सदस्य:Rachana pawar/लंबाणी
लंबाणी
संपादित करेंपरिचैय
संपादित करेंलंबाणी नामक जनजाति दक्षिण भारत में जानि मानि जनजाति हैं।यह जनजाति आन्द्र प्रदेश, महाराष्ट्रा और उत्तर करनाटक के निवासि है।उन्कि भाषा की उत्पत्ति राजस्थान में हुआ था। पहले लम्बाणी जनजाति के लोग अनाज उगाते थे और सेनाओ को बेजते थे। १९४०-१९४० के समय में राजस्थान से वे लोग उत्तर भारत के ओर बडने लगे। अब कर्नाटक में भी बसे हुए हैं। माना जाता हैं कि लंबाणी जनजाति कि भाषा राजस्थान के राज्य में शुरु हुआ था। कई सालो पहले यह जनजाति के लोग सेनाओं के लिए अनाज की आपूर्ति करते थे। आदिवासी समुदाय के भारी वस्तुओं को ले जाने के लिए बैलों का इस्तेमाल किया।[1] उत्तर भारत में अपने सबसे बड़ा एकाग्रता होने के साथ उत्तर पश्चिम कर्नाटक के बाकी के आसपास बसे हैं।[2]
लंबाणी आदिवासी महिलाओं
संपादित करेंलंबाणी महिलाओं अरक, स्थानीय शराब बनाने में विशेषज्ञ है और वे समाज के विभिन्न क्षेत्रों मै बेचते थे, एक एक ग्लास के इसाब से। उनके अरक इतना लोकप्रिय है कि लोग उनसे अपने सभी त्योहारों और महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए इसे बनाने के लिए होता था।एक समय में, वे इतने लोकप्रिय हो गया है कि भारत के आबकारी विभाग उन्के पास पहुंचे और उन्हें बताया कि उनके अरक व्यापार से सरकारि क्षेत्र की शराब कारोबार पर प्रभावित कर रहा था।वे उन्हें अनुरोध के लिए अपने व्यवसाय बंद करने के लिए कहा और बदले में वे प्रत्येक घर को प्रति माह 500 रुपए देने लगे। लंबाणी लोगों के बारे में सबसे रंगीन लक्षण में से एक उनके रंगीन सजे और खुबसूरत महिलाएं हैं।
शादी
संपादित करेंआज भी,लंबाणी लोग अपने ही समुदाय में शादी करते हैं।वे एक अलग 'टांडा' (सेटलमेंट)में जाते है एक उपर्युक्त विवाह के लिए। शादी एक रंगीन प्रसंग हैं और शराब की एक असीमित की आपूर्ति के साथ मटन आधारित दावतें में शामिल है। शादियों के अलावा, वे होली, दिवाली और दशहरा जैसे त्योहारों को मनाते हैं। होली उनकी सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है और उनके लिए भी संभवतः सबसे रंगीन है।इन त्योहारों के दौरान, बहुत गायन, नृत्य, स्वादिष्ट भोजन और शराब का आयोजन होता है।[3]
जीवन
संपादित करेंलंबाणी जनजातियों के लोग एक जगह से दुसरे जगह घूमते रहते है। लंबाणी आदिवासी समुदाय के लोग देवी शक्ति की पूजा करते हैं।