Shivali S
[[File:|250px|मम छायाचित्रः]] मम छायाचित्रः | |
नाम | शिवली |
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जन्मनाम | शिवली |
लिंग | स्त्री |
जन्म तिथि | २४ सितंमबर १९९७ |
जन्म स्थान | पलवल |
निवास स्थान | फरिदाबाद |
देश | साँचा:Country data भारतः |
नागरिकता | भारतीयः |
जातियता | भारतीयः |
शिक्षा तथा पेशा | |
पेशा | छात्रः |
शिक्षा | बिकोम् |
महाविद्यालय | क्राइस्ट वर्श्विद्यालये, बेंगलुरू |
विश्वविद्यालय | क्राइस्ट वर्श्विद्यालये, बेंगलुरू |
उच्च माध्यामिक विद्यालय | सरस्वती विध्यालाया |
शौक, पसंद, और आस्था | |
शौक | संगीत सुनना, किताबे पडना, |
धर्म | हिन्धु |
राजनीती | स्वतंत्र |
चलचित्र तथा प्रस्तुति | मनोरंजनाय |
सम्पर्क विवरण | |
ईमेल | shivshivali97@gmail.com |
मेरी कहानी
मेरा नाम शिवली एस है। मै क्राइस्ट विश्वविद्यालय कि छात्रा हुँ और बि कॉम होनोर्स पड रही हु। मै हु तो दिल्ली की, लेकिन पिछले दस सालो से मै तिरुवनतापुरम, केरल मे रेहती हू।
='मेरा परिचय='
जन्म
संपादित करेंमेरा जन्म दिल्ली मै हुआ है। मेरे पिता का नाम संजीव कुमार है। मेरी माँ का नाम पदमा है। मेरे पिता दिल्ली के वासी है और माँ केरल की वासी है। मेरे पिता एक व्यापारी है। उनका व्यापार दिल्ली और तिरुवनतापुरम मै है। मेरी माता एक ग्रहणी है, लेकिन उसका मतलब यह नही है कि वह कोइ काम नही करती है। दुनिया मे सबसे ज्यादा काम ग्रहणी ही करती है।
पढाई
संपादित करें६ साल कि उम्र तक पलवल के गुलाया पबलिक स्कूल पढाई की और उसके बाद मैने केरल के मेरे घर के पास वाले एक स्कूल मे की और फिर ८वी कक्षा मे मैने सरस्वती विद्यालाया मे दाखिला ले लिया। मेरी पडाई लिखाई केरल मे ही हुई है। अभी मै क्राइस्ट विश्वविद्यालय कि छात्रा हुँ। मुझे विक्य्र मै भी दिलजसबी है लेकिन मै उसमे बहुत अचछी नहीं हु। मै बि कॉम होनोर्स पडने के बाद २ साल काम करके फिर एक अच्छी विश्वविद्यालय से एम बी ए करना चहती हू। अभी तक मैने यह फैसला नही किया है की मै कहा करुगी। मै पूरी दुनिया घूमना चाहती हु और वो भी अकेले। मै अपने माता-पिता को भी पूरी दुनिया दिखाना चाहती हु। मै अपनी पडाई पूरी करने के बाद बाहर किसी देश मे अपनी बाकि की ज़िदगी जीना चाहुगी। मै काम तो अर्थशास्त्र के क्षेत्र मे करना चाहती हु।
सौक
संपादित करेंसि बि एस इ बोर्ड से पडने कि वजाह से मेरी ज़्यादा अभिरुचिया नहीं रही है सिवाये पडने के। मुझे किताबे पडना बहुत अच्छा लगता है। मुझे हिन्दुस्तनी लेखक ज़्यादा भाते है जैसे कि रविदंर सिहं, सुदीप नागरकर, निकिता सिहं, आदि। मुझे निकोलस स्पार्क्स, सिडनी शेल्डन, स्टेफ़नी मेयर, जिम मैनसल कि क्रित्तिया भी बहुत पसंद है। मेरी पेहली किताब जो मैने पडी थी वह थी रविदंर सिहं द्वारा लिखी हुई थी जो हमेशा यादगार रहेगी। बाहुत