राज्यश्री कुमरी
जन्म
बीकानेर, राजस्थान
व्यवसाय शुटर, लेखिका
राष्ट्रीयता भारत


बीकानेर, राजस्थान - भारत

राज्यश्री-कुमरी बीकानेर (राजस्थान में स्तिथ) की महाराजकुमारी हैं। बीकानेर का महाराज डॉ कर्नी सिंहजी कि पुत्री तथा महाराज श्री सदुल सिंहजी कि पोती महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी कि जन्म सन् १९५३ को बीकनेर, राजस्थान में हुई थी। उनकि मॉ कि नाम सुशीला कुमारी हैं। बचपन से ही महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी को खेल-खूद में बहुत मन् लगटति थी। बचपन से उनको शूटिंग (बंदूक/राइफल चलाना) सिखया गया था। उनकी पिता महाराज डॉ कर्नी सिंहजी भी शूटिंग मे रोम, टोक्यों, मेक्सिको,मोस्को आदि ओलिंपिक प्रतियोगिताओं मे भाग लिये थे। उनके पिताजी उनको शूटिंग (बंदूक/राइफल चलाना) घंटो तक सिखते थे। इस खेल में उनको भी बहुत मज़ा आता था। महाराजकुमारी होने कि कारण उनको बहुत स्वस्थ भोजन मिलता था जो उनकी शरीर को तंदरुस्त रकता था। अछी पडाई के साथ - साथ खेल - खूद में भी वें अव्वल थी। शूटिंग (बंदूक/राइफल चलाना) में पुर्ण् रूप से मन् लगाकर वे हर दिन उसकि अभ्यास करती थी। इस प्रयत्न कि प्रतिफल के रूप मे सन् १९६८ में जभ महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी १६ साल कि थी, तभ उन्हें शूटिंग के लियें भारत सरकार ने उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया।


खेल - खूद (जैसे शूटिंग) के अलावा महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी पुस्तक लिखना, लेखन लिखना, अच्छी जगहों कि यात्रा करना भी बहुत पसंद थी। 'अर्जुन पुरस्कार' कि विजेता महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी कि केहना था कि एक राजकुमारी की जीवन भी आम औरत - लड्कियों की तरह ही परिश्रम से भरी जीवन हैं।  राजकुमारी होने कि नाते उनके पास घहनों का भंडार हि था, और उन चम-चमाती हुई घहना पहेना राज्यश्री-कुमरी को भी बहुत पसंद थी। महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी अपनी आप को भग्यासशालि समझती है कि वे अपनी  जिंदगी को अपनी तरह से जी पाई, न उनकी मॉ, न उनकी पितजी महाराज कर्नी सिंहजी ने रोका। अपनी सपनों के अनुसार वे शूटिंग सिखकर और उसी में 'अर्जुन पुरस्कार' जीतकर, १९ साल मे इस खेल को छोड दिया और अपने आप  कों ट्रस्ट और संगठनो के कार्यों मे जुटा दिया। राज्यश्री-कुमरी को राजनीति में उतनी रुची नही थी और इसलिए राजनीति मे आना नही चहति थी। महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी ऐतिहासिक संरक्षण कि संघटनों का भी हिस्सा रही है। वे समाज के साथ मिलजुलकर रह रही थी और महाराजकुमारी होने कि दर्प कभी नही दिखया। एसी महिला भारत वर्ष कि सारी प्रजाओं के लिए एक प्रेरणा है। महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी कि जीवन के बारे मे सभी लोगों को परिचय दिलने के लिए अनेक अखबार वालों ने उनकी साक्षात्कार लिया और उन्होने अपनी जीवन के बारे मे बताते हुए दूसरें लोगों को भी अपने सपनों को सच करने के लिए एकाग्रता और कटिण परिश्रम कितना महत्व रखता है - आदि बतें बताकर लोगों को प्रेरित किया हैं।
 
लालगढ़ महल

महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी अनेक ट्रस्ट और संगठन भी चलाती हैं। राजकुमारी राज्यश्री-कुमरी कि इच्छा थी कि उनकी सारी ट्रस्ट और संगठन सुनिश्चित रूप से उनकी स्वर्गीय पिता की इच्छाओं के अनुसार ही काम करे और गरीब बच्चों कि मदद करे। महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी को बचपन से ही स्वतंत्र छोड़ दि गयी थी, वे अपनी सारी काम अकेले करति थी और अपनी जीवन कि सारि निर्णय खुद लेति थी। लालगढ़ महल कि मालकिन महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी समाज के लिए एक प्रेरणा है। राज्यश्री-कुमरी अपनी खाली समय बागवानी करती बिताती है क्योंकि बागवानी मैं वे अपनी सुख और शांति पाति है। वे वर्तमान में 'महाराजा गंगा सिंहजी ट्रस्ट' के अध्यक्ष हैं। महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी 'पेटा इंडिया' - (जो एक प्राणि संरक्षण संगटन) में भी सक्रिय भागिदारी रही है। शूटर होने के अलवा वे एक लेखिका भी है।'द महाराजास् ऑफ् बिकनेर' ,'द लालगढ़ पेलेस्: होम् ऑफ् महाराजादस् ऑफ् बिकनेर' आदि उनकी लिखि हुई किताबें हैं।


उपलब्धियां

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सात साल की उम्र में उन्हें - १२ साल की आयु से नीचे वर्ग के राष्ट्रीय वायु राइफल चैम्पियनशिप मे उन्हें प्रथम स्थान मिली। इस राष्ट्रीय वायु राइफल चैम्पियनशिप को जीतने के बाद उनकी शूटिंग (बंदूक/राइफल चलाना) में आगे बड्ने कि आकांक्षाएं और भी बड गयी। इस उपलब्धि ने उनकि हौसला को और भी बडा दिया। इसके अलावा १६ वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप के दौरान वह खुली महिलाओं की जाल शूटिंग चैम्पियनशिप में प्रताम स्थान जीत गयी और खुली जाल शूटिंग चैम्पियनशिप में तीसरा स्थान पर रही। दूसरी एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप (कोरिया) में भी उन्हे शूटिंग पुरस्कार मिली। शूटिंग क्षेत्र में महाराजकुमारी राज्यश्री-कुमरी भारतियों के लिए एक रोल मॉडल हैं। उनकि सबसे सर्वोत्तम उपलब्धि भारत सरकार से प्रदान की गयी 'अर्जुन पुरस्कार' हैं।

https://web.archive.org/web/20071225221945/http://yas.nic.in/yasroot/awards/arjuna.htm