सदस्य:Preranaa.gupta/प्रयोगपृष्ठ/2
भ्रम विकार
संपादित करेंपरिचय अथवा विशेषता
संपादित करेंभ्रम विकार एक दुर्लभ मानसिक बीमारी है जिसमें रोगी भ्रम प्रस्तुत करता है परन्तु किसी भी प्रमुख भेदभाव , विचार विकार , मनोदशा विकार या प्रभाव की महवत्पूर्णता नहीं दिखाता है। भ्रम , मनोविकृति का एक विशिष्ट लक्षण माना जाता हैं। सामग्री में भ्रम , विचित्र या गैर-विचित्र हो सकता है अतः गैर-विचित्र भ्रम में झूठी धारणाएँ होती है जिनमें ऐसी स्तिथियाँ शामिल होती हैं जो वास्तविक जीवन में संभावित रूप से हो सकती हैं जैसे हानिकारक या विषपूर्ण घटनाए। भ्रम के अलावा, भ्रम संबंधी विकार वाले लोग सामान्य तरीके से सामाजिक जीवन बिताते हैं और उनका व्यव्हार आम तौर पर असामान्य नहीं दिखता। यद्यपि, भ्रमित रोगियों के जीवन में कुछ प्रकार के विघटन की उपस्थिति होती है। भ्रम विकार अक्सर मध्यम से देर वयस्क जीवन में प्रतीत होता है जो ३३- ५५ के बीच में प्रचलित है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह अधिक साधारण है। [1]
वर्गीकरण
संपादित करेंभ्रम विकार के निदान के लिए घ्राण एवं स्पर्शनीय माया की समक्षता विशिष्ठ होती है परंतु कर्णगोचर और दृष्टि माया की प्रमुखता अतिसूक्ष्म होती है। भ्रम किसी ड्रग , औषधि-प्रयोग या वैद्यक- संभोदित के उपयोग का परिणाम नहीं होता। जब तक किसी भी व्यक्ति को स्किज़ोफ्रेनिया से निरूपण नहीं किया जाता , तब तक भ्रम संबंधी विकार के लिए उस व्यक्ति को चेक नहीं किया जा सकता है। भ्रम संबंधी विकार वाला व्यक्ति दैनिक जीवन के सारे कार्यों को गंभीर तीव्रता से पूर्ण करता है। जर्मन मनोचिकित्सक एमिल क्रेपेलिन के अनुसार , भ्रम संबंधी विकार वाले रोगी सुसंगत , स्पष्ट , समझदार और यथोचित बने रहते हैं। मानसिक विकारों का नैदानिक और मेंसांख्यिकीय मैनुअल के अनुसार इस विकार में छः उपप्रकार चिन्हित किए गए हैं - [१] एरोटोमनिक - व्यक्ति को निश्चित रूप से लगता है कि कोई उनसे प्यार करता है। [२] ग्रान्डिओसे - व्यक्ति मानता है कि वह अधिक स्थूल , बलवान , तीव्र , धनी और बुद्धिमत्तापूर्ण है। [३] ईर्षालु - व्यक्ति को अनुभव होता है कि उनका प्रेम साथी उनको धोखा दे रहा है। [४] परसेकटरी - भ्रमित व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसे या उसके करीब जो व्यक्ति हो , को द्वेष से भरे व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। [५] दैहिक - भ्रमित व्यक्ति को प्रतीत होता है कि वह किसी रोग का शिकार है। [६] मिश्रित- एक से अधिक उपप्रकार के लक्षण उपस्तिथ हों। [2]
निष्कर्ष
संपादित करेंभ्रम विकार का कारण अज्ञात है परन्तु आनुवंशिक , बायोकैमिकल और परिवेष्टक तत्वों को इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने योग्य समझा जाता है। जिन व्यक्तियों को भ्रम संबंधी विकार होता है , उनके न्यूरोट्रांसमीटर यानि रसायन जो मस्तिष्क को संदेश भेजते हैं और प्राप्त करते हैं , उन में असंतुलीनता दिखाई देती है। भ्रम संबंधी विकारों के उपचार में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अधिकांश रोगियों की अंतर्गत दृष्टि अधिक सीमित होती है और इन्हे अपनी समस्यायों की स्वीकृति करने में कठिनाई महसूस होती है। इसी कारण इन मरीज़ों को चिकित्सालय में नहीं बल्कि बाहरी रोगी के तौर से चिकित्सा का लाभ दिया जाता है। हालाँकि , मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता मानी जाती है क्यूंकि स्वयं या दूसरों को हानि पहुंचने का संकट बना रहता है। प्रस्तुत विकार में डॉक्टर , समूह मनोचिकित्सा के बजाय व्यक्तिगत मनोचिकित्सा की सलाह देतें हैं क्यूंकि रोगी प्रायः संदेहजनक व भावुक होता है। [3]