सदस्य:Srutha Keerthi RAG/WEP 2018-19
बगीचा सिंह को भारत का "मैराथान मैन" कहां जाता है। वे ८१ साल के हैं और अपने जीवन के उस पड़ाव में जब इंसान अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति लेकर आराम करने की इच्छा रखता है बगीचा सिंह भारत के दौरे पर निकले हुए हैं। यह एक ऐसे देश भक्त हैं जिन्होंने देश के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया पिछले 22 साल से यह भारत दौरे पर चल रहे हैं। अभी तक यह 580000 किलोमीटर की दूरी पैदल चलते हुए तय कर चुके हैं।
शुरुआती जीवन
संपादित करेंबगीचा सिंह जी पानीपत,हरियाणा के निवासी हैं। बगीचा सिंह जी ने 12वीं के बाद अपनी पढ़ाई त्याग दी और समाज की सहायता के लिए कुछ करने का उच्च कार्य शुरू कर दिया था। तब ही उन्होंने समाज सेवक बनने का निश्चय कर लिया था। 20 वर्ष पहले जब बगीचा सिंह के पिता ने उनसे उनके विवाह की बात की तब उन्होंने गृहस्थ जीवन से साफ इंकार कर कर देश भक्ति की राह चुन ली। उनके पिता ने उनके इस निर्णय में उनका साथ दिया और कहा कि अगर वह देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो वह हमेशा उनके साथ हैं। उसके पश्चात अपनी रोती हुई मां को छोड़कर बगीचा सिंह देश के लिए कुछ करने निकल पड़े उनकी यह यात्रा 22 फरवरी 1993 को शुरू हुई।
उनकी प्रेरणा
संपादित करेंबगीचा सिंह जी आजादी के प्रथम अन्वेषक शहीद चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह को अपनी प्रेरणा का स्रोत मानते हैं। इन शहीदों की तरह ही उन्होंने भी गृहस्थ जीवन का त्याग कर कर देश के लिए कुछ करने का निश्चय किया, और इन्हीं की तरह वह भारत की आने वाले भविष्य को सुरक्षित कर भारत माता का कर्ज चुकाना चाहते हैं।
यात्रा की शुरुआत
संपादित करें22 फरवरी 1993 को बगीचा सिंह जी ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक का कभी न खत्म होने वाला सफर शुरू कर दिया था। वह पदयात्रा के माध्यम से ही यह यात्रा करते आ रहे हैं। यात्रा की शुरुआत में उन्होंने 90 किलो का एक बस्ता ले लिया था, और दो 18 फीट ऊंची पोलों पर भारतीय तिरंगे को लहराते हुए वह इस यात्रा पर निकल पड़े।
दिनचर्या
संपादित करेंबगीचा सिंह ने अब तक देश के 21 चक्कर लगा लिए हैं और अब वह अपने 22वे पदयात्रा पर है। सिंह साहब रोज सुबह 5:00 बजे उठ जाते हैं और दोपहर 12:00 बजे तक चलते रहते हैं। 12:00 बजे के पश्चात वह 1 घंटे के लिए आराम करते हैं और फिर चलना शुरू कर शाम 7:00 बजे तक अपनी दिन की यात्रा खत्म करते हैं। अपनी हर भारत पद यात्रा की शुरुआत में वह एक अलग रास्ता लेते हैं जिससे वह समाज के हर कोने तक अपनी बात पहुंचा सके।
लक्ष्य
संपादित करेंबगीचा सिंह जी भारत की युवा पीढ़ी को उनके तमाम बुराइयों और आ आसक्तियों से मुक्त कराना चाहते हैं। उनकी यात्रा का लक्ष्य है कि वह भारतवर्ष में तंबाकू, शराब, भ्रष्टाचार और असुरक्षित यौन संबंधों से होने वाली क्षति के बारे में जानकारी दे सकें।
नैतिकता की सीख
संपादित करेंइनकी यात्रा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम अपने समाज में एक बदलाव देखना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि हम अपना रास्ता बनाते हुए लोगों तक अपनी बात पहुंचाएं और अपने लक्ष्य को कभी ना भूलें। अगर हम सारी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को याद रखते हुए आगे बढ़ते रहें तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे ही महापुरुषों के होने मात्र से मनुष्य योनि को खुद पर गर्व है और हम उनकी सच्चाई और दृढ़ इच्छा शक्ति को सलाम करते हैं।