Sinjitapanda1830176
जन्मनाम सिंजिता पण्डा
लिंग स्त्रीलिंग
जन्म तिथि ०२/०२/२०००
जन्म स्थान सम्बल्पुर, ओडिशा
देश  भारत
नागरिकता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
पेशा विद्यार्थी
शिक्षा बी ए
विश्वविद्यालय क्राइस्ट विश्वविद्यलय
उच्च माध्यामिक विद्यालय दिल्ली पब्लिक स्कूल, रायपुर, छ्त्तीसगढ़
शौक, पसंद, और आस्था
शौक चित्रकारी, किताबें पढ़ना, लिखना, यात्रा करना, वन्यजीव अनुसंधान, संगीत सुनना
धर्म हिंदू
सम्पर्क विवरण
ईमेल sinjita.panda@gmail.com
ट्विटर sinjita_0202@twitter.com

जीवन परिचय संपादित करें

मेरा नाम सिंजिता पण्डा है। मैं १८ वर्ष की हूँ और क्राइस्ट विश्वविद्यालय, बेंगालुरु, कर्नाटका में सी.इी.पी. (कम्युनिकेशन एवं मास्स मीडिया स्टडीज़्, इंग्लिश और साइकोलॉजी) का कोर्स कर रही हूँ। मेरा जन्म ओडिशा में हुआ था परन्तु मैं अपने माता-पिता के साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहती हूँ।

परिवार संपादित करें

मेरे परिवार में वैसे हैं तो बहुत सदस्य परंतु मैं रहती केवल अपने माता-पिता के साथ हूं। मेरे परिवार के अधिकांश सदस्य ओडिशा में रहते हैं परन्तु मेरे पिता की नौकरी के कारण हमारा स्थानांतरण होता रहता है।

मेरे पिताजी केंद्रीय उत्पाद शुल्क वरिष्ठ प्रवर्तन निदेशक हैं एवं माता गृहिणी हैं। क्यूँकि अपने माता-पिता की मैं इक-लौती बेटी हूँ, बचपन से ही वे मेरे प्रति अतिसंरक्षित रहे हैं।

शिक्षा संपादित करें

मैंने कक्षाएँ चौथी से बारहवीं दिल्ली पब्लिक स्कूल (डी.पी.इस.) में पढ़ी हैं। पाठशाला में अंग्रेजी एवं जीवविज्ञान मेरे सबसे पसंदीदा विषय हुआ करते थे। मैंने जर्मन भी एक विषय के तौर पर पढ़ा है और इसके साथ-साथ मुझे हिंदी, अंग्रेज़ी, ओड़िया और थोड़ा बहुत कोरियाई का ज्ञान है। कविता पठन, बहस, स्पेल बी, थिएटर, प्रश्नोत्तरी एवं अन्य कई प्रतियोगिताओं में मैं भाग लिया करती थी।

कक्षा ग्यारहवीं एवं बारहवीं में मैंने विज्ञान का क्षेत्र (भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीवविज्ञान) चुना था क्यूंकि विज्ञान में मुझे दिलचस्पी थी। मेरा विश्वविद्यालय में यह कोर्स चुनने का मकसद यह है कि मुझे एक ऐसे प्रगतिशील कोर्स करने का मौका मिले जिसके द्वारा मुझे अनावृत्ति मिले और मेरा समग्र विकास हो सके। यहाँ अध्यापक तो प्रतिभावान हैं ही, साथ में विद्यार्थियों से भी बहुत कुछ सीखने को मिलते है। क्राइस्ट में पढ़ना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

वर्त्मान में मैं क्राइस्ट विश्वविद्यालय, बेंगालुरु, कर्नाटका में सी.इी.पी. (कम्युनिकेशन एवं मास्स मीडिया स्टडीज़्, इंग्लिश और साइकोलॉजी) का कोर्स कर रही हूँ।

प्रारंभिक जीवन एवं शौक संपादित करें

मेरा बचपन बहुत ही सुखद एवं रंगीन रहा। मैं स्वयं को भाग्यशाली मानती हूँ क्यूँकि मेरा प्रारमभिक जीवन बिना किसी कष्ट के खुशी-खुशी बीता। हँसते-खेलते कब बड़ी हुई पता ही नहीं चला और इसका पूरा श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है जिन्होंने मुझे कभी कोई तक़लीफ़ पहुँचने नहीं दी।

बचपन से ही मुझे तैराकी एवं दौड़ पसंद थे। हलाकि, बाकी खेलों में भाग लेने की उत्सुकता या दिलचस्पी मुझमें कतई नहीं है, मुझे टेनिस, फुटबॉल, बैडमिंटन, एवं अन्य खेलों के मैच देखना बेहद पसंद है। ओलंपिक्स में होने वाले कार्यक्रम - फिगर स्केटिंग का इंतज़ार मैं हर वर्ष बेसब्री से करती हूँ। इसके साथ-साथ, किताबें पढ़ने का भी शौक है। मुझे रहस्य उपन्यास पढ़ना बहुत पसंद है एवं मेरे पसंदीदा लेखकों में से एक डैन ब्राउन हैं। मुझे ऐसी किताबें पसंद आती हैं जो मुझे आत्मनिरीक्षण का मौका देती हैं। इसका एक उदाहरण डैन ब्राउन द्वारा लिखा गया उपन्यास 'द दा विन्ची कोड' है। चित्रकारी, यात्रा करना, वन्यजीवन एवं प्रकृति के बारे में जानना मेरी कुछ अन्य रुचियाँ हैं। जहाँ तक बात संगीत की आती है, मेरे ह्रदय एवं आत्मा को शान्ति देने में संगीत आरम्भ से ही बहुत बड़ा सहयोगी रहा है। मैं कई भाषाओं के गाने सुनती हूँ, ख़ासकर कोरियाई एवं जापानी गाने। मेरा मानना यही है कि यदि गानों के बोल में मिठास और अर्थ हो, तो गाना भले ही किसी अन्य भाषा में क्यों न हो, उसकी सराहना की जानी चाहिए।

चित्र:Passport Photo of Sinjita Panda (2018).jpg
सिंजिता पण्डा

लक्ष्य संपादित करें

आगे चलकर, मेरा यही सपना है कि मैं मानसिक रूप से परेशान लोगों कि सहायता कर सकूँ। मैं मानसिक बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाना चाहती हूँ और इनके इलाज के लिए गहरा अनुसंधान करना चाहती हूँ। दुनिया की सैर कर, भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों से मिलकर उनके बारे में जानना, अन्य देशों की परम्पराओं एवं संस्कृति के विषय में ज्ञान बढ़ाना, तरह-तरह की भाषाएँ सीखना एवं कई प्रकार की किताबें पढ़ना मेरी इच्छाओं में से कुछ हैं। मेरे पिताजी हमेशा कहते हैं कि जीवन में परम लक्ष्य स्वयं कि खुशी होनी चाहिए, न कि परीक्षा का परिणाम और  शोहरत। अपना मनोबल बनाकर, दूसरों को हौसला दे पाऊं एवं उनके चेहरे की मुस्कुराहट का कारण बन सकूँ, यही मेरी आशा है।