राज सिंह राजपूत भाटा मेरा जन्म सन् १९९७ में हुआ ,  बचपन में जब में २.५ साल का था।  तब मुझे एक विषधारी शॉप आया और मेरे पाव पर मुझे डच लिया , उसके बाद में हास्पिटल में लेके गए।  हास्पिटल सिणधरी में मेरा इलाज नहीं हो  पाया। डॉक्टर सब ने मेरे को दूसरे हॉस्पिटल में भर्ती करने को कहा, तब मुझे सिणधरी से बालोतरा लेकर गए और बालोतरा में मुझे भर्ती कराया गया।  उस समय मेरे पिताजी मुम्बई में थे।  मुम्बई में नोकरी करते थे , पैसा था नही। तब मेरे पिताजी के पास कॉल किया गया ,जब मेरे पिताजी मुम्बई से उसी टाइम निकल गए, गर की और रवाना हो गए।  मुझे ७ दिन के बाद होश आया तब जेक सब लोंगों ने खाना खाया।  तो थी मेरी बचपन की कहानी।

अब बात है जब की तब मेरी उम्र ४ साल थी , उस समय मेरे दादाजी का सर्ग वास  हो गया।  उस समय मेरे को एक ही बात याद है की जब मेरे गर  पे बहल था उससे लकड़ी एकता कर के  लाया

विद्यालय

पहला विद्यालय मेरा धूड़िया मोती सिंह फिर दूसरा था उमाणियो  का नाडा  वहा पे मेने ५वी  पास की।तीसरा विद्यालय भाटा ६वी  से ८वी कक्षा  पास किया।   उसके बाद में १४ किलोमीटर चाईकिल से आना और जाना था।  ९वी कक्षा पास किया और उसके बाद में गढ़ सिवाना में १० वी  से १२वी पास की और फिर में वहाँ से मुम्बई आ गया।

आज मैं मुम्बई में हूँ जो एक कंप्यूटर ऑपरेटर   हूँ ॥॥।