दाउदनगर:- सोन नदी के किनारे बसा हुआ एक प्यारा सा शहर जो कि ऐतिहासिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा कलात्मक सोंच को आपस में जोड़ता है। दाउदनगर में स्थित दाऊद खान का किला आज भी 17वीं शताब्दी की याद ताजा कराता है। पलामू युद्ध में विजयी रहे दाऊद खान तत्तकालीन बादशाह औरंगजेब के करीबी माने जाते थे। अधिकतर लोगों का मानना है कि पलामू फतह के बाद वापस जा रहे दाऊद खान ने मोजुदा दाउदनगर के क्षेत्र में आराम करने के लिए कैंप डाला। उन्हें यह क्षेत्र काफी पसंद आया और इसी कारण उन्होंने दाउदनगर की स्थापना की।

सुरक्षा के नज़रिए से शहर में चार फाटक स्थापित किये गए थे जिसमें से आज भी एक फाटक पुरानी शहर और नई शहर के बीच में मौजूद है। किला के चारों तरफ सुरक्षा दीवार बानी हुई है तथा किले में प्रवेश करने के लिए दो मुख्य द्वार उपस्थित हैं। सैनिकों की तैनाती के लिए दीवारों के चारों कोनों पर जगह बानी हुई है। किले के अंदरूनी क्षेत्र में खुफिया सुरंग भी देखने को मिलती है। यह सुरंग कहाँ जाकर मिलती है इसकी प्रयाप्त जानकारी किसी के पास उपलब्ध नहीं है।

दाऊद खान के द्वारा बड़े से सराय खाने का भी निर्माण कराया गया था। शहर में अभी भी एक सड़क सराय रोड के नाम से जानी जाती हैं जहाँ पे नवाब अहमद खान (दाऊद खान के पोते) के समय में बनवाई गई मस्जिद अभी भी मौजूद है। दाऊद खान से जुडी हुई दाउदनगर वासियों के लिए दो ऐतिहासिक धर्मस्थल भी मोजुद हैं। नवाब साहब का मज़ार और घोड़े शाह का मज़ार जहाँ पे रज़ब के महीने की 10 तारीख को उर्स मनाया जाता है जिसमें हर धर्म के लोग शामिल होते हैं। यहाँ के लोगों के लिए एकता और गंगा-जमुनी तहज़ीब का मिशाल कायम करता है।

दाऊद खान के समय उनके सैनिकों में जाट जाती के लोगों की प्रधनता हुआ करती थी जिसके स्मरण में दाऊद खान ने एक इलाके को जाट लोगों को समर्पित किया जो बाद में जाट टोला के नाम से मशहूर हुआ। लेकिन दुःख की बात यह है कि मोजुदा समय में जाट जाती के लोग दाउदनगर से प्रायः लुप्त हो गए हैं।

यह शहर औरंगाबाद जिला के अंतर्गत आने वाला दूसरा अनुमंडलीय क्षेत्र है। यहाँ की नगरपालिका सन् 1885 से मोजुद है जो वर्तमान में दाउदनगर नगर पंचायत के रूप से उपस्थित है। 2011 जनगणना के अनुसार यहाँ की आबादी 52,364 थी। यहाँ के लोग मुख्यतः हिंदी, इंग्लिश, उर्दू तथा मगही भाषा का प्रयोग करते हैं। अंछा ग्राम को दाउदनगर का संथाल परगना माना जाता है। कृषि तथा खुचरा व्यापर यहाँ के लोगों के जीविका का मुख्य श्रोत है।