पैठण अथवा प्रतिष्ठान महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 35 कि.मी. दक्षिण की ओर तथा गोदावरी के उत्तरी तट पर स्थित है। यह अति प्राचीन व्यापारिक और धार्मिक स्थान है। पैठण महाराष्ट्र के वारकरी सम्प्रदाय का तीर्थस्थल और प्रसिद्ध संत एकनाथ की जन्मभूमि है। पैठण को 'पोतान', 'पैठान' भी कहते हैं। यहां अश्मक जनपद की राजधानी भी थी। इसका प्राचीन नाम 'प्रतिष्ठान' है। पैठण दक्षिण भारत के अति प्राचीन नगरों में से एक है। प्राचीन काल से ही पैठण महत्त्वपूर्ण तीर्थ के रूप में मान्यता प्राप्त स्थान है। पुराणों के अनुसार पैठान की स्थापना ब्रह्मा ने की थी और गोदावरी नदी के तट पर इस सुन्दर नगर को उन्होंने अपना स्थान बनाया था। 'प्रतिष्ठान माहात्म्य' में कथा है कि ब्रह्मा ने इस नगर का नाम 'पाटन' या 'पट्टन' रखा था और फिर अन्य नगरों से इसका महत्त्व ऊपर रखने के लिए इसका नाम बदल कर 'प्रतिष्ठान' कर दिया। महाभारत में पैठान में सब तीर्थों के पुण्य को प्रतिष्ठित बताया गया है|

स्थापना तथा इतिहास संपादित करें

पुराणो के अनुसार पैठान की स्थापना ब्रह्मा ने की थी और गोदावरी तट पर इस सुन्दर नगर को उन्होंने अपना निवास स्थान बनाया था। प्राचीन बौद्ध साहित्य में प्रतिष्ठान का उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच जाने वाले व्यापारिक मार्ग के दक्षिणी छोर पर अवस्थित नगर के रूप में वर्णन है। इसे दक्षिणापथ का मुख्य व्यापारिक केन्द्र माना जाता था। सातवाहन नरेशों के शासनकाल में पैठान एक समृद्धशाली नगर था। यहाँ से एक व्यापारिक मार्ग श्रावस्ती तक जाता था, जिस पर महिष्मती, उज्जयिनी, विदिशा, कौशाम्बी आदि नगर स्थित थे। पैरिप्लस से पता चलता है कि चार पहिया वाली गाड़ियों से व्यापारिक वस्तुएँ भड़ौंच भेजी जाती थीं। इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि प्रतिष्ठान दक्षिणापथ की प्रमुख व्यापारिक मण्डी थी।

ग्रीक लेखक एरियन ने पैठान को 'प्लीथान' कहा है तथा मिस्र के रोमन भूगोलविद टॉलमी ने, जिसने भारत की द्वितीय शती ई. में यात्रा की थी, इसका नाम 'बैथन' लिखा है और इसे 'सित्तेपोलोमेयोस' (सातवाहन नरेश श्री पुलोमावी द्वितीय 138-170 ई.) की राजधानी बताया है। 'पैरिप्लस ऑफ़ दि एराइथ्रियन सी' के अज्ञात नाम लेखक ने इस नगर का नाम 'पोथान' लिखा है। प्रथम शती ई. के रोमन इतिहास लेखक प्लिनी ने प्रतिष्ठान को आंध्र प्रदेश के वैभवशाली नगर के रूप में सराहा है। पीतलखोरा गुफ़ा के एक अभिलेख तथा प्रतिष्ठान माहात्म्य में नगर का शुद्ध नाम 'प्रतिष्ठान' सुरक्षित है। अशोक ने अपने शिला अभिलेख 13 में जिन भोज, राष्ट्रिक व पतनिक लोगों का उल्लेख किया है, संभव है कि वे प्रतिष्ठान निवासी हों। किन्तु बृह्लर ने इस मत को नहीं माना है और न ही डॉक्टर भंडारकर ने।

