सदस्य:Priya.Singh/प्रयोगपृष्ठ/2
शिगेरु योशीदा | |
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जन्म | २२ सितम्बर १८७८ योकोसुका |
मौत | २० अक्टूबर १९६७ |
राष्ट्रीयता | जापानी |
शिगेरू योशीदा का जन्म २२ सितंबर १८७८ को हुआ था। वह एक जापानी राजनयिक और राजनेता थे। वे १९४६- १९४७ और १९४८ से १९५४ तक जापान के प्रधान मंत्री रहे, जिसके कारण वह जापान के सबसे लम्बा कार्यकाल सम्भालने वाले प्रधान मंत्रियों मे से एक बने।
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंशिगेरू योशीदा का जन्म १८७८ में योकोसुका में हुआ था। उनके पिता एक व्यवसायी और एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे जो १८९० में जापानी संसद के भी सदस्य बने। उनके पिता को १८८१ में राजनीतिक गतिविधियों के लिये गिरफ़्तार कर लिया गया जिसके कारण उनको उनके पिता के दोस्त ने गोद ले लिया। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर के उन्होंने कीयो यूनिवर्सिटी और टोक्यो भौतिकी यूनिवर्सिटी में कुछ दिनों तक पढ़ाई की। सन १८९७ में उन्होंने पीअर्स स्कूल में दाखिला लिया जहाँ उनहोंने सार्वजनिक सेवा के लिये तैयारी की। वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद टोक्यो शाही यूनिवरर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। १९०६ में विदेश सेवा की परीक्षा को उत्तीर्ण करके वे जापान के विदेश सेवा दल में शामिल हो गये।
उनकी शादी सन १९०९ में मकीनो युकीको से हुई जिससे उनके चार बच्चे हुए। उनके एक पोते तारो एएसाओ जापान के बानवें प्रधान मंत्री बने।
राजनयिक जीवन
संपादित करेंउनके राजनयिक जीवन की शुरूआती दिनों में उन्होंने चीन, इटली एंव कोरिया में काम किया। सन १९१६ में वह अमेरिका में जापानी दूतावास में काम करने गये और १९१८ में जीनान, चीन में तैनात किये गये। सन १९२० में वे यूनाइटेड किंगडम में जापानी दूतवास के पहले सचीव बने। १९२२ में वे चीन वापस आ गये। १९२८ में स्वीडन, नॉर्वे और डेनमार्क में मंत्री रहे जिसके बाद ही उनको उप विदेश मंत्री बना दिया गया था, जिस पद को उन्होंने १९३० तक संभाला। १९३० में वह वापस इटली के राजदूत बनकर चले गये और १९३६ में वह यूनाइटेड किंगडम में जापानी राजदूत के तौर पर भेजे गये जहां उनहोंने १९३८ तक काम किया। इसके बाद उन्होंने राजनयिक सेवा से विरत ले ली।[1]
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया, तब जापान विजयी देशों के कब्जे में आ गया। इस दौरान, जापान में लिबरल पार्टी की स्थापना हुई जिसमे शिगेरु योशीदा शामिल हुए। १९४६ के चुनाव में उनकी पार्टी विजयी हुई। पार्टी के सरदार इचिरो हाटोयामा को प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया लेकिन हाटोयामा को मित्र राष्ट्रों ने हटा दिया गया और शिगेरू योशिदा को प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया।[2] शिगेरु योशिदा २२ मई १९४६ को जापान के पैंतालिसवें प्रधान मंत्री बने।
प्रधानमंत्रित्व
संपादित करें१५ अक्टूबर १९४८ को शिगेरू योशीदा एक बार फ़िर से जापान के प्रधान मंत्री नियुक्त किये गये। सन १९५१ में उन्होंने सैन फ्रांसिस्को की संधि पर हस्ताक्षर किया जिसमें जापान ने मित्र राष्ट्रों के साथ शातिं का समझौता किया और जिससे मित्र राष्ट्रों का जापान पर कब्जा समाप्त हुआ।[3] उनकी नीतियाँ जापान की अर्थव्यवस्था पुनः समृद्ध बनाने में सफल रही। उनकी नितियों में अमेरिका की सैन्य सुरक्षा पर निर्भरता भी शामिल थी और जापान की आर्थिक सुधार पर ज़ोर डाला गया था। इसे योशीदा सिध्दांत कहा जाता है। इस सिध्दांत ने शीतयुध्द के समय जापान की विदेश नीति को आकार देने में मदद की। उनकी नीतियाँ जापान के आर्थिक विकास के लिये जिम्मेदार है।[4]
शिगेरू योशीदा की मृत्यू सन १९६७ में हुइ। उनका अंतिम संस्कार सेंट मैरी कैथेड्रल, टोक्यो में आयोजित किया गया।
संदर्भ
संपादित करें- ↑ https://ww2db.com/person_bio.php?person_id=271
- ↑ https://www.britannica.com/biography/Yoshida-Shigeru
- ↑ https://www.japantimes.co.jp/news/2016/12/26/national/history/former-prime-minister-yoshidas-low-key-pearl-harbor-visit-recounted/#.XGBJblUzbIU
- ↑ https://www.japanpitt.pitt.edu/glossary/yoshida-doctrine