स्द्फ्स स्द्फ्स्द्फ स्द्फ्ग स्ग्स्ग ह्त्र्ह ५४५ य्ह्त्र्ग्ग्ब्द्ग्ब्ग्ब्ब्ग्ब्फ्द्ब्फ्द्फ्द् ल ये देवी देवता, संत महात्मा, या भगवान ही किसी धार्मिक बात को बताते हैं। और उस समय या उसके बाद स्मरण शक्ति या दिव्य तेज के आधार पर कोई धार्मिक

व्यक्ति या ये स्वयं या दुसरे जरिये से ये बातें लिख दी जाती हैं । जो आज हमको अनेक धार्मिक किताबों/ग्रंथों  के रूप मैं उपलब्ध है ।
            अर्थार्त ये किताबें, ग्रन्थ ही सभी धार्मिक बातों का अंतिम मुख्य प्रमाण होती है।
अब समस्या  ये है की इतने सारे शास्त्रों -ग्रंथो में से कोन सा शास्त्र प्रमाणिक परम (सबसे ऊँचा) शास्त्र है। तो समाधान है की ..मान लेते हैं की क ने  

अपनी जीवनी ए को सुनाई अब ए ने जो सुना वह किसी दुसरे बी को जिसने अभी तक वह जीवनी नहीं सुनी थी, सुनाई और बी ने फिर से क को सुनाई

तो जो जीवनी क ने  ए को सुनाई थी उसमे और जो बी ने क को सुनाई  है उसमे बहुत ज्यादा अंतर है। आप भी ये प्रयोग कर सकते हैं।
      ठीक उसी प्रकार यदि हम गहराई से अध्यन करें तो पाते हैं की वेदों से लेकर सभी शास्त्र या धार्मिक पुस्तक ( श्रीमद भगवद गीता को छोड़ कर )  

भगवान् के अलावा अन्य किसी के द्वारा लिखी गयी है, जिससे उसमें लिखने