एस.आरती


S. AARTHI - 1840443
नाम एस.आरती
लिंग महिला
जन्म तिथि १९ मई २०००
जन्म स्थान अम्बासमुद्रम,तमिलनाडु ,भारत ।
निवास स्थान बेंगलुरु, भारत।
देश  भारत
नागरिकता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
शिक्षा बी एस सी- डिगरी
महाविद्यालय क्राइस्ट विश्वविद्यालय
उच्च माध्यामिक विद्यालय केन्द्रीय विद्यालय
शौक, पसंद, और आस्था
शौक नृत्य,खेल
धर्म हिन्दू
सम्पर्क विवरण
ईमेल aarthi.kv.2000@gmail.com

मेरा नाम एस.आरती है। मैं फिल्हाल बेंगलूरू के क्राइस्ट विश्‍वविद्यालय में अपनी डिगरी कर रही हूँ। मेरा जन्म १९ मई २००० में भारत के तमिलनाडू राज्य में हुआ था। मेरी किस्मत इतनी अजीब है कि तमिलनाडु के होने के बावजूद मुझे वहाँ पढ़ने का अवसर नहीं मिला। मेरे पिता की सरकारी नौकरी की वजह से मुझे भारत के अलग-अलग जगह एवं संस्कृति में बड़े होने का अद्भुत अनुभव मिला। मेरा बचपन महाराष्ट्र के नागपुर के शांत वातावरण में बीता। उसके बाद असम से मैंने दसवी पूरी की। वहाँ की हरियाली काफी मनमोहक रही। उसके बाद से मैं आज तक बेंगलूरु में ही पढ़ रही हूँ। यह उन्नति के कई अच्छे अवसर भरी जगह है।

मेरे पिता का नाम ई.संकर है जो भारत के आयकर विभाग में काम करते हैं। मेरी माँ का नाम एस.रंगम्माल है जो गृहणी है। मेरा एक बारह साल का छोटा भाई है जो केंद्रीय विद्यालय में सातवीं कक्षा पढ़ रहा है। उसे खेल-कूद में अधिक रुचि है। मेरे पिता ने एम.सी.ए तक की पढ़ाई की है और माँ ने बारहवी तक पढ़ा है। मेरी माँ बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती है। भारत के अलग-अलग प्रांतों में रहने के कारण मेरी माँ हर तरह के पखवान बना लेती है। उत्तर की रोटी से लेकर दक्षिण के दोसे तक मेरे घर में सब कुछ बनता है।

मुझे नृत्य बहुत अच्छा लगता है। मैंने सात साल भरतनाट्यम सीखा है। मैंने हिंदुस्तानी संगीत भी सीखा है। मुझे दीपावली के त्योहार में सबसे ज़्यादा मज़ा आता है। आभूषण में तो मुझे कुर्ता-पैजामा अच्छा लगता है। मेरा प्रिय विषय गणित है। मेरे खान-पान का पसंद तो बड़ा ही विचित्र है। मुझे पंजाब के छोले-कुल्चे,छोले-बटुरे,तंदूरी रोटी,पनीर और लस्सी अच्छे लगते हैं। मुझे महाराष्ट्र का वड़ा-पाव,पाव-भाजी,मोट की सब्ज़ी,साबुदाना की खिचड़ी और साबुदाना वड़ा बहुत पसंद है। दिल्ली का आलू पराठा और दही बहुत स्वादिष्ट होता है। बंगाल की खिचड़ी और असम की मटर-पूरी एवं मछली बहुत अच्छी लगती है। मुझे उत्तर प्रदेश का चाट,बिहार का‌ दही वड़ा,कर्नाटक का दही चावल भी बहुत पसंद है। मुझे तमिलनाडु का वड़ा,रसम,सांबार,मसाला दोसा और पराठा भी बहुत पसंद है।

शिक्षा एवम उपलब्धियाँ

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मेरी पूरी पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से ही हुई। बारहवीं में मुझे मात्र ९३.६% मिला। दसवीं कक्षा में गुवाहाटी में क्षेत्रीय स्तर पर प्रथम आने की वजह से मुझे गणतंत्र दिवस परेड प्रधानमंत्री के डिब्बे से दिल्‍ली में देखने का अवसर मिला। जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में थी तो मैंने जूनियर गणित ओलिंपियाद में क्षेत्रीय स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस कारण मुझे केंद्रीय विद्यालय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय गणित ओलिंपियाद के प्रशिक्षण के हिस्सेदार बनने का अवसर मिला। इसके पश्चात मेरी किस्मत इतनी अच्छी रही कि मुझे साकुरा विज्ञान कार्यक्रम के अंतर्गत जपान जाने का अवसर मिला। वहाँ भारत से कुछ ३० गिने चुने बच्चें ले जाए गए। निरिक्षण के लिए ६ शिक्षक भी हमारे साथ चले थे। जपान एक बहुत विकसित राष्ट्र है। वह बेहद खूबसूरत भी है। वहाँ की सुंदरता को तो हम देखते ही रह गए। वहाँ जगह-जगह अत्यंत मनमोहक साकुरा का वृक्ष होता है। वहाँ के रास्तों में पालतू कुत्तों के अलावा कोई अन्य जानवर नहीं पाए जाते। वहाँ का कुछ मुझे नहीं पसंद आया हो तो वह खाना है। वहाँ का खाना अधपका होता है और उसमें नमक,मिर्च तो मानो होता ही नहीं। कई बार खाने के साथ कच्चे पत्तें भी परोसे जाते हैं। वहाँ के लोगों की ईमानदारी ने तो‌ मेरा दिल छू लिया।

शौक एवम लक्ष्य

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बचपन से ही मैंने खेल-कूद, चित्रकला, आशूभाषण, वाद-विवाद, निबंध लेखन जैसे अनेक प्रतियोगिता में भाग लेकर अच्छा प्रदर्शन दिखाया है। किंतु बड़े होते-होते मेरी चित्रकला एवं खेल-कूद में रुचि कम हो गई और मेरी आलस्य की वजह से उसमें अब मेरा कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा। अब तो ऐसा लगता है जैसे पढ़ाई के अलावा मेरे लिए कुछ बचा ही नहीं है।

मैंने इतनी बातों में अपने लक्ष्य के बारे में नहीं बताया क्योंकि वह मेरी ज़िंदगी में एक सवाल की तरह है। मुझे बनना तो एक वैज्ञानिक है लेकिन वह अब काफी कठिन प्रतीत होता है। फिर भी उमीद‌ की‌ लहरों को लेकर मैं अपनी सफलता की निरंतर प्रयत्न कर रही हूँ।