सदस्य:Shantanu 2330788/प्रयोगपृष्ठ
=इन्हें भी देखें=== ऐपन:कुमाऊँ की पारंपरिक लोक कला
संपादित करेंपरिचय:
संपादित करेंऐपन (कुमाऊँनी: Ēpaṇ) उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र की एक पारंपरिक धार्मिक लोक कला है। यह कला विशेष अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों और घरेलू समारोहों में की जाती है। यह माना जाता है कि ऐपन कला शुभता का प्रतीक है, जो ईश्वरीय शक्ति को आमंत्रित करती है और बुरी शक्तियों को दूर करती है। इसके अलावा, यह कला सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखती है।
कला का माध्यम:
संपादित करेंऐपन कला गेरू, जो ईंट-लाल रंग का होता है, से पुती हुई दीवारों पर की जाती है। इस पर चावल के आटे से बनी सफेद पेस्ट का उपयोग किया जाता है। पूजा स्थलों, घरों के प्रवेश द्वारों और दीवारों पर इस कला का विशेष प्रचलन है। यह कला मुख्य रूप से कुमाऊँनी महिलाएं करती हैं और इसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया जाता है। यह कला हर जाति की महिलाओं द्वारा की जाती है और इसे विशेष रूप से शुभ और पवित्र माना जाता है।
ऐपन और त्यौहार:
संपादित करेंऐपन कला विभिन्न त्योहारों और धार्मिक अवसरों पर की जाती है। इनमें प्रमुख हैं:
- गणेश चतुर्थी
- मकर संक्रांति
- कर्क संक्रांति
- महाशिवरात्रि
- लक्ष्मी पूजन
इन अवसरों पर, सरस्वती चौकी, चामुंडा हस्त चौकी, नव दुर्गा चौकी, ज्योति पट्टा, और लक्ष्मी यंत्र जैसे प्रमुख रूपांकनों (मोटिफ्स) बनाए जाते हैं।
इतिहास:
संपादित करेंऐपन कला उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से उत्पन्न हुई और चंद वंश के शासनकाल में इस कला ने विशेष रूप से ख्याति प्राप्त की। इसके डिज़ाइन और मोटिफ्स सामुदायिक विश्वासों, धार्मिक मान्यताओं और प्रकृति से प्रेरित हैं। ऐपन का नाम संस्कृत के "लेपना" शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है "प्लास्टर करना।" भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे बिहार और उत्तर प्रदेश में अरिपना, गुजरात और महाराष्ट्र में रंगोली, दक्षिण भारत में कोलम, और ओडिशा में अल्पना।
संरक्षण और प्रचार:
संपादित करेंवर्तमान समय में ऐपन कला को संरक्षित करने और इसे लोकप्रिय बनाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।
मीनाकृति - द ऐपन प्रोजेक्ट (2019):
संपादित करेंमीनाक्षी खाती द्वारा इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य ऐपन कला को पुनर्जीवित करना और ग्रामीण महिलाओं को रोजगार प्रदान करना है। इस प्रोजेक्ट के तहत अब तक 1000 से अधिक ऑर्डर पूरे किए जा चुके हैं।
सरकारी प्रयास:
संपादित करेंउत्तराखंड सरकार ने 2015 में ऐपन कला को बढ़ावा देने के लिए इसे सरकारी भवनों में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया। इसके अंतर्गत गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN), कुमाऊँ मंडल विकास निगम (KMVN), और उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) जैसे सरकारी कार्यालय शामिल हैं।
भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणपत्र
संपादित करेंऐपन कला को 2021 में भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणपत्र मिला, जिससे इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली। "सेल्फी विद ऐपन" जैसे अभियानों से युवाओं में इस कला के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया गया। चेली ऐपन सरकार द्वारा शुरू की गई एक और पहल है, जो इस कला को बढ़ावा देती है।
निष्कर्ष:
संपादित करेंऐपन कला केवल एक पारंपरिक कला नहीं है, बल्कि यह कुमाऊँ क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है। यह कला हमारे समाज की रचनात्मकता और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है। आज के समय में ऐपन कला न केवल पूजा-पाठ और त्योहारों तक सीमित है, बल्कि यह रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण का भी एक साधन बन गई है।
सरकारी प्रयासों, जन पहल और युवाओं की भागीदारी से ऐपन कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली है। यह कला हमें अपने अतीत से जोड़ती है और हमारी परंपराओं को जीवित रखती है। इसे संरक्षित करना और अगली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।
ऐपन कला की महत्ता न केवल इसकी सुंदरता में है, बल्कि इसमें छिपे सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों में भी है। यह हमारी समृद्ध संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसे वैश्विक मंच पर स्थान दिलाने की आवश्यकता है।
रेफरेन्स
संपादित करें1) https://en.m.wikipedia.org/wiki/Aipan_art
2) https://artsandculture.google.com/story/aipan-ritualistic-folk-art-of-kumaon/pwUB1enKByW2Vg
3) https://www.merapahad.com/aipan-traditional-art-painting-form-of-uttarakhand/
4) https://www.euttaranchal.com/culture/aipan-other-arts-form.php
6) https://mediaindia.eu/culture/the-tradition-of-aipan/
7) https://himalayalovers.com/aipan-art-kumaon-uttarakhand/
Aipan art in hindi
संपादित करेंIt taks about aipan art in hindi
Aipan Art
संपादित करेंUttrakhand and kumoun related Shantanu 2330788 (वार्ता) 15:35, 2 जनवरी 2025 (UTC)