भारतीय सिनेमा

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सिनेमा हमेशा से भारतीय संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रह चुका है। पिछले सौ सालों में भारतीय सिनेमा ने फिल्म निर्माण और व्यवसाय में अभूतपूर्व वृद्धि की है। वर्तमान काल में भारत में हर साल एक हज़ार से अधिक फिल्मों का उत्पादन होता है और यह फिल्में बीस से अधिक भाषाओं में उत्पन्न किया जाता है। भारत में फिल्म पत्रकारिता काफ़ी हद तक गैर-गंभीर है और अक्सर केवल मनोरंजन केंद्रित है। वह फिल्मों से ज़्यादा उन्की नायकों और नायिकाओं से संबंधित गपशप में दिलचस्पी रखते है और उनकी जानकारी पाने को ही फिल्म पत्रकारिता का मुख्य चरण समझते है। फिल्म रिपोर्टिंग में अब ध्यान धीरे-धीरे गंभीर लेख से गपशप और सनसनीखेज के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है।[1]

सन १९२० में बंगाल राज्य में 'बिजोलि' नामक एक पत्रिका को प्रकाशित किया गया था जो भारत के सब्से पहले पत्रिकाओं में से एक है। [2]उसके बाद सन १९२४ में 'जे के द्विवेदि' ने बंबई में 'मौज मजाह' का प्रक्षेपण किया। यह गुजराती में लिखा था और विशेष रूप से सिनेमा पर आधारित था। १९३० के दशक में कलाकारों के बीच स्टारडम और सेलिब्रिटी के विकास की विचारों को विकसित किया गया। इस कारण रिपोर्टरों और आलोचकों का जुनून फिल्मों में वृद्धि हुई ताकि उन्हें प्रमुख कार्यक्रमों और अभिनेताओं के साथ अकसर लाल कालीनों में देखा जाए। इस तरह भारत में एक के बाद एक बहुत सारे रिपोर्टस, पत्रिकाएँ और समीक्षाएँ फिल्मों पर लिखि गई है। [3]

भारतीय फिल्म पत्रकारिता

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फिल्म पत्रकारिता में फिल्मों का एक जटिल विश्लेषण और मूल्यांकन किया जाता है और उसके बाद एक निर्णय लिया जाता है जिससे पता चलता है कि वह फिल्म अच्छा है या बुरा है। एक फिल्म पत्रकार वह होता है जो फिल्म या मनोरंजन उद्योग से संबंधित फिल्मों, अभिनेता और लोगों के बारे में रिपोर्ट करता है। पत्रकारिता कि इस क्षेत्र में फिल्म पत्रकारक मुख्य रूप से अखबारों, पत्रिकाओं, प्रसारण मीड़िया और ऑनलाइन प्रकाशनों में काम करते है और अधिकतर नई रिलीज़ फिल्मों का समीक्षा देते है। फिल्म आलोचक अपनी इस समीक्षा में चरमोत्कर्ष का खुलासा किए बिना फिल्म का विवरण और कथानक सारांश देते हैं। यह समीक्षा दर्शकों की फिल्म देखने की इच्छा को प्रभावित कर सकता है और बॉक्स ऑफिस के प्रदर्शन और बिक्री में भी प्रभाव डाल सकता है।

कई सारे पत्रकारों का यह मानना है कि अख़बारों में फिल्मों पर लिखे लेखों को प्रकाशित करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। अनुभवी फिल्म आलोचकों और पत्रकारों ने यह भी कहा ​​है कि तेजी से बेखबर और गैर योग्य लोगों को सिनेमा को कवर करने के लिए भेजा जाता है। दिग्गज फिल्म समीक्षक सुधीर बोस को यह शिकायत है कि मीडिया ने लोगों को सिनेमा के बारे में जानकारी देने और उन्हें शिक्षित करने में अपनी भूमिका नहीं निभाई और वे इस कार्य में असफल रह गये।[4]


आज के ज़माने में इंटरनेट और सोशल मीडिया ने बहुत सारे शौकीय फिल्म पत्रकारों और आलोचकों को अपनी आवाज़ उठाने केलिए असीमित अवसर दिये है। इन ओनलाइन फिल्म समीक्षा का यही फायदा है कि देश-विदेश में बैठे कोई इसको पढ़ सकता है। फिल्म-सामग्री केंद्रित वेबसाइटें तो अब सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं। कई स्थापित फिल्म पत्रिकाओं ने अपने वेब संस्करण भी शुरू किया है।[5]

योग्यताएँ और आवश्यकताएँ

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एक फिल्म पत्रकार या समीक्षक बनने के लिए आमतौर पर एक व्यक्ति को फिल्म के अध्ययन या पत्रकारिता में एक ड़िग्री हासिल करना आवश्यक है। उन्हें एक लेखक या प्रकाशित लेखक के भूमिका या रूप में पूर्व अनुभव होना चाहिए। जो लोग इस क्षेत्र में सफल होना चाहते है उसका फिल्मों में ज्ञान और रुचि उत्कृष्ट होनी चाहिए। उसे सक्रिय रूप से सुनने की आदत होनी चाहिए लेखन कौशल अच्छा होनी चाहिए। एक फिल्म पत्रकार को वर्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम और वेब आधारित सामग्री प्रबंधन प्रणालियों में कुशल होना चाहिए और हर विवरण को ध्यान में रखना चाहिए। आज की दुनिया में, फिल्म पत्रकारों के लिए कई सारे अवसर मौजूद हैं। लोगों को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि एक फिल्म पत्रकार का काम भी बहुत मुशकिल है।[6]

भारत में बेहतर फिल्म पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए हमारी सर्कार, समाज और अलग-अलग तरह के समूह बहुत प्रयास कर रहा है। सिनेमा में ब्याज लेने वाले छात्रों को वे पुरस्कार, फेलोशिप और छात्रवृत्तियां दे रहे है और कई मीडिया स्कूलों को शुरु कर रहे है ताकि भारत में फिल्म पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहतर प्रशिक्षित पेशेवरों का मंथन किया जा सकता है।

प्रसिद्ध फिल्म पत्रिकाएँ

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भारत में फिल्म और मनोरंजन उद्योग से संबंधित कई पत्रिकाएँ हैं जिसे बढ़ी संख्या में पढ़ते है। इन सब में से सबसे लोकप्रिय है फिल्मफेयर, स्टारडस्ट, फेमिना, कॉस्मोपॉलिटन, विमेंस एरा और आदि।[7]

प्रसिद्ध फिल्म पत्रकार

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फिल्म पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत सारे प्रसिद्ध फिल्म पत्रकार मौजूद हैं। इन्में से कुछ लोगों के नाम है - देवयानि छौबाल, राजीव मसंद, अनुपमा छोप्रा, मयंक शेखर, तरण आदर्श, म्रिनल सेन और आदि। इन लोगों ने भारतीय फिल्म पत्रकारिता में बहुत ही महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई है जिस कारण सरकार ने उन्हें अनेक पुरसकारों से सम्मानित किया है। Dkpatel

  1. http://tehelkahindi.com/barter-game-in-film-journalism/
  2. http://www.vaniprakashan.in/details.php?lang=H&prod_id=387&title=%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%20%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
  3. http://vgmcu.blogspot.in/2014/10/blog-post_14.html
  4. http://www.mediamagazine.in/content/film-journalism-india
  5. http://www.culturopedia.net/cinema/film_journalism.html
  6. https://study.com/articles/Become_a_Film_Critic_Education_and_Career_Roadmap.html
  7. https://www.w3newspapers.com/india/magazines/