सदस्य:Sagar gambhira/प्रयोगपृष्ठ

मेरा नाम सागर गांभीर हैं। मैं एक भारतीय हूँ। मेरा जन्म १४ सितंबर १९९९ को मंगलूरु में हुआ। अब मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलूरु में बीएससी (पी-सी-एम)[भौतिक-शास्त्र,रसायन-शास्त्र् और गणित शास्त्र] की शिक्षा पा रहा हूँ। मैं अपना पृष्ठभूमि, रुचियाँ, लक्ष्य, उपलब्धियाँ आदि विचारों सें अपना परिचय देना चाहता हूँ।

पृष्ठभूमि

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मेरा जन्म १४ सितंबर १९९९ को दक्षिण कन्नड् जिला की मंगलूरु तालुक में हुआ। यह जिला केरल और कर्नाटक राज्य की सीमा पर हैं। मेरा मात्र भाषा तुलु हैं। मैनें अपना बाल्य-जीवन वही पर गुज़ारा और अब उच्च शिक्षा पाने के लिए कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलूरु में आ बसा हूँ। बेंगलूरु, मंगलूरु से लगबग ३६० कि-मी दूर हैं। मंगलूरु केरल और कर्नाटक राज्य के सीमा पर होने के कारण; इस तालुक में तुलु, कन्नड, मलयालम, मुसलमानि, कोंकनी आदि भाषाओं कि प्रयोग किया जता हैं। मंगलूरु अपनी यक्षगान की कला, स्वच्छता, समुद्र - विशाल नगर, शास्त्र संप्रदय आदि विचारों के लिए सुप्रसिद्द है।

मेरा परिवार में कुल-मिला कर ४ लोग हैं। मेरी माँ शोभा गंभीर, मेरा पिता पुष्पराज गंभीर, मेरी बडी बहन सपना गंभीर। मेरी माँ गृहिणी हैं। मेरे पिताजी १८ वर्ष तक सऊदी अरब में, १ वर्ष पुने में, ६ वर्ष कर्नाटक में और १० वर्ष दुबै (संयुक्त अरब अमीरात) में काम किया। अब वें अपने काम सें निवृरत्ति लेकर भारत में ही आ बसे है। मेरी बडी बहन मंगलूरु में ही इंजीनियरिंग की शिक्षा पा रहे हैं। मेरा यह छोटा सा परिवार मेरे लिए बहुत महत्व पूर्ण हैं।

मैंने अपना प्रारंभिक शिक्षा मंगलूरु में ही पा ली। एल-के-जी से लेकर पॉचवी तक मैंने 'विश्वमंगल उच्च प्राथमिक विद्यालय' (मंगलूरु विश्वविद्यालय का एक अंग) में पडाई किया और छठी कक्षा से दस्वी कक्षा तक शारदा विद्यानिकेतन पुब्लिक स्कूल;सी-बी-एस-ई(केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पाट्य अनुक्रम),मंगलूरु में अपना पडाई की। मैंने शारदा विद्यानिकेतन पी-यू-कॉलेज में अपना पी-यू की शिक्षा पा लिया। अब बीएससी (पी-सी-एम) की शिक्षा पाने के लिए क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलूरु में पड रहा हूँ।

मैं अपना ज्यादतर समय टी-वी में डिस्कवरी चैनल, नेशनल ज्योग्राफिक (यू.एस. टीवी चैनल) आदि में आने वालें वैज्ञानिक शोओं को देकतें-देकतें बितता हूँ। इसके अलावा मैं अंग्रेज़ी, हिन्दी तथा कन्नड भाषाओं में कविताऍ भी लिकता हूँ। कभी-कभी मैं रसोई-घर में माँ के सात खाना बनना और उनकी बाकी कामों में भी मदद करता हूँ। साइकल चलाना भी मुझें बहुत पसंद है।

मेरा जीवन में सबसें बडा लक्ष्य यह हैं की मैं एक वैज्ञानिक बनजाऊ। मैं हमेंशा से ही एक अंतरिक्ष-वैज्ञानिक (खगोल वैज्ञानिक) बनना चाहत था। मेरा इच्छा यह हैं की मैं एक वैज्ञानिक बनकर, मेरे देश के लिए ऐसीं वैज्ञानिक-उपकरन अथवा तंत्र बनाऊ की विज्ञान के क्षेत्र में मेरा भारत सबसें आगें बडें।मैं चाहता हूँ की सब लोग कुशी-कुशी जीए। मेरा मनना यह जहैं की "मुस्कान जीवन की पर्याय हैं, उसे फिर से जिये-उसे फिर से परिभाषित करे"। मैं अपना जीवन सार्थक बनना चाहता हूँ। डॉ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम कों मैंने अपना जीवन का आदर्श माना हैं। मैं उन्ही की तरह एक बडा व्यक्ति बनना चहता हूँ। मैं इस धरती कों प्रदूषण से मुक्त करके इसे रेहने कि लायक बनना चह्ता हूँ। मैं अपना उच्च शिक्षा (एम-ए और पी-एच-डी), भारतीय विज्ञान संस्थान स्नातक (आई-आई-एस-सी), बेंगलूरु में पना चह्ता हूँ। मैं इसरो में काम करके अपनी देश की सेवा करना चहता हूँ।

उपलब्धियाँ

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मैंने जीवन में कुछ उपलब्धियाँ हासिल किया हैं जो मुझें और मेरें माता-पिता को संतुस्टी दिया हैं। सबसें बडी व्यक्तिगत संतुस्टी प्रदान करने वाली कुछ उपलब्धियाँ: (१)'तारामंडल' - द्वारा रचित "विज्ञान प्रतिभा खोज परीक्षा-२०१५" में दक्षिण कन्नड जिला में प्रथम स्थान आना। (२)"प्रतिभा-प्रवीणा परीक्षा-२०१५" में सातवें रैंक आना और पी-यू-सी की शिक्षा के लिए छत्रवृत्ती मिलना। (३)दस्वी कक्षा मैं स्टुडंट-ऑफ-दा-ईयर पुरस्कार मिलना। (४)बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में ५८३/६०० अंक लेकर कर्नाटक में एक ऊछी रैंक मिलना और कॉलेज-टॉपर बनना (५)बारहवीं कक्षा में 'एकेडेमिक-लीडर' की शीर्श मिलना। (६)दस्वी कक्षा की सी-बी-एस-ई(केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड)-परीक्षा में १०-ग्रेड-पाइंट लेकर उत्तीर्न होना आदि। मेरा उपलब्धियाँ मुझें जीवन में आगे बढने में मदद करता है। मैं चहता हूँ की मैं जीवन में एसें ही आगें बडते रहूँ। में अपने बल पर वैज्ञानिक बनकर भारत को सबसें आगें लेजाना चहता हूँ।