Ramkumar kumhar
Name - Ramkumar Kumhar
He has achieved success in his life very quickly. The company has honored them for the Survey Shorthund trainer it's a matter of pride for us.
Birth place - Chandipara,Apharid, janjgir-champa, (C.G) PIN - 495660
Father name - Mr. Hetram Kumhar
Mother name - Leela bai Kumhar
3 brothers
1- Mr Radheshyam kumhar
2- Mr Ramnarayan Kumhar
3 - Mr Ramkumar Kumhar
1 sister
Radhika Devi kumhar
Address - Chandi Para, apharid, champa(c.g.) India.
District - janjgir-champa (C.G.)
State - Chhattisgarh
Country - india
Date of birth - 15-08-1995
Work - Nipane industry privet limited Branch manager n area manager champa (C.G.)
POSTING :-
(1) :- 15-06-2015 SURAJPUR ( DIST. MANAGER)
(2) :- 04-10-2015 DHAMTARI ( DIST. MANAGER)
(3) :- 17-12-2015 KAWARDHA (DIST. MANAGER)
(4) :- 04-03-2016 BEMETARA (DIST. MANAGER )
(5) :- 12-06-2016 RAIGARH (DIST. MANAGER )
((6) :- 18-08-2016 BILASPUR (DIST. MANAGER)
(7) :- 03-01-2017 JANJGIR-CHAMPA ( DIST. MANAGER and C.G. STATE MANAGEMENT DIRECTOR )
05-05-2017 IDEA DISTRIBUTOR F.O.S. 1 YEAR (JANJGIR-CHAMPA) C.G.
CURRENT WORK IS :- Radha madhav corporation limited DISTRIBUTOR AT:- JANJGIR-CHAMPA Join :- 16-10-2018
REJOINING 02/05/2019 NIPANE INDUSTRY PRIVATE LIMITED. BILASPUR
Aducation
School - 1st KG to 8th class
Gyanoday shishu mandir Apharid
School - 9th to 12th class
Amar deep Higher secondary public School champa(C.G.)
COLLEGE:- C.V. Raman University Champa. B.sc. math's.
Contect number :- 7770938073
*New story* समय और समझ
यह कहानी है अभिलाषाओं की, समय और समझ की, और इन सब से निकलने वाली एक आंसू के बूंद की है | हाँ अभी मेरी आँखों में आँसु है और मन में एक हल्की सी मुस्कान भी है | लेकिन ये आंसू ख़ुशी के नहीं है पर ये मुस्कान इस आंसू की देन है | इस जीवन में समय और समझ का खेल चलते रहता है | जब समय होता है तब समझ नहीं होती और समझ के आ जाने पर समय नहीं बचता है | हम तो बस अपनी आवश्यक्ताओ एवं प्रलोभनों में उलझे हुए रहते है | इन सबसे ही एक कहानी निकलकर आती है और जब इस कहानी में एक समझ निहित होती है तो वह स्वयं एक ग्रन्थ बन जाती है | लेकिन अगर किसी पुराण या ग्रंथ से उस समझ को अलग कर दे तो वह बस एक कहानी बनकर रह जाती है | अब बात करते है मेरी कहानी की .......
हम शुरुआत हमेसा एक रोमांच के साथ करते है जिसमे उत्साह और उमंग होता है | फिर हमसे कुछ गलतियाँ होती है और इन गलतियों से जन्म लेती है आंसू और वेदना से भरी कई राते जिनमे अपनी ही स्मृतियों से लड़ती अनंत सिसकियां एक असहनीय व्यथा का सामना करती है | दुःख इतना जो सागर से बड़ा और राते सदियों सी लम्बी लगने लगती है | फिर इन सिसकियों के बीच से दिमाग में घंटी मन के द्वारे एक रसबूंद छलकती है और इन सबके बीच जन्म होता है एक समझ का | समझ वह जो पूरी कहानी का सार बनकर सामने आता है | और कहानी का अंत होता है ,हल्की मुस्कान भरी आंसू की एक बूंद से जो कहती है की तुम्हारे क्षमताए और नयी उमंग है | बस जरूरत है तो एक नयी उम्मीद जगाने की |
पूरी बात को अगर आसान शब्दो में बताना हो तो "समय और समझ भले ही एक साथ ना मिले मगर जीवन तो बस समझ जगाने का ही खेल है जिसके बिना समय बस एक मृत कहानी बनकर रह जाती है | "
मां और पिता पर कविता :-
मैंने माँ को है जाना, जब से दुनिया है देखी प्यार माँ का पहचाना, जब से उंगली है थामी. त्याग की भावना जो है माँ के भीतर, प्यार उससे भी गहरा जितना गहरा समंदर. अटल विश्वास माँ का, माँ की ममता डोरी माँ के आंचल की छांव, माँ की मुस्कान प्यारी. माँ ही है इस जहां में जो सबसे न्यारी, सीचती है जो हमारे जीवन की क्यारी. माँ की आंखों में देखें सपने हजार हमारे वास्ते, मंजिलें बनाई ने अपनी न माँ ने चूने अपने रास्ते. डगमगाए कदम जो तो है थाम लेती, गर हो जाऊं उदास तो माँ प्यार देती. मेरे लिए वह करती अपनी खुशियां कुर्बान, गम के सैलाब में भी बिखेरती है मुस्कान. वो सिमटी थी घर तक रखती थी सब का मान, हर कमी को पूरा करने में जिसने लगा रखी है जान. वजूद माँ का और माँ की पहचान, रखना माँ के लिए सदा ह्रदय में सम्मान.
माँ की ममता करुणा न्यारी, जैसे दया की चादर. शक्ति देती नित हम सबको, बन अमृत की गागर. साया बनकर साथ निभाती, चोट न लगने देती. पीड़ा अपने ऊपर ले लेती, सदा सदा सुख देती. माँ का आंचल सब खुशियों की रंगारंग फुलवारी, इसके चरणों में जन्नत है आनंद की किलकारी. अद्भुत माँ का रूप सलोना बिल्कुल रब के जैसा, प्रेम की सागर से लहराता इसका अपनापन ऐसा.
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है बस यही माँ की परिभाषा है. हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है हम पत्थर की हैं संग वह कंचन की कृनीका है हम बकवास हैं वह भाषण हैं हम सरकार हैं वह शासन हैं हम लव कुश है वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है. हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है. हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है. बस यही माँ की परिभाषा है.
माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्वा होते हैं. माँ के पास अश्रुधारा तो पिता के पास संयम होता है. दोनो समय का भोजन माँ बनाती है तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता होते हैं. कभी चोट लगे तो मुंह से ‘ ओह माँ ’ निकलता है रास्ता पार करते वक़्त कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो ‘ बाप रे ’ ही निकलता है. क्यूं कि छोटे छोटे संकट के लिये माँ याद आती है मगर बड़े संकट के वक़्त पिता याद आते हैं. पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल च्हाव मे, सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता है…!!!!
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता कभी धरती तो कभी आसमान है पिता अगर जन्म दिया है माँ ने जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….” “कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता… कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता… माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है… तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..” कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…” “कभी रोटी तो कभी पानी है पिता… कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता… माँ अगर है मासूम सी लोरी… तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता….” “कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता… कभी मौन तो कभी भाषण है पिता… माँ अगर घर में रसोई है… तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….” “कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता… कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता… माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने… तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता….” “कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता… कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता… माँ तो कह देती है अपने दिल की बात… सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता….”
धन्यवाद् मां और पिता जी।
Ramkumar kumhar prajapati