Priyanka1840646
मेरी तस्वीर | |
नाम | प्रियंका साह |
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जन्म तिथि | १७ मई २००० |
जन्म स्थान | बेगलुर |
देश | भारत |
नागरिकता | भारतीय |
शिक्षा तथा पेशा | |
शिक्षा | बीएससी |
महाविद्यालय | क्राइस्ट यूनिवर्सिटी |
विश्वविद्यालय | क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु |
उच्च माध्यामिक विद्यालय | एस अफ एस् |
सम्पर्क विवरण | |
ईमेल | priyanka.sah@science.christuniversity.in |
परिचय
संपादित करेंमेरा नाम प्रियंका साह हे। मेरा जन्म १७ माई २००० मे बंगलोर मे हुआ था। मेरा पिताजी का नाम रामाशंकर साह और माताजी का नाम मिना देवी हे। मेरा जन्म केवल बेंगलौर मे हुआ पर हमारा गाॅव बिहार है।
मेरा माता पिता का जन्म बिहार मे हुआ था । हमारा पुरा परिवाार बिहार मे रहते है। वहा हम साल मे एक या दो बार जाया करते है। हमे गाॅव जाके अपने परिवार वालो से मिलने मे बहुत खुशि मिलति है।
मेरा एक बडा भाई हे जिसका नाम राहुल है । और एक छोठि बेहन है जिसका नाम पि्रति है। मेरा भाई ने हर मुशकिल समय मे मेरा साथ दिया है। मेरे पिताजी एम ठि आर मे काम करते है और माॅ घर मे रेहती
है।पापा अपनी मेहनत से हि घर चलाते है। जो भी मिलता हे उसी मे खुश होकर हम तीनो को अच्छी शिषा देते है। मेरे पिताजि करीब २० साल पहले बेंगलोर आए यॅहा आके वो कमाने लगे और इसी तरह हम
यॅहा रहने लगे।
शिक्षा
संपादित करेंमै क्रईस्ट युनिवरसिटी मे पडती हुॅ। मै डिगरी पेहला साल मे पढती हुॅ। इससे पहले १ से १० वि कक्षा तक सेंट फारॅनसिस पाठशाला मे पढी हुॅ। जहाॅ मुझे बहुत कुछ सिखने को मिला । आज मे जो भी हुॅ ,उनकी शिषा
के वजह से हुॅ और अपने माॅ पापा के आशि्वाद के वजह से हुँ। हम तीनो भाई बहन ने ईसी पाठशाला मे अपनी पढई कि है। और १० वि के बाद ११ और १२ विक्षा क्रईस्ट मे किया । क्रईस्ट जाने के बाद
जिन्दगी के अनेक पढाऔ को जानने का मोका मिला । और वहाॅ का वतावरण ईतना अच्छा हे कि कोई भी व्यक्ति वहाॅ पढना चाहेगा । वहाॅ जाके ये पता चला कि जिन्दगी कितनी बडी है और महत्वपुण है । और बहुत
सारी चिजे समजने को भी मिला। शुरु से लेके यहाॅ तक के सफर मे ये जानने को मिला कि जिन्दगी किसी के लिये नहि रुकती हे ।बिहार से होने के बाद भी अपनी सारी पढाई बेंगलोर मे करने का मोका मिला ये मेरी
जिवन कि सबसे बढी मुल्य बात हे।
रुचिया
संपादित करेंअगर मेरे रुचियो कि बात करे तो मूझे डाॅस का बहुत शोक है। बचपन से हि डॅास का बहुत शोक है। हमारे पाठशाला मे भी जो हर एक का्रयक्रम होता था , उसमे मैं नृत्य मे भाग लेती थी । और हम थोडा बहुत गाना भी
गा लेते थे । नाचने और गाने के अलवा हमे चटपटि चिजे बनाने का भी बहुत शोक हे। चटपटी चिजे बनाने से ज्यदा हमे चटपटी चिजे खाने का बहुत शोक हे।
हमे बाहर घुमने का बहुत शोक है , जिससे हमे नई नई चिजे पता चलती है। बाहर घुमना और नए नए लोगो से मिलने का बुहुत शोक है मेरा । मेरा यह मनाना हे कि नए नए जगहो पे जाने और नए नए लोगो से
मिलने से हमे और जानकारी मिलती है । जिवन मे हर एक काम करना चहिए , और सब कुच का अनुभव होना जारुरी हे ये मेरा मनाना हे।