Uksingh2809
मन तो मेरा क्रुद्ध रहता है, क्या झुमु नाचूँ गाउ मैं
आजादी के 70 वर्षों का, कैसे जश्न मनाऊ मैं
बच्चे आज भी भूखे मरते, है जहाँ की धरती पर
संविधान मरा पड़ा है, लोकतंत्र हैं अर्थी पर
कभी कभी गर्वित होता हूँ, अपने देश की थाती पर
आस्तीन के सांप लेटे है, लालकिले की छाती पर
मंहगाई की मार पड़ी है, भरपेट कहाँ से खाऊ मैं
आजादी के 70 वर्षों का, कैसे जश्न मनाऊ मैं
कोई हमारे सैनिक पर , रोज पत्थर बरसाता है
जानवरों का चारा भी, नेता चट कर जाता है
रक्षक खोये खोये रहते है, पाक चीन की बॉर्डर पर
पता ना ख़ामोश क्यों रहते हैं, किस नेता की आर्डर पर
इन सब मौसम में , बसंती हवा कहाँ से लाउ मैं
आजादी के 70 वर्षों का, कैसे जश्न मनाऊ मैं
हमारे युवा भागते रहते है, कुछ सुंदरियों के पीछे
क्या इसी के खातिर, आजाद आज़ादी को सींचे
एक इंकलाब के खातिर, भगत सिंह थे फाँसी झूल गए
आज हम सलमान के आगे, खुदी राम को भूल गए
ऐसी जज्बातों के संग, अब कहाँ को जाउ मैं
आजादी के 70 वर्षों का, कैसे जश्न मनाऊ मैं
हिन्दी विभाग
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय