Subhash chandra akela
गोरखपुर शहर में एक ऐसा शख्स भी है जो भगवान की जगह शहीदों की पूजा करता है. वह देवी देवताओं की नहीं बल्कि आजादी के महानायकों की अराधना करता है. इस मंदिर के पुजारी हैं सुभाष चन्द्र 'अकेला'. देश पर मिटने वाले अमर शहीदों के लिए उनका समर्पण देख लोग उन्हें 'आजादी के दीवानों का दीवाना' कहकर पुकारते हैं.
सजा रखी हैं शहीदों की तस्वीरें
सुभाष गोरखपुर के गोरखनाथ के शास्त्रीनगर कालोनी में रहते हैं. 56 साल के 'अकेला' के लिए राष्ट्र पर कुर्बान होने वाले भगवान की तरह हैं. राष्ट्रप्रेम का जुनून ऐसा है कि अपने घर के एक कमरे में सभी महापुरुषों की सुबह-शाम पूजा करते हैं. उनके लिए यह कमरा किसी मंदिर से कम नहीं है. खास बात यह है कि यहां स्वतंत्रता सेनानियों की फोटो सबसे ऊपर है. इस बारे में पूछने पर सुभाष कहते हैं देवी स्वरुप भारतमाता को जिन्होंने आजाद कराया वे मेरे लिए देवतुल्य हैं.
सिक्कों और लाइब्रेरी का कलेक्शन देश पर मर मिटने वाले शहीदों को याद रखने का जुनून ऐसा है कि 'अकेला' ने शहीदों से जुड़े हर सिक्के का कलेक्शन किया है. इस काम में उनके बेटे और दोस्त भी उनकी मदद करते हैं. यहीं नहीं कमरे के एक कोने में छोटी से लाइब्रेरी भी है जिसमें केवल शहीदों की आत्मकथा और देशभक्ति से जुड़ी किताबें ही रखी हैं. यह लाइब्रेरी पब्लिक के लिए बिलकुल फ्री है, जब कोई उनसे किताब मांगने आता है तो 'अकेला' उसे न केवल फ्री में किताब देते हैं बल्कि उन आजादी के गुमनाम महानायकों की जानकारी देते हैं.
ये पूजे जाते हैं भगवान की तरह सुभाष 'अकेला' ने मंदिर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, सुखदेव, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, महाराणा प्रताप, शिवाजी, शचींद्रनाथ सान्याल, रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खान, मदन लाल धींगरा, सूर्य सेन, अरविंद घोष, वीर सावरकर, हेमू कालानी, ऊधम सिंह, करतार सिंह सराभा, बटुकेश्वर दत्त, अब्दुल हमीद, वीर बंता सिंह, मैडम भीका, सरदार अली खां, राजेन्द्र लाहिड़ी, महात्मा फूले, राजेंद्र प्रसाद, सर्वपल्ली राधा कृष्णन, जगजीवन राम, लाल हरदयाल, जय प्रकाश समेत कई शहीदों की फोटो लगी हैं.
चलते फिरते इनसाइक्लोपीडिया जिन सपूतों के फोटो सुभाष 'अकेला' के मंदिरनुमा कमरे में लगे हैं. उनकी जयंती और शहादत दिवस भी वे पड़ोसियों और दोस्तों को बुलाकर मनाते हैं. इतना ही नहीं सुभाष स्कूलों में जाकर अमर सपूतों के बलिदान के बारे में बच्चों को बताते हैं. उन्हें अपनी ओर से पर्चे भी उपलब्ध कराते हैं. उनका कहना है कि स्वतंत्रता सेनानियों की गाथा को युवा पीढ़ी भूलती जा रही है. उनकी इस महान विरासत को बचाने के लिए जरुरी है कि बच्चों को महानायकों के संघर्ष व कुर्बानी के बारे में बताया जाए. सुभाष को महापुरुषों का इतिहास जानने का भी जुनून हैं. बुक, न्यूजपेपर और इंटरनेट के जरिए से उन्होंने अनेक ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों का विवरण एकत्रित कर रखा हैं जिनकी आम लोगों में या सरकारी आयोजनों में चर्चा शायद ही होती हो. उनका कहना है कि आजादी के संग्र्राम में योगदान देने वाले कुछ चर्चित नायकों का उल्लेख तो बहुत होता हैं, लेकिन उनके साथ शहादत देने वाले सेनानियों को कोई याद नहीं करता क्योंकि उनके इतिहास के बारे में पता नहीं होता. मेरा प्रयास यही है कि प्रत्येक क्रांतिकारी की कुर्बानी से राष्ट्रवासियों को परिचित कराया जाए. सुभाष कहते हं कि उन्हें राष्ट्रीयता की सीख अपने पिता. स्व राम नयन गुप्ता से मिली. जिन्होंने उन्हें अपनी संस्कृति व परंपराओं से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया था.
आज बच्चे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को महज एक प्रोग्र्राम के रुप में देखते हैं जबकि उन्हें देश के उन महानायकों से रुबरु कराना उनके पैरेंट्स की नैतिक जिम्मेदारी है. देश के बच्चों को ये जानना चाहिए कि देश को आजादी दिलाने के लिए इन महान नायकों ने कितनी कुबार्नियां दी हैं. -सुभाष चन्द्र 'अकेला'
चन्दन प्रिय
गोरखनाथ गोरखपुर