Prajwaldivate1840556
नाम | प्रज्वला डिवटे |
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जन्मनाम | प्रज्वला डिवटे |
लिंग | महिला |
जन्म तिथि | 23/02/2000 |
जन्म स्थान | हुबली कर्नाटक |
देश | भारत |
नागरिकता | भारतीय |
शिक्षा तथा पेशा | |
पेशा | छात्रा |
शिक्षा | बीएससी |
महाविद्यालय | महेश पीयू कॉलेज |
विश्वविद्यालय | क्राइस्ट यूनिवर्सिटी |
उच्च माध्यामिक विद्यालय | केन्द्रीय विद्यालय एएससी केंद्र (एस) |
शौक, पसंद, और आस्था | |
धर्म | हिंदू |
मेरा नाम प्रज्वल है l मैं वर्तमान में क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बैंगलोर मैं बी.एस.सी की छात्रा हूं l मेरा जन्म 23 फरवरी सन 2000 में हुआ थाl मेरी माँ का नाम लता हैं ओर मेरे पिता का नाम शशिधर है l मेरे माता पिता दोनों इंजीनियर है l मेरी एक बड़ी बहन है जिनका नाम वर्षा हैl वह भी एक इंजीनियर की छात्रा है l मैं मूल रूप से महाराष्ट्र की हूं लेकिन कर्नाटक के धारवाड़ जिले के हुबली मे पली बढ़ी हूं l मेरी प्राथमिक शिक्षा बेंगलुरु के केंद्रीय विद्यालय मैं हुई है l फिर कुछ कारणवश मेरी आगे की पढ़ाई हुबली के महेश पीयू कॉलेज मैं हुई l आगे जाकर मैसूर के सी.एफ.टी.आर.आई से डिग्री प्राप्त करना चाहती हूं l ताकि मैं एक बायोलॉजी की छात्रा होने के नाते भारत के फ़ूड डिपार्टमेंट में अपना योगदान दे सकूंl इसके अतिरिक्त मुझे खेल-कूद के क्षेत्र में भी रूचि हैl मैं राष्ट्रीय स्तर पर एथलीट रह चुकी हूं एवं मैं राज्य पर स्विमर भी रह चुकी हूंl और मुझे थ्रोबॉल जैसे खेलों में भी बहुत रुचि है l इन सब के चलते मैं लगातार 3 साल तक अपने स्कूल में खेल विभाग की कप्तान रह चुकी हूं l जिससे मुझे टीम वर्क का भी अनुभव हुआ l जहां पर मैंने एक कप्तान होने की कई जिम्मेदारियां निभाई है l जोकि मुझे एक जिम्मेदार व्यक्ति बनाता है l इसके अलावा मुझे कलाक्षेत्र मैं भी बहुत रुचि है l मैं सोशियल मीडिया पर भी अधिक सचेत रहती हूं l जो कि मुझे समाज के प्रति जागरूक रहने का एक मौका प्रदान करता है l मैं अपने जीवन में एक सक्षम व्यक्ति बनना चाहती हूं l ताकि मेरे माता-पिता को मुझ पर गर्व हो और मैं एक आत्मनिर्भर व्यक्ति बन सकूंl मैं अपने पैरों पर खड़ी होकर अपनी सारी जिम्मेदारियों को खुद पूरा करना चाहती हूं l मैं अपने जीवन में अपनी माँ को अपना आदर्श मानती हूं l जो कि मुझे हमेशा अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है l उन्होंने सदैव ही मुझे अपनी गलतियों को अपना शिक्षक मानने की सलाह दी है l ताकि मैं हमेशा अपनी गलतियों से सीखो ना कि उन्हें दोहराउl बेंगलुरु में मेरे कई दोस्त बने है l जो हमारे देश की अलग-अलग क्षेत्रों से है l जिनसे मुझे भारत के विभिन्न संस्कृति के बारे में जानने को मिलता है l मैंने अपने बचपन का अधिकतर समय अपनी नानी के पास ही बिताया है l जिन्होंने मुझे जीवन के अनेक मूल्यों से अवगत करवाया एवं मुझे खाना बनाना भी सिखायाl जिसमें उनके कई तरह-तरह के नुस्खे भी शामिल है l उनका मानना था कि खान-पान हमें अलग-अलग संस्कृतियों से जोड़ता है l इसलिए उन्होंने मुझे कई लोस्ट रेसिपीज के बारे में बताया, जिन्हें बनाना अवश्य ही थोड़ा कठिन है लेकिन फिर उसका स्वाद भी उतना ही अनोखा हैl पकवान एवं उनसे जुड़े त्योहार मेरे और मेरी नानी के बातों को और भी रोचक बनाते हैं l उन्होंने मुझे समस्त भारत में मनाए जाने वाले त्योहार और उनके मूल्यों से अवगत करवाया l उन्होंने मुझे घर में एक बुजुर्ग की उपस्थिति के महत्त्व का एहसास करवाया l मुझे पशुओं से भी बहुत लगाव है खासकर की कुत्तों से l मैं एक खुशमिजाज लड़की हूं l एवं हर चीज में सकारात्मकता को देखती हूं l मेरा मानना है कि जीवन में घटने वाली हर घटना की कोई-ना-कोई वजह जरूर होती है जोकि हमें एक सिख सिखा जाती है l