सदस्य:Vegan Bareilly/प्रयोगपृष्ठ
वनस्पति आधारित भोजन की पहचान
संपादित करेंलेख: Shubhanshu Singh Chauhan Vegan
प्रत्येक पशुउत्पाद[1] मांसाहारी उत्पाद की श्रेणी में आता है और पशु के उत्पीड़न का प्रमुख कारण भी माना जाता है, सभी दुग्ध उत्पाद[2] पशु के रक्त के सीरम से बनते हैं और रक्त तुल्य समझे जाते हैं। रक्त को पहले से ही मांसाहारी पदार्थ का दर्जा प्राप्त है। इसके अतिरिक्त यह व्यवसाय नर बछड़े की मृत्यु का जिम्मेदार बनता है और पशु का दोहन करके उसके बच्चे का भोजन छीनता है। कोई भी पशु आवश्यकता से अधिक भोजन नहीं बनाता है जो आप छीन सको। पशु का जबरन नर पशु द्वारा बलात्कार करवाना (ब्याहना), पशु को जेल के समान वातावरण में रख कर उसे उसके प्राकृतिक आवास से विहीन करना इत्यादि उसका और उसके बच्चे दोनो का उत्पीड़न है।
इसी प्रकार शहद भी मक्खी के अमाशय में पचने के बाद उगला जाता है के कारण उसके शरीर के अवयव उसकी उल्टी रूपी शहद में मिल जाते हैं तथा मानव उनका भोजन छीन कर उनका उत्पीड़न भी करता है अतः वह भी मांसाहार[3] की श्रेणी में आता है।
बैक्टीरिया जिनको अभी तक पादप समझा जाता था वह पादप और जंतु के बीच की कड़ी में रखे गए हैं अभी हाल ही में। परन्तु उनके सर्वाधिक लक्षण पादप से मिलते हैं इसलिये उनको जंतु भी नहीं कहा जा सकता। अतः वे शाकाहारी माने जाते हैं।
मांसाहार से कैंसर का खतरा | |
मानव का शरीर शाक भक्षण के लिये उपयुक्त है और पूर्ण अवशोषण करने में सक्षम है। अतः उसे पशु जगत से कुछ भी लेने की आवश्यक्ता नहीं है। हम यहां किसी की हत्या या किसी जड़ पौधे की पशु से तुलना नहीं कर रहे और न ही किसी जीवन को लेने की बात कर रहे हैं। जिसकी जो खाने की प्रकृति है वह हर जंतु खाता है (मानव को छोड़ कर).
सार यह है जो शरीर की मांग है वह ही शरीर के लिये उचित है। मानव ही अपनी मांग के विपरीत आचरण करता है।
माँसाहार के नुक्सान को जानने के लिये कृपया "what the health" नाम की डॉक्युमेट्री देखें (इंग्लिश)
श्रेष्ठ भोजन
संपादित करेंलेख: Shubhanshu Singh Chauhan Vegan
जो भोजन अपना भोजन स्वतः सूर्य से या भूमि या जल-मृदा से प्राप्त करता हो वह ऊर्जा का प्राथमिक और उपयुक्त स्रोत होता है। बाकी सब सेकेण्डरी स्रोत होते हैं। सबसे अधिक ऊर्जा प्राथमिक भोजन में होती है जो 10% के नियम से कम होती जाती है प्रत्येक भोजन श्रंखला में।
यानि,
उर्जा का प्रवाह | |
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१०% का नियम | |
ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत: सूर्य
>पौधे (सूर्य ऊर्जा का 4% प्रकाश संश्लेषण द्वारा प्राप्त = भोजन का 100%)
>vegan जंतु 10% ग्रहण किया
>प्रथम माँसाहारी जंतु 10% ग्रहण किया
>द्वतीय मांसाहारी जंतु 10% ग्रहण किया
>अपमार्जक (decomposers) 10% ग्रहण किया।
मानव जंगल मे नहीं रहता लेकिन इस फ़ूड चेन में जबरन कहीं से भी घुस जाता है। खुद को सर्वाहारी कहता है लेकिन सर्वाहारी भालू से उसका एक भी लक्षण नहीं मिलता।
सन्दर्भ: थर्मोडायनामिक्स सिद्धान्त[1] जंतु विज्ञान के ऊर्जा का प्रवाह[2] पाठ से।
प्यार के ख़त्म हो जाने के कुछ जायज़ कारण
संपादित करेंलेख: Shubhanshu Singh Chauhan Vegan
यदि प्यार सच्चा है तो विवाह के बाद वह ख़त्म भी हो सकता है। विवाह के एक वर्ष तक तो सब अच्छा रहता है लेकिन इसके पश्चात रिश्तों में बोरियत आ जाती है। फिर पति-पत्नी भाई-बहन के समान लड़ने लगते हैं।
कुछ लोगो को लगता है कि ये खटास बच्चा हो जाने पर चली जाएगी लेकिन ये सिर्फ एक छलावे से ज्यादा कुछ नहीं होता। बच्चा होना वैसा ही होता है जैसे दो पडौसी लड़ रहे हों और अचानक एक बच्चा रोड पर आ जाए तो दोनों झगडा रोक कर उसे बचाने की सोचने लगते हैं।
हाँ, बच्चे के आने से झगड़े रुक सकते हैं लेकिन केवल थोड़ी देर तक। क्योंकि आप व्यस्त हो जाते हैं और किसी निर्दोष को हानि से बचाने की भावना आप के घमंड को कुछ समय के लिए दबा कर रखती है।
हकीकत तो ये है कि अब तो सबसे ज्यादा मौके मिलने लगते हैं एक दूसरे में कमियां निकालने के।
चूँकि बच्चा सर्वोपरि हो जाता है तो हम एक दुसरे की इज्ज़त ताक़ पर रख देते हैं। अगर किसी से भी कोई गलती हुयी तो झगडा तय।
विवाह के साइड इफ़ेक्ट:
बच्चे के आने के बाद सेक्सुअल सम्बन्धों में भी एक ठहराव सा आ जाता है। गर्भावस्था के उस दौर में जब सेक्स सम्बन्ध बनाना असंभव हो जाता है तो सबसे ज्यादा पति भटक जाते हैं। भारत में तो "साली आधी घर वाली" नाम की कहावत भी प्रसिद्ध है।
दरअसल लोग दामाद की सेक्सुअल ज़रूरत को पूरा करने के लिए ही पत्नी की कुँवारी बहन को अपनी बहन की सेवा का बहाना बना कर भेज देते हैं ताकि पति दूसरी जगह सेक्स न करे।
जबकि लड़के के घर में सभी लोग और साधन मौजूद होते हैं जो पत्नी के लिए आवश्यक होते हैं। जैसे ज्यादातर मामलों में लड़के की बहन या माँ।
ये समाज की घिनौनी सच्चाई है कि पहले तो बिना शक्ल दिखाए सेज पर भेजते हैं ताकि पति बलात्कार कर सके और फिर बिना बताये अपनी ही बेटियों का बलात्कार करवाने के लिए उस समय उन्हