Poorvika m p
Poorvika m p 18 जून 2015 से सदस्य हैं
बचपन मे यह सोचती थी कि काश मैं बडी थी । और मैं जब बडी हूई यह सोचती हूँ कि मैं बडी क्यु हूई,काश मै छोटी ही थी । बचपन की इस पनों को फिर से पलटते हुए कुछ मिठी और कडवी यादो को सोचते हूए मै पुर्वीका यह लिख रही हूँ । मेरी जन्म सकलेशपुर नामक गाँव मे हुआ। मेरी भाप के कोफी प्लेंन्टेशन के मालिक है। मेरी माँ एक गृहाणी है। मेरा एक बडी भाई है। वो अब आई.टी मै काम कर रहा है। मैं बचपन मै बहुत नटकट थी। सबी को बहुत तंक करती थी। और मेरे भाई के साथ बहुत लडती थी। उन दिनों मैं बहुत बहदूर थी,किसी से भी नही डरती थी। मैं अपनी मैट्रीक्स सकलेशपुर मे ही पूरा किया। उस समय मे पढाई मै बिलकुल दिल नही लगती थी। र्सिफ नाचने,केलने मै दिल लगती थी। मैने बहुत सारी कार्यक्रमों मे नाची है। उस केलिए कुछ प्रशस्ती मिली है। उसके बाद पि.युसी केलिए मैने बेंगलूर आयी और क्रैईस्त काँलेज मे दाकिल हुई। यह मै अपनी बहनों के साथ हास्टल मै रहती थी। उन दिनो मे बहुत चुप चाप सी रहाती थी। लोगों के साथ उतनी गुलती थी नही। आज भी वैसी हूँ। पी.यु के बाद मैने उसी विश्वविद्यालय मे बि.काँम दाकिल की थी। मैने बेंगलुर आने के बाद बहुत सारी चीचें सीकी है। अकेले काम कैसे सम्बालन,जिमेदारी से काम करन आदि बहुत कुछ सीका है। तीन साल से घर से अलग रहरहा हूँ। कभी कभी वो बहुत याद आते है। मेरी माऋभाषा कन्नड है पर मुझे हिन्दी भाषा बहुत पसंद है। और अपनी होबी के बारे मे क्या बताउ,मुझे दुरदर्शन देखने मे बहुत दिलचस है, मुझे काना पखान अच्छा लगता है,उस मै मिठाई बनान और भी अच्छा लगता है। कभी कभी कुछ किताबे पढती हूँ। मुझे तरह तरह के खाना चकने बहुत पसंद है। मिठाई उतना पसंद नही है। मुझे नाच गान पसंद है। और फिल्म देखना तो बहुत अच्छी लगती है। भविश्य मै फशिओन डिजैनर बनना चाहता हूँ। और अपनी कुद की दुखान कोलना चाहता हूँ। लोगों को तरह तरह के कपडे डिजैन करन चाहता हूँ। मुझी एक आशा हे की मै सारी देश को देखु। तरह तरह की संस्क्रती को देखु। मैं अपनी पैरो पर कुद कडी होके अपनी माँ भाप को अच्छी तरीके से देख बाल करना चाहता हूँ। उन केलिए अच्छी बेटी बनना चाहता हूँ। उनके नाम रोशन करना चाहता हूँ। अपनी यादो को,अपनी आशाऔ को कहते हूए मैं इसको अंत करना चाहता हूँ। शुक्रिया....।