सती(एकांकी)

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जी.जे.हरिजीत जी का प्रसिध्द एकांकी है सती।हरिजीत जी का जन्म कर्नाटक राज्य के चित्रदुर्ग मे हुआ था।प्रस्तुत एकांकी मे "सती प्रथा" मे निहित सामाजिक कुरीति की वर्ण की गई है।

यमराज-यमलोक के राजा। चित्रगुप्त-यमराज के सहायक। आत्मा१- जो मृत्यु के बाद यमलोक आता है। आत्मा२- आत्मा१ कि पत्नी,जिन्होने पति के मृत्यु के बाद सती होकर यमलोक आ पहुँचती है।

सारांक्ष

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यमलोक की सभा में,यमराज और चित्रगुप्त अपने-अपने आसनो पर आसीन है।अचानक कुत्ते भौंकने लगते है।यमराज और चित्रजुप्त के बीच बातचीत होती है और यमराज पूछते हे कि कुत्तें क्यो भौंक रहे है?कोई आत्मा आई है क्या?चित्रगप्त बताते हे की-जी महाराज,आजकल भारतवर्ष से बहुत आत्माँए आ रहे है।यमराज पूछते हे कि वहाँ कोई दुर्घटना हुई है क्या?चित्रगुप्त कहते हे कि भारतर्वष मे दुर्घटना का अर्थ बदल गया है,हत्या को दुर्घटना कहकर चुप रहते है और दुर्घटना को हत्या कहकर हंगामा मचाते है।इसके बीच कुत्तें और तेज से भौंकने लगते है और चित्रगुप्त के कहने पर आत्मा१ का प्रवेश होता है। चित्रगुप्त से यमराज यह जानना चाहता है कि आत्मा अस्थियाँ से लिप्टी क्यो है?चित्रगुप्त के पुछ्ने पर आत्मा१ यह बताते हे कि-उसका नाम श्रीपति है और सब उसको पति कहकर बुलाते थे।बचपन मे उसका कोई रोग था और वही रोग जवानी मे उसको मार दिया।माँ-बाप ने इलाज या चिकित्स भी कराई लेकिन उस रोग के लिए कोई निदान या सुझाव नही था।वह जानलेवा बीमारी थी।इसके बाद चित्रगुप्त पुछते है कि उसको इस बीमारी के बारे मे कब से पता था,तो आत्मा१ कहता है कि जब से उसने होश संभाला तब से उसको इस बीमारी के बारे मे जानकारी थी,और आगे,चित्रगुप्त के पूछने पर यह कहता हे कि-विवाह सब करते है,वह युगधर्म है,इसलिए उन्होंने शादी किया ,बीमारी होते हुए भी।फिर चित्रगुप्त कहते हे कि युवस्था में किसी को विधवा बनाना युगधर्म नही है।तब आत्मा१ कहता है कि उसके साथ भी अन्याय हुआ क्योंकि वह छोटी उमर में ही मरकर यमलोक पहुँचा।फिर चित्रगुप्त उसके मृत्यु का कारण बताता है।चित्रगुप्त कहते है कि-आत्मा१ ने अपने पिछले जन्म में बहुत सारे पाप किया था।वह पिछ्ले जन्म में बहुत सारे घुँस ले-लेकर अपने पाप को बढाया था और अपने पाप का घडा को भर दिया था।अगर उन्होंने विवाह नही किया तो वह पाप मुक्त हो जाता होगा,लेकिन विवाह करके उसने अपने पाप को और् बढा दिया।आत्मा१ हैरान होकर कहता है कि विवाह करना पाप नही है,तब चित्रगुप्त कहते हे कि विवाह करना पाप नही,लेकिन रोगी होते हुए भी उन्होंने विवाह किया और इस प्रकार उन्होंने एक भोली-भाली लडकी का जीवन न्ष्ट कर दिया।