सदस्य:Upadhyay priyanka/प्रयोगपृष्ठ/1
अदम गोन्डवी-परिचय
जन्म
संपादित करेंअदम गोन्डवी (२२ अक्टूबर १९४७-१८ दिसेम्बर २०११)एक हिन्दी कवी थे।उनका असली नाम राम नाथ सिंह था।उनका जन्म परसपुर,गोन्डा,उत्तर प्रदेश मे हुआ था।वह एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे।पारिवारिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह सिर्फ प्राइमरी तक ही पढ पाए।उन्होंने हिन्दी में कविताएँ लिखीं जो की दलितों और छोटे वर्गों के खराब स्थिति को दर्शाता है।गोन्डवी की कविताएँ राजनेताओ के भ्रष्ट रूप को दिखाती है।जीविका चलाने के लिये वह किसान का कार्य करते थे।कंधे पर अंगोछा डालने वाले एक किसान के हाथ कितने भी स्ख्त क्यों न हो परंतु उनकी कविताएँ दिल को छू जाने वाली रेह्ती थीं।
रचनाएँ
संपादित करेंउनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको,जो की इस समाज की सच्चाई को दर्शाता है।यह कविता एक लड्की के बारे में है जिसका बलात्कार हो जाता है,और वह डरी सहमी लड्की अंत में कुएँ में कूद कर अपनी जान दे देती है।इनकी अन्य मुख्य कविताएँ कुछ इस प्रकार हैं-धरती की सतह पर,समय से मुठभेड़,आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे,काजू भुनी प्लेट म्ं व्हिस्कि गिलास में-जो की भ्र्ष्ट राजनेताओ के ऊपर व्य्ंग है।वर्ष ११९८ में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें दुश्य्ंत कुमार पुरस्कार से स्म्मानित किया।गोन्डवी ऐसे कवि थे जिन्होंने अपनी धारदार कविताओं के माध्यम से आम हिंदुस्तानी के विचारों को शब्द दिए।वह एक सीधे-साधे व्यक्ति थे।वह चकाचौंध की जिंदगी से दूर ही रेहते थे।
योगदान
संपादित करेंगोन्डवी ने हिन्दी गज़ल को रूमानियत से निकाल कर एक बगावत का लहज़ा बनाया।उनके शायरियों में सामाजिक परिस्थिति के बारे में बताया गया है।उनकी कविताओं में समाज को सुधारने की बातें कहीं गयी हैं।उन्होंने जातिगत राजनीति का अपने शायरियों द्वारा असमर्थन किया।
जीवन के आखिरी पल
संपादित करेंगोन्डवी उदर रोग से पीडित थे।इतनी कविताएँ लिखने के बाद भी उनकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर ही रही।उनहोंने प्र्तिष्ठा तो पाई ,परंतु जीविका चलाने के लिए वह पैसे नही कमा सके।उनके पूरे जीवन भर उन्हें पैसे का अभाव सताता रहा।उन्हें अपने इलाज के लिए भी दूसरों से चंदा माँगना पड़ा था।उनहोंने २२ दिसेम्बर २०११ को एसजीपीजीआई अस्पताल में अपनी आखरी साँस ली।इतनी बेबाकी से कविताएँ लिखने का जज़्बा काफी कम लोगों में देखा जाता है।क्योन्कि आजकल तो लेखकों को इतनी स्वतंत्रता नही मिलती है।लेखक आज के ज़माने मे भी पिंजरे में कैद हुए बैठे है।वह अपनी कलम के द्वारा दुनिया बदलने की सोचते हैं,पर्ंतु ऐसे भ्र्ष्ट समाज में इन्हें भी सांस लेने की इजाज़त नहीं है।हमें इनकी कविताएँ और शायरियों से कुछ सीख लेनी चाहिए।उन्होंने हर एक कविता को एक उद्देश्य से जोड़ा है,जो की जनता को समझ आना बहुत ज़रूरी है। यह कविताएँ लोगों में जागरुकता फैलाएगी,लोग भ्र्ष्ट नेताओं के कार्यों से परिचित होंगे।और नेताओं को जाति और धर्म के बल वोट और राजनीति करने से रोक सके,क्योंकि यह जनता ही है जो ऐसे भ्रष्ट नेताओं की बातों मे आकर उनको चुनती है।इन सब विषयों के बारे में हर कोई चर्चा नहीं कर पाता,इसलिए ऐसे कवियों को आगे आने का बढावा देना चाहिए।[1]