ में सिलवर मेडल मिला।इन्होने सन १९६८ से १९८४ के बीच पाँच ओल्ंपिक मुकाबले किये।यह दूसरे भारतीय खिलाडी है कर्नि सिंग के बाद, जिन्होने ओलंपिक्स में पाँच मुकाबले किये।सन १९६८ के ओलंपिक्स में बेहतरीन प्रदर्शन दिया।इनके चाचा टेस्ट क्रिकेटर,महाराजा यादाविन्द्र सिंग जी ऐशियन गेम्स में महत्वपूर्ण हिस्सा था।इनके पिता एई ओ सी के सदस्या थे।रणधीर जी ने शूटिंग में बहुत से मेडल जीते है।इन्होने एशियन गेम्स में चार मुकाबले किये।और इसी में चार अलग-अलग मेडल जीत हासिल किए।रणधीर जी ने सेक्रेट्रि ओफ अफ्रो-ऐशियन गेम्स कोउन्सिल की स्थापना की।और इन्होने सन २००३ में इस संगठन को हैदराबाद में नेतृत्व करने में मदद की।सन २०१० में कोम्मोन वेल्थ गम्स को भारत में लाने में इनका बहुत बडा हाथ रहा है।और इसी संगठन के उपाध्यक्श थें।

प्रशासक के रूप में

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यह ही एक ऐसे वरिष्ट युवक है जिनका नाम बाकी लोगों की तरह किसी विवाद से जोडा नही गया।सन १९८७ से यह इंडियन ओलंपिक अस्सोसिएशन के महा सचिव,ओलंपिक कोउन्सिल ओफ एशिया के महा सचिव और २००१ से २००४ तक इनटरनैशनल ओलंपिक कमीटी के सदस्या रह चुके है।२००२ से असोसिएशन ओफ नैशनल कमीटी के भी सदस्या हैं।हालि में ओ सी ए के महा सचिव के लिए इनको छ्टवी बार फिर से निर्वाचित किया गया।सन २००३ से २००५ तक वल्ड अन्टि-डोपिंग एजेनसी फोउनडेशंन बोर्ड के भी सदस्या थे।इस संगठन मे ओलंपिक गम्स स्टेडी(२००२-२००३),स्पोर्ट फोर ओल(२००४),वोमेन और स्पोर्ट(२००६) के हिस्सा थे।यह सन २०१० में सिंगापुर के कई संगठों के हिस्सा थे।सन २०१० में ग्वलिओर के लश्र्मबाई नैशनल इन्स्टिटुट ओफ फिज़िकल एजुकेशन से वैज्ञनिक खेल में डोक्ट्रेट की डिग्री प्राप्त की।

यह ये मानते है कि २०१० गेम्स के जरिये भारत खेल में और मजबूत होगया है।और अगले पाँच साल के अंदर भारत खेल के हर एक मामले में अपने आप को सुधार कर लेगा।इनकी वजह से भारत अन्तराष्ट्रीय खेलों में जगह बना पाया।हाली में इनको ओलंपिक कोउन्सिल ओफ एशिया से ओडर ओफ मेरिट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।यह ये मानते है कि, जीत हासिल करने के लिये टीम को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।रणधीर जी कहते है कि, किसी भी अन्तराष्टीय में जीत हासिल करने के लिये योजना या रणनीति होनी चाहिए।और सबसे मिल झुलकर रेहना चाहिए।रणधीर जी ने सन १९६९ मे शूटिंग में चार गोल्ड मेडल हासिल किया।

भारत में बद्लाव

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यह पहले भारतीय शूटर हे जिन्होने एशियन गेम्स ने गोल्ड मेडल जीता।इन्होने भारत को अन्तराष्टीय खेलों में ३१ सालों तक १९६३ से १९९४ तक प्रतिनिधित्व किया जो सबसे लंबा प्रतिनिधित्व माना जाता हैं।इनका सिर्फ एक ही लश्र्य था,भारत का नाम आगे रख्नना और भारत को देश भर में जगह देना।इन्होने अपनी पुरी ज़िन्दगी इस काम के लिये त्याग दी।इनके इस योगदान से बहुत कुछ बदलाव दिखाई दिया।इनकी यह हिम्मत देख,लोग आगे बढने लगे।और भारत का नाम रोशन करने में लग गये।इन्होने भारत को अन्तराष्टीय में अलग ही जगह दी।इस्से हमें यह सीख मिलती हैं कि,महनत करने वालों की कभी हार नही होती।उस्से भी ज्यादा अपने आप से भरोसा नही हटाना चाहिए।और हर एक मुकाबले को निडर होके सामना करना चाहिए।

[1] [2] [3]

  1. "Big-game hunter". India Sports Tribune. The Tribune, Chandigarh. October 8, 2005. Retrieved September 7, 2017.
  2. "Randhir Singh Biography and Olympic Results | Olympics at". Sports-reference.com. 1946-10-18. Retrieved 2011-08-26.
  3. http://www.cwgdelhi2010.org/dcwg/index.php?q=node/758