कुछ चीजे है जिसमे मै बहुत खराब हु। जैसे कि दौडना या कोइ और शारिरीक रूप से अगर परिश्रम करना हो तोह मेरे लिये वह बहुत ही कठिन काम होता है। मुझे किताबे पडने के अलावा गाने सुनना अच्छा लगता है। गाने की और आते हुए- मुझे हिन्दी गाने सुनना ज्यादा अच्छा लगता है क्योकि हिन्दी गानो से मै अपने आप को खोजती सकती हु। मुझे नई जगाओ मे जाना बहुत पसंद है। मुझे खाने का बहुत शोक है। मुझे हिन्दुस्तानी खाना बहुत पसंद है नाकि बाहर का खाना। मुझे मेरी माँ के हाथ का बना खाना ज्यादा पसंद है।
स्वभाव
संपादित करेंमेरे बारे मे अच्छी बाते मेरे हिसाब से यह है की मै आशावाद मे विश्वास करती हु, मै बहिर्मुखी व्यक्ति हू जो नए लोगो से मिलना पसंद करती है। मै जो भी करती हु उसमे सादगी पसंद करती हु और मुझे चिजो के बारे मे बडा-चडा कर बोलना बिलकुल पसंद नही है। मुझे हर काम ठीक समाय पर करना अच्छा लगता है। मुझे लोगो के साथ काम करना अच्छा लगता है। मुझे बीमार पड्ना बिलकुल अच्छा नही लगता है क्युन्कि मुझे बहुत अकेला महसूस होने लगता है। मुझे हमेशा से ही गले मे तकलीफ रेहती है और कभी कबार जुखाम हो जाता है, और यह जरूरी नही की ठंडी हो। कुछ भी ठंडा खाओ और जुखाम हाजिर और फिर जुखाम से गले मे दर्द फिर न कुछ ठीक से खाया जाता है न पीना और उसके उपर से दवाईया खानी पडती है। मुझे अर्थशास्त्र ज्यादा रुचि है।
उपलब्धियाँ
संपादित करेंजिस स्कूल मे मैने अपनी १२वीं की पूर्ती की थी मै वहा की तोप्पेर थी साल २०१४-२०१५ के साल की और उस दिन जो खुशी मुझे मिली मै उसे शब्दो मै बयान नहीं कर सकती। मेरे मात-पिता को मेरे पर मुझपे बहुत गर्व हुआ । मेरी क्लास टिचर को भी बहुत खुशी हुइ की मैने स्कूल मे अव्वल आयी। फिर क्राइस्ट विश्वविद्यालय मे दाखिला मिलने पर मेरे मात-पिता को बहुत खुशी हुइ और मुझे यह देखकर मुझे यह एहेसास हुआ की जो हम करते है उसका असर हमारे माता पिता पर कैसा होता है। मैने हमारे विश्वविद्यालय के कार्यक्रमो मे हिस्सा लिया है और अंत तक भी पहुँची लेखिन जीत नही सकी। लेखिन न जीत पाने का दुख भी है लेखिन मैने अपनी गलतीयो से भी बहुत सीखा और अब ज्यादा मेहनत करके जीतने की पूरी कोशिश रहेगी। लेखिन जीती नही भी तो भी बहुत दुख नही होगा क्युकि मै इन सबसे मुझे कुछ न कुछ तो पढने को भी मिलता है और वही ज्यादा माइने देता है।
वर्तमान
संपादित करेंअभी तो हम विश्वविद्यालय की भागम-दौड मे लगे रेहते है, कुछ न कुछ काम होता ही रेहता है करने को चाहे वे कक्षा का काम हो या कोई कार्यक्रम से संबंधित हो। मै आशा करती हु की आने वाले कार्यक्रमो मे मै अच्छा प्रदरशन करु और जीतु। मै यह भी आशा करती हु की मै अपनी विश्वविद्यालय अच्छे अंको और एक अच्छी नौकरी के साथ निकलु और मै यह भी चहती हु की मेरी ज़िन्दगी क्राइस्ट विश्वविद्यालय मे यादगार और खुशाल हो।