महाराजा अहिबरन बरनवाल समुदाय के पूर्वज राजा थे। अयोध्या के सम्राट मान्धाता के २१वें पीढ़ी के वंशज अहिबरन एक सूर्यवंशी क्षत्रिय थे। यह वही अयोध्या है जहाँ भगवान श्रीराम का जन्म हुआ और जहाँ उन्होंने राज किया। राजा अहिबरन के वंशजों को बरनवाले या बरनवाल बुलाया गया। वो एक तोमर राजा थे जिनके वंश ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा की जमीन पर राज किया। डोर वंश के हरदत्त के उत्थान से, कालांतर में, इन क्षेत्रों की गद्दी डोर और चौहान राजाओं की हो गयी। हरदत्त ने बरनपुर (आज का बुलंदशहर), मेरठ और कोईल पर कब्ज़ा किया। गज़नी के शासक महमूद के आक्रमणों से नए राजाओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस राज्य का अंतिम हिन्दू राजा चंद्रसेन थे। तोमर और डोर राजाओं के परिवार और रिश्तेदारों ने एक अलग समाज बनाया।[1]

महालक्ष्मी व्रत कथा के अनुसार धन की देवी लक्ष्मी ने राजा अहिबरन और उनके वंशजों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद दिया था।

जीवनी संपादित करें

बरनवाल समाज की नींव राजा अहिबरन ने उत्तर भारत के अहर नामक स्थान पर रखी थी। अहिबरन ने अहर राज्य का नाम बदलकर वर्णावती रखा। साथ ही वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के संस्थापक थे। 

बुलंदशहर (शाब्दिक अर्थ - ऊँचा शहर, एक ऊँची जगह स्थापित होने के कारण) नाम बरनवालों के एक अत्यंत ऊँची पहाड़ी पर स्थित पुराने किले से पड़ा है। अभी भी पुराने सरकारी कागजातों में पुराने नाम 'बरन' का पता लगाया जा सकता है। यह राजा अहिबरन के राज्य की समृद्ध राजधानी थी और बंगाल की एशियाई समाज के खण्ड ५२, भाग १-२ और दुसरी कई पत्रिकाओं के अनुसार किले के अवशेषों से यूनानी और पाली उत्कीर्ण किये हुए कई ताम्बे और सोने के सिक्के मिले हैं।

अहिबरन अयोध्या के शासक सम्राट मान्धाता से २१वीं पीढ़ी के वंशज और एक सूर्यवंशी क्षत्रिय थे। महालक्ष्मी व्रत कथा के अनुसार राजा परमाल के पुत्र अहिबरन और राजा वल्लभ के पुत्र राजा अग्रसेन एक ही वंश से सम्बंधित हैं। जाति भास्कर नामक ग्रन्थ के अनुसार सम्राट मान्धाता के दो पुत्र थे - गुणाधी और मोहन। परमाल गुणाधी के और वल्लभ मोहन के वंशज थे।[2]

संदर्भ संपादित करें

  1. North-western provinces; Atkinson, E.F.T. (1876). Statistical, descriptive and historical account of the North-western Provinces of India, ed. by E.T. Atkinson [and others]. अभिगमन तिथि 2015-05-13.
  2. http://www.antya.com/wikisearch.php?article=y&s=Bulandshahr History of Bulandshahr