Sagar jain 7198
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छात्रावास जीवन्
|250px|मम छायाचित्रः]]
मम छायाचित्रः
नाम सागर धारिवाल
जन्मनाम सागर्
लिंग पुरुष्
जन्म तिथि ७ जनवरी १९९८
जन्म स्थान ईरोड
निवास स्थान तमिलनाडु
देश  भारत
नागरिकता भारतीय
जातियता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
पेशा छात्र
शिक्षा बिकॉम
महाविद्यालय भारती विध्या भवन्
विश्वविद्यालय क्राइस्ट वर्श्विद्यालये, बेंगलुरू
उच्च माध्यामिक विद्यालय भारती विध्या भवन्
शौक, पसंद, और आस्था
शौक बस्केत बाल,संगीत,नाच
धर्म जैन्
राजनीती स्वतंत्र
चलचित्र तथा प्रस्तुति मनोरंजनाय
रुचियाँ

पदाई

सम्पर्क विवरण
ईमेल sd719866@gmail.com
फेसबुक sagar dhariwal



जनम संपादित करें

    मेरा पुरा नाम सागर धारिवाल है । मेरा जनम ईरोड जैसे एक छोटे से गांव मे सन ७/१/१९९८ को एक सुस्ंपन्न परिवार मे हुआ है । मेरे पिताजी का नाम पदम राज धारिवाल है और मेरे माताजी का नाम कन्छन देवी धारिवाल है । मेरे भाई का नाम आकाश और कुनाल धारिवाल है । मै अप्ने छोटे भाईयों से बहुत प्यार करता हुँ ।

पदाई संपादित करें

     मेरे पदाई के बारे मे मै कुछ बाते आप्को बताना चाहता हुँ । मेरी प्रार्ंभिक पदाई प्राथ्मिक विधयाल्य मे हुई वहाँ पे मुझे बहुत कुछ सिख्ने को मिला । वहाँ से ही मुझे किताबो के बारे मे पता चला और पदाई का मेरे जीवन मे क्या मह्त्व है उसका ग्यात हुआ । उस्के बाद हि मेने पद्ना चालु किया और उस व्क्त से आज तक मैं हमेशा पदाई मे सब्से आगे रहा हुँ और आश करता हु कि आगे भी मुझे  सफ्ल्ता मिलेगी   । मेरे घर वाले मुझे पदाकु बुलाते है । मेरा प्रिय विषय हिन्दी है मेरे हमेशा हिन्दी मे सबसे ज्यादा अंक आये है ।
  दस्वी कक्षा मेने मेह्नत तो खुब कि पर ९३% ही अंक पाये पर मेरी उमीद उसे ज्यादा अंक पाने कि थी इस्लिये मे बहुत उदास हो गया था पर मेरे परिवार वालो के चेहरो मे खुशी देख्कर मेरा गम दुर हो गया पर फिर भि मेरे मन मे यह बात आ रही ती कि मेरे इत्ने कम अंक नही आ सक्ते । इस्लिये मै जब १२ क्क्षा मे आया तब मैने सोच लिया था कि जो पिछ्ली बार हुआ वो इस बार नही होगा इस्लिये मैने १२ क्क्षा के परिक्षा मे खुब मेह्नत कि और ९६% अंक पाकर मैने अप्ने माता पिता का सर गौरव से उँचा कर दिया और उस समय मै बहुत खुश हुआ क्योंकि जो मै दस्वी क्क्षा मै नही कर पाया वो मैने १२ क्क्षा मे मेने करके दिखा दिया ।
    अच्छे अंक पाने कि वजह से आज मुझे क्राइस्ट जैसे माह्न कालॅज मे प्रवेश मिला है । मुझे पता है कि मै इस काँलेज से भी अव्श्या कुछ न कुछ ग्यान प्राप्त करुँगा जो मेरे भविष्य मे बहुत काम आयेगा । मुझे आगे जाकर म बि ए करना है और अप्ना खुद का खारोबार शुरु करना चाह्ता हुँ । मै विश्वास करता हुँ कि मै एक काम्याब इन्सान बन्ँगा । 

शोक संपादित करें

    बछ्पन मॅ मेने अनेक प्रतियोगिता मे जैसे कविता लिख्ना,सारंश  चित्रकारी आदि अनेक प्रतियोगिता मे भाग लिया है और उसमे पुरस्कार भी पाये है । ४ क्क्षा के बाद मैने अप्ना विध्याल्य बद्ला और उच्च माध्यामिक विद्याल्या मे भर्ती हुआ । उस विद्याल्य से मैने पदाई के साथ साथ खेल्ना भी सिखा । मेरा प्रिय खॅल बास्केट बाल है । मुझे बास्केट बाल सब्से अच्छा लग्ता है मैने बस्केट बाल प्रतियोगिता मे भी लिया है और उस्मे भी एक बार पुरुस्कर पाये है ।

   मेरे जीवन का एक ही ल्क्ष्य है कि मै अप्ने माता पिता को हमेशा खुश रखु क्योंकि जो उनोह्ने मेरे लिया किया है वो शयाद हि कोई माँ-बाँप अप्ने बेटे के लिये करते । मेरे पिता ने जिन्दगी मे खुब मेह्नत कि है और मेरे हर सप्ने को हर इच्छा को उनोह्ने पुरा किया है । मे अप्ने माता पिता से बहुत प्यार करता हुँ । मे लोगो से यह कह्ना चाह्ता हुँ कि जब तक हमारे माता पिता हमारे साथ होते है तब तक हमे उन्का एह्सास उन्का हमारे जीवन मै क्या म्ह्त्व है वो हमे पता नही चल्ता । पर जब हम उन्से दुर जाते है तभी हुमे उन्की कमी का एह्सास होता है । मै अप्ने माता पिता से कभी भी दुर नही रहा हु । पर काँलेज शमिल होने के बाद जब मे छात्रावास मे रह रहा हुँ तब से मुझे मेरी माँ बहुत याद आती है जब भी मुझे अच्छा खाना या फिर चोट लग्ती है आदि मै अकेले हि रोता रह्ता हुँ और माँ को याद करता हुँ । मै लोगो से यह कह्ना चाह्ता हुँ कि तुम भली किसी का दिल दुखाओ पर अपने माँ-बाँप का दिल कभी मत दुखाना,क्योंकि इन्के हमारे उपर कही उप्कार है ।
   जिंद्गी के रास्तो मे कही उतार-चदाव आयेगे पर दोस्तो कभी भी हार मत मानना । 



       मेरी एक हि कहावत को मै अनुसरण करता हुँ और वो कहावत है , 
                   "हमेशा दुसरो कि रक्षा करना ,उन्की मदद करना , उन्का ध्यान रख्ना और सब्से प्यार करना "