Shraddha Shrivastava 1840444
Shraddha Shrivastava 1840444 27 जून 2018 से सदस्य हैं
बायोडाटा
नाम | श्रद्धा श्रीवास्तव |
---|---|
लिंग | स्त्री |
जन्म तिथि | ३० सितंबर १९९८ |
जन्म स्थान | इंदौर |
इन्ट्रडक्शन
संपादित करेंमेरा नाम श्रद्धा श्रीवास्तव है। मेरा जन्म ३० सितंबर १९९८ को मेरी जुड़ुवा बहन के साथ इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ। हमारा एक बड़ा भाई भी हैं। हम तीनो बच्चों की परवरिश हमारे माता-पिता ने बहुत प्रेम से की हैं। हमेशा हमारी खुशियों को अपना समझा। मैं इंदौर में जन्मी हूँ, लेकिन कभी वहाँ मेरी पढ़ाई नहीं हुई। मेरे पिता जी की नोकरी बहुत-सी बार बदली है जिस कारण हमारी पड़ाई बहुत से जगहों में हुई। हम पुने, बैंगलोर, लुधियाना आदि जगहों में रहें हैं। शायद यही कारण हैं कि जब कोई मुझे पुछे कि "वेर आॉर यू फर्म?"- मैं समझ नहीं पाती कि क्या जवाब दू, फिर कह देती हूँ कि मैं इंदौर से हूँ।
शिक्षा
संपादित करेंमैंने अपनी कम बालवाड़ी, ऊपरी बालवाड़ी और पहली कक्षा बैंगलोर में समाप्त करी। इसके बाद मैंने पाँचवी कक्षा के मध्य अवधि तक की पढ़ाई लुधियाना और गौविंदगड़ में करी जो पंजाब राज्य में आते हैं। फिर मेरे पिता जी का तबादला बैंगलोर में हुआ जहाँ मैंने छटी कक्षा तक पड़ाई की। इस दौरान मेरी बहन और मैंने अपनी पढ़ाई में बहुत सुधार दिखाया और हमारे माता-पिता को खुश किया। बैंगलोर में अध्यापक बहुत अच्छे हैं। वै बच्चों की परेशानियों का हल करने के लिए हमेशा त्यार रहते हैं। सातवीं कक्षा से लेकर बारवी कक्षा तक हमनें अपनी पढ़ाई तुमुकुर नामक शहर में करी।
तुमुकुर- इस शहर को शैक्षणिक नगरी और कल्पतरु नाडू के नामों से जाना जाता हैं। यह शहर छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है जो मन को लुभाता है। यह बड़े-बड़े शहरों के शोर-शराबे से दूर, शांत सा शहर है। जब हम ऐसी जगह में रहते हैं जो हमें शहर की तेज़ दुनिया से दूर ले जाए, तो हमें एक अनोखा अनुभव होता है। हम प्रकृति से जुड़कर रहते है, जो अपने आप में बहुत ही अध्भुत एहसास है। इस शहर ने मुझे अपने करीबी सहेलियों से मिलाया जिनका साथ मैं और मेरी बहन कभी नहीं छोड़ सकती। हम चार भलेही एक दुसरे से दूर है लेकिन इससे हमारा प्रेम एा दुसरे के प्रति कभी कम नहीं होता। समय के साथ बड़ता ही रहता है।
एक बङी सीख
संपादित करेंमेरे जीवन की सबसे बड़ी जीत तब थी जब दसवी कक्षा में मुझे और मेरी बहन को १० सी.जी.पी.ए. मिला। हम फूले ना समाए। मुझे उस दिन जो खुशी हुई थी, उसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। सफलता ने भले ही मुझे बहुत खुश किया था लेकिन इस सफलता ने मुझे काम के फल से जोड़ दिया था, जो बहुत बुरा साबित हुआ। अब मैं पढ़ाई पढ़ने के लिए नहीं बल्कि परिक्षा में अधिक अंक अर्जित करने के लिए करती। इस जाल में अपना आत्मविश्वास खो बैठी और अपनी खुशी भुल गई, जो मुझे पढ़ने से मिलती थी। परिणाम स्वरूप मैंने अपने जै.ई.ई. परिक्षा में सफल होने का सपना तोड़ दिया।
मैंने अपनी बहन के साथ एक साल का 'ब्रेक' लिया जिसे 'ड्राॅप' भी कहते हैं। हमनें एक साल "एलेन करीयर इंसटिट्यूट" में पढ़ाई करी। यह एक साल मेरी जिंदगी में अबतक का सबसे चुनोती भरा साल था। मेरे शिक्षक बहुत ही प्रेरणादाई थे। उनसे मैंने सिखा कि हमें अपने जीवन को खुलकर जीना चाहिए क्योंकि हमें यह एक ही बार मिलता है। मुझे हमेशा से इन्जनिरिंग नहीं करनी थी। बी.एस.सी. करके भोतिकी पढ़ना था। मेरी बहन को डॉक्टर बनना था। जब साल खतम हुआ और परिणाम आया तो मुझे एहसास हुआ कि अंको के पिछे भागकर असली पढ़ाई छोड़ दी है। मेरे अंक इस बार पिछले बार से भी बुरे आए क्योंकि हेरा आत्मविश्वास ओर कम हो गया था। इस कठिन स्थिति में एक आशा की किरण मुझे यह जानकर मिली कि मेरी बहन को मेडिकल सीट मिल चुकी है। उस समय "क्राइस्ट यूनिवर्सिटी" में छात्रों का दाखिला हो रहा था। मैंने इसका इन्टर्व्यू दिया और यहा से मेरी काॅलेज लाइफ शुरु हुई।
मैंने अपने जीवन में यह सीखा है कि पुरी दुनिया पैसा, शोहरत और सफलता के पिछे भाग रही है। यह दौड़ इतनी गंभीर है कि हम लोग अपने अस्तित्व को खो रहे है। मैं अपने बायोडाटा को एक महान व्यक्ति के महान वाक्य से समाप्त करना चाहूँगी- "इस गधों की रेस में जीतना कोई बड़ी बात नहीं है परंतु इससे बहार निकलना है"।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ https://christuniversity.in/ Christ University Link