ग्रंथों में उल्लेख संपादित करें

सातवाहन नरेशों की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठान इतिहास में प्रसिद्ध रहा है। जान पड़ता है कि मलयवाहन इसी वंश का राजा था। प्राचीन काल में आंध्र साम्राज्य की राजधानी कृष्णा के मुहाने पर स्थित धन्यकटक या अमरावती में थी, किन्तु प्रथम शती ई. के अंतिम वर्षों में आंध्रों ने उत्तर पश्चिम में एक दूसरी राजधानी बनाने का विचार किया। क्योंकि उनके राज्य के इस भाग पर शक, पहलव और यवनों के आक्रमण का डर लगा हुआ था। इस प्रकार आंध्र साम्राज्य की राजधानी प्रतिष्ठान या पैठान में बनाई गई और पूर्वी भाग की राजधानी धन्यकटक में ही रही। प्रतिष्ठान में स्थापित होने वाली आंध्र शाखा के नरेशों ने अपने नाम के आगे आंध्रभृत्य विशेषण जोड़ा, जो उनकी मुख्य आंध्र शासकों की अधीनता का सूचक था, किन्तु कालान्तर में वे स्वतंत्र हो गए और शातवाहन कहलाए।

आन्ध्रों की राजधानी संपादित करें

सातवाहन नरेशों की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठान इतिहास में प्रसिद्ध रहा है। जान पड़ता है कि मलयवाहन इसी वंश का राजा था। प्राचीन काल में आंध्र साम्राज्य की राजधानी कृष्णा के मुहाने पर स्थित धन्यकटक या अमरावती में थी, किन्तु प्रथम शती ई. के अंतिम वर्षों में आंध्रों ने उत्तर पश्चिम में एक दूसरी राजधानी बनाने का विचार किया। क्योंकि उनके राज्य के इस भाग पर शक, पहलव और यवनों के आक्रमण का डर लगा हुआ था। इस प्रकार आंध्र साम्राज्य की राजधानी प्रतिष्ठान या पैठान में बनाई गई और पूर्वी भाग की राजधानी धन्यकटक में ही रही। प्रतिष्ठान में स्थापित होने वाली आंध्र शाखा के नरेशों ने अपने नाम के आगे आंध्रभृत्य विशेषण जोड़ा, जो उनकी मुख्य आंध्र शासकों की अधीनता का सूचक था, किन्तु कालान्तर में वे स्वतंत्र हो गए और शातवाहन कहलाए।

साँचा:हा लेख जिस नाम से साड़ी प्रकार की पैठणी का नाम आया, वह महाराष्ट्र के इतिहास में 2 वर्षों से पैठण है (ये वर्ष कहाँ गए? ) अपनी विशिष्टता बनाए रखता है। यह गांव प्राचीन काल से 'दक्षिण काशी' के रूप में जाना जाता है। अतीत में (मूल नाम "स्थापना") सातवें राजा की राजधानी थी। उस समय से अब तक, संस्कृत और धर्मशास्त्र का अध्ययन करने वाले पंडितों द्वारा किया गया निर्णय अंतिम माना जाता था। पैथन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि महानुभाव संप्रदाय के प्रवर्तक चक्रधर स्वामी कुछ समय के लिए रहे। लेकिन एकनाथ महाराज के कारण पैठण को यह सब याद है। जन्मस्थान और कर्मभूमि 7 वीं शताब्दी में एकनाथ महाराज का जन्म स्थान था। एकनाथ महाराज का महल पैठण में था। इस महल को मंदिर में बदल दिया गया है।

एकनाथ का किराया इतना महान था कि यह माना जाता था कि गोरे श्रीनाथ के रूप में एकनाथ के घर में पानी लाते थे। इस बावड़ी में अभी भी पानी की झील है। बालकृष्ण ने मंदिर प्रांगण में एकनाथ की पूजा की है। इस महल को नाथ असई गावकरी कहा जाता है, जिस स्थान पर एकनाथ ने गोदावरी कंटेनर में अपने शरीर को आंतरिक नाथ और गाँव के बाहर रखा था। वहां एकनाथ का मंदिर बनाया गया है।

फाल्गुन वैदिक शास्त्री को नताष्टी कहा जाता है। यह एकनाथ महाराज की पुण्यतिथि है। छह दिन एक बड़ा उत्सव है। अष्टमी को गोपालक मिलता है और त्योहार समाप्त होता है।

गोदावरी के समय नागघाट के नाम से जाना जाता है। यहीं पर जनेश्वर ने वेदों को त्रिज्या के मुख से मारा। यहां राधा की एक बड़ी प्रतिमा है।

अंग्रेजों द्वारा निष्पादित पेठ शहर हैदराबाद संस्थान के अधिकार में था। [1]

तालुका में उद्योग मध्यम आकार के और बढ़ते हैं। एमआईडीसी पैठण शहर के पास है, लेकिन कई उद्योग बंद हैं। वीडियोकॉन जैसे कुछ उद्योग चटगाँव तालुका में चल रहे हैं। रोजगार का मुख्य स्रोत कृषि है।

लेकिन इस साल (डीएमआईसी) दिल्ली मुंबई औद्योगिक केंद्र पैथन परियोजना बिडकिन में शुरू होने जा रहा है, इसलिए तालुका में रोजगार का सवाल निश्चित रूप से हल हो जाएगा।

1। संत भानुदास महाराज

  • संत एकनाथ महाराज की समाधि  : संत एकनाथ महाराज समाधि मंदिर पैठण में मुख्य मंदिर है। एकनाथ महाराज, एकनाथ छठी, एकादशी, दीपावली पर कई भक्त आते हैं, इस दिन बड़ी संख्या में भक्त मिलते हैं।
  • संत एकनाथ महाराज का महल  : नाथ महाराज के वाड़ा के रूप में जाना जाने वाला यह स्थान समाधि मंदिर से कुछ दूरी पर है। मुख्य रूप से यह एकनाथ महाराज का निवास स्थान है।
  • सातवाहन राजाओं के महल के महल में एक कुआं है। इस कुएँ को शाहिलाना कुँआ कहते हैं।
  • जयकवाड़ी बांध  : गोदावरी नदी पर जयकवाड़ी पैठण बांध के पास है। यह प्रसिद्ध बांध, महाराष्ट्र के सबसे बड़े बांधों में से एक है, जो बांध के पीछे स्थित है।
  • बैंगनी बाग
  • संत ज्ञानेश्वर पार्क
  • nagaghata  : नागघाट गोदावरी नदी के तल में एक सुंदर स्थान है जहाँ ज्ञानेश्वर महाराज वेदों का आह्वान करते हैं। ऊपर से गणपति, हनुमान मंदिर, नाग देवता मंदिर, महादेव मंदिर भी हैं। नागपंचमी पर बड़ी संख्या में त्योहार होते हैं।
  • लड्डू लाउंज कैसल
  • जामा मस्जिद
  • तीर्थ का स्तंभ
  • मौलाना सर दरगाह
  • जैन मंदिर पैठण दिगंबर जैन मंदिर पैठण में एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। जैन और धार्मिक लोग देश के कोने-कोने से बहुत दूर आते हैं।
  • सतबंगला पैठणी साड़ी केंद्र
  • बिजली परियोजना, पुराना कवासन नाथसागर बांध
  • नवनाथ मंदिर, पलथी नगर पैठण
  • छत्रपति शिवाजी महाराज प्रतिमा चौक
  • महाराणा प्रताप चौक
  • मराठा क्रांति भवन (महाराष्ट्र में पहला क्रांति भवन)

2। संत एकनाथ, संत एकनाथ का जन्म हुआ।

10। अशोक चव्हाण (पूर्व मुख्यमंत्री) [[श्रेणी:महाराष्ट्र के गाँव]] [[श्रेणी:औरंगाबाद ज़िला, महाराष्ट्र]] [[श्रेणी:महाराष्ट्र में पूजास्थल]]

  1. "पैठण" (मराठी में). महाराष्ट्र राज्य मराठी विश्वकोश निर्मिती मंडळ, मुंबई.