Ritikagoenka
नाम | ritika goenka |
---|---|
जन्मनाम | ritika goenka |
लिंग | महिला |
जन्म तिथि | 27 february 1997 |
जन्म स्थान | belpahar |
निवास स्थान | --- |
देश | भारत |
नागरिकता | भारतीय |
जातियता | भारतीय |
शिक्षा तथा पेशा | |
पेशा | छात्र |
नियोक्ता | --- |
शिक्षा | बीएससी |
महाविद्यालय | क्राइस्ट यूनिवर्सिटी |
विश्वविद्यालय | क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु |
उच्च माध्यामिक विद्यालय | kiit international school |
शौक, पसंद, और आस्था | |
शौक | संगीत सुनना, किताब पढना |
धर्म | hindu |
राजनीती | स्वतंत्र |
उपनाम | --- |
चलचित्र तथा प्रस्तुति | मनोरंजन के लिएँ (कल हो न हो, वाज़ीर ) |
पुस्तक | सभी तरह के (हाल ही में पढी हुई किताब - अलब्र्द आइस्ताइन् (अंग्रेजी) |
रुचियाँ | |
बास्कट बॉल | |
फेसबुक | ritika goenka |
यह चम-चम करती रौशनी,अपने आप में मांगन ये लोग, गाड़ीयो की आवाज़े,भाती भाती के भोजनालय, धर्मशाला,पाठशाला,कारखाने ,इमारते से भरा हुआ है टिक उसी तरह जैसे माँ कहती थी.माँ- बापूजी की बहुत इचा थी की में शहर में पढ़ु और नाम कमाऊ. शहर हमेशा किसी दौड़ में रहता है मुझे समझ नै आता की इससे जाना कहाँ है. शहर हर समय भरा भरा रहता है, मेरे आस पास भी सेखडो लोग मौजूद रहते है परन्तु तब भी कुछ खली सा लगता है. यह अनुभूती घर या छात्रावास में कभी भी नै आती थी. वहां से कई अधि लोग यहाँ रहते है परन्तु कोई भी अपना सा नै लगता है. जब भी में कॉलेज के लिए सड़क में बस का इंतज़ार करती हुँ, तब मुझ अपने स्कूल जाने के वक़्त की बहुत याद आती है. कभी कभी में उन् यादों में इयंा खो जाती हुँ की मुझ लगता है की में स्कूल ही पहुँच गयी हुँ. छात्रावास छोड़ने के पश्चात हम सभी दोस्त लग हो गए है. कितनी आश्चार्यजनक बात है की जब हम साथ थे तब हमेशा लड़ाई-जगहदा करते रहते थे, और जब आब अलग हुए है तब एक पल भी ऐसा नहीं जाता की किसी की याद न आये. चार साल किसी से दोस्ती करना उसको अपने ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा बंनाने के लिया काफी होता है शायद. हमारी एक बड़ी सी टोली थी जो शैतानी करने में हमेशा आगे रहती थी किन्तु हम बुरी बचे नहीं थे हम अपनी पड़े और अपने अध्यापकों का मैं रखना आता था.हमारे किसी के अंदर मन मुटाव नहीं था किसी के प्रति और कुछ नौक-जौक तो एक मजबूत रिश्ते की निशानी होती है. यूँ तोह किस्से बहुत है हमारे दोस्ती के और या यूँ समझ लीजिये की एक पूरी मोती किताब लिखी जा सकती है उन ऐतिहासिक पलों के बारे में. वह एक एक बिता पल ने मुझे आज बनाया है. आज मेरी सोच, मेरा स्वभाव,मेरी आदतें सब उन्ही बीते पलों का आज है. इसलिए कहते है मनुष्य अपना बिता हुआ कल लेकर चलता है. जितना मुझे अपने दोस्तों के प्रति निष्ठा और प्यार है उससे थोड़ा सा जयादा अपने माता-पिता के लिए भी है. मेरी लिए दोनों ही बहुत मायने रखते है मेरी यह छोटी सी जीवन में. मेरी पिताजी और माँ मुझ बहुत बखूबी समझते है इसलिए कभी उनसे कोई शिकायत नहीं हुई मुझे, उनका यह प्यार देख मुझे उन के प्रति और भी इज्जत और प्यार आता है. मेरा हमेशा से यह शौक था की मेरी खुद्की एक दूकान हो, कला और शिल्प की. पिताजी ने मुझे कभी रोक नहीं अपने सपनो के पीछे दौड़ने के लिए, परन्तु जब भी घर में तंगी आती थी मन में खुदही यह ख्याल आता था की शौक तोह बाद में भी पुरे हो सकते है पहले बड़ी बेहेन होने का फ़र्ज़ निभालूँ. छोटा भाई भी कभी कभी बौत याद आता है, हम बचन में बहुत लढा करते थे या यूँ बोलूं की आप भी लड़ते है. पर उन जगड़ों में बहुत प्यार सा एसाहस होता है.घर से दूर आने के बाद घर का प्यार और खाना दोनों ही बहुत याद आता है. पर क्या करे कुछ पाने के लिए कुछ तोह त्याग करना ही पड़ेगा. शाम धलत ही यह मन की ख़ुशी या शांति भी खो जाती घर लौट थे पंछियों को देकर ऐसा लगता है की बस अब हम भी लौट चलते है. यहाँ का घर सुन्दर है शांत है भी है किन्तु यह मन को शांति नहीं देता.बस कुछ ढूंढ़ता रहता है.इसलिए मन बहलाने के लिए कभी संगीत या किसी महान इंसान की भाषण सुन्न लेती हुँ. एक दिन ऐसे ही दिन भर की बाग़ दौड़ से लौटी घर में अपने लैपटॉप देखने ने लगी परन्तु कुछ अछा मिला नहीं तो बंद कर दिया. यह शहर में कोई बुराई नहीं है यहाँ सब बहुत अछा है. मेरे शीषक भी बहुत अच्छे है. किन्तु घर का मज़ा और पुराने दोस्तों का साथ कुछ और ही है. यहाँ अकेले खाने में कोई मज़ा नहीं है पर कोई उपाय नहीं है काम करने के लिए तो खाना आवशक है.अब शायद मुझे माँ की कह ही गयी समाज आ रही है की अगर तुम पुराने यादों को पकडे रहूंगी तोह नयी यादें कैसे जोड़ोगी, खुदको इतना बन्दे रहोगी तो ऊपर कैसे उड़गि,जैसे हम नए kapdon के इये अलग से जगह बनाते है ठीक उसी तरह नयी यादों के लिए करना पड़ता है. यह बात देर ही पर समज में तो आई मुझ अब यह मन को भी पता चल गया है की इससे क्या करना है. घर तो लौटना ही है पर कुछ बन के लौटने का अलग ही मजा है.बस इतनी ही है मेरी कहानी. परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है की मेरी कहानी का एहि ant है अभी तोह कई लोगों को हसाना है, कई लोगों को प्रेरणा देनी है, किसी के हार को जीत में बदल न है, किसी को नयी उम्मीद देनी है. मेरी कहानी मेरी जितनी ही साधारण है परन्तु मेरे कार्य उतने साधारण नहीं होगें में इतनी म्हणत करुँगी की मेरी सफलता ही शोर मचा देगी यह मेरी जीवन की अभीप्रेरण है.