लाल रंग एक भारतीय २०१६ हिंदी एक्शन थ्रिलर फिल्म है जो सैयद अहमद अफजल द्वारा निर्देशित और नीतिका ठाकुर द्वारा उत्पादित फिल्म है। इस फिल्म मे रणदीप हुड्डा,अक्षय ओबेराय, और पीया बाजपेयी मुख्य किरदार निभाते है।

यह कहानी हरयाणा की रोहतक शहर के पास का करनाल मे शुरु होति है। राजेश (अक्षय ओबेरॉय) एक नौजवान है जिसे अपनी एक साथी-छात्र पूनम से प्यार है।कॉलेज मे राजेश का मुलकात शंकर (रणदीप हुड्डा) से होता है जो एक अवैध ब्लड बैंक चलाता है। शंकर बहुत चालाक है ओर लोगो को अपने वश मे करने मे माहिर है। शंकर भी एक पंजाबी लड़की (राशि) से प्यार करता था, लेकिन वे बिछड़ जाते हैं। हालांकि शुरू में राजेश श्न्कार कि अवैध ट्रेडों के बारे में पता नहीं है, लेकिन पता चलते हि वह पैसे कामाने के लिए खुशी-खुशी काम मे हाथ बटाटा है। । इस बीच रशि शंकर से मिलने आति है ओर उनका प्यार फिर से खिलता है।धिरे धिरे व्यापार मे ऊंचाइ आती है और राजेश पूनाम की सामने अपनी पैसो कि दिखावा करता है


 पुलिस को इस व्यवसाय का संकेत मिलता है और पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में अवैध गतिविधि बंद करने मे लग जाते हैं।। एक दिन शंकर ओर रशि का फिर से ब्र्क अप हो जाता है ओर शंकर को बहुत दुख होता है। इसी बीच पुलिस द्राकुला को पकड़ लेती है। राजेश एक बीमार आद्मी को शनी बाबा के ब्लड सप्प्लैई करता है ओर बीमार को हेच आइ वि हो जाता है। पुलिस राजेश को पकड लेति है लेकिन शंकर सारा इल्ज़ाम अपने ऊपर ले लेता है ओर जैल चाले जाता है। सालो बाद शंकर ओर राजेश कि मुलाकात फिर से होता है।राजेश ने पूनम से शदि कि ओर उनको एक बेटा अभि अभि पैदा हुआ है। शन्कर ने भि अपनी पुरानि काम चोडकर एक एन.जि.ओ शुरु किया है।
रणदीप हुड्डा - शंकर
पीया बाजपेयी - पूनम शर्मा
जयहिंद कुमार - हर्नाम्
अक्षय ओबेरॉय - राजेश धीमान 
राजनीश दुग्ग्ल  - अपीएस अधिकारी 
आशुतोष कौशिक
राशि - मीनाक्षी दीक्षित 
श्रेया नारायण - नीलम 
राजेंद्र सेठी -पुशपेन्दार
पुष्कर आनंद
शनि बाबा - कुमार सौरभ 
अतुल 
सुमित गोयल

आलोचनात्मक स्वीकार्यता

संपादित करें
टाइम्स ऑफ इंडिया की मोहर बसु ने इसे ५ में से २ दिया है, रणदीप हूडा फिल्म की अहम कड़ी हैं और फिल्म में उनका बखूब प्रदर्शन है। पिया बाजपेयी ने 'पूनम' के किरदार में अंग्रेजी बोलने का एक अलग फ्लेवर दिया है जो आपको याद रह जाता है, अक्षय ओबेरॉय ने भी एक अच्छा हरियाणवी किरदार निभाया है, वहीं रजनीश दुग्गल, मीनाक्षी दीक्षित और राजेंदर सेठी का किरदार भी कहानी के साथ-साथ जाता है। हिंदुस्तान टाइम्स के रोहित वत्स इसे ५ में से ३ स्टार दे दी है, ने लिखा है कि फिल्म एक छाया ग्रे है और एक साधारण थ्रिलर की तुलना में काफी अच्च्छा है। इंडियन एक्सप्रेस की शुभ्रा गुप्ता ५ से बाहर १,५ सितारों दे दी है, उद्धृत किया है कि फिल्म दो `वास्तविक जीवन 'की घटनाओं के आधार पर लिखा है, लेकिन यह हमें कहि नहीं बताया है । पहला डाक की अन्ना एम.एम. क मन्ना है कि शीर्षक गर्म है, लेकिन फिल्म नहीं है।
आज तक का केहना है कि फिल्म की स्क्रिप्ट कई सारी सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और फिल्मांकन के दौरान वो आपको बांधे रखती है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी सराहनीय है और शूट करने का तरीका भी काफी अलग है, 'ड्रोन कैमरे' का भी प्रयोग किया गया है जो देखने में काफी दिलचस्प लगता है। फिल्म की कहानी इंटरवल के बाद थोड़ी बड़ी लगने लगती है जिसे आसानी से छोटा किया जा सकता था। स्क्रीनप्ले और संवाद बहुत अच्च्छे हैं। फिल्म में 'बावली बूच', 'खर्च करोड़', 'ए खुदा' जैसे गाने हैं जो कहानी के साथ-साथ अच्छे लगते हैं।फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी एडिटिंग है. फिल्म को थोड़ा और अच्छे से एडिट किया जाता, तो इसका फ्लो बहुत ही अच्छा लगता। कई सारे ऐसे सीन हैं जो नहीं होते तो फिल्म और ज्यादा कट टू कट दिखाई पड़ती।
राजेश (ओबेरॉय) शंकर (हुड्डा) के साथ एक 'खूनी' कार्टेल का हिस्सा बनने के लिए: जब वहाँ अधिक मांग है, और आपूर्ति कम है, नकदी के लिए तैयार स्नेहक छिपकर एक बिंदु से जीवन रक्षक रक्त के पैकेट में शिफ्ट हो जाता है बी बात करने के लिए
सेटिंग करनाल, हरियाणा है। और 'लाल' रंग 'हमें कभी यह भूल जाते हैं की सुविधा देता है। हुड्डा ने एक सच्चे-नीले जाट है और और प्रामाणिक ध्वनि करता है सकते हैं। अन्य पात्रों भी सहारनपुर महिला पूनम जिसका अन्गरेज़ि भाषा के साथ प्रयोगों उल्लसित हैं सहित दृश्य का बहुत ज्यादा एक हिस्सा है।

भान्ग्ग रगड के - विकास कुमार,विपिन पाटवा

बावालि बूच - विकास कुमार

खाराच खरोड - शिराज़ उप्प्ल, कशिफ अलि

बोक्स ऑफिस

संपादित करें

बॉक्स ऑफिस इंडिया के अनुसार, फिल्म १० करोड़ के बजट पर अपने जीवनकाल में १.९२ करोड़ रुपये एकत्र किया।

[1][2][3]

  1. Article in The Wikipedia
  2. Article in Aaj tak
  3. Article in Hindusthan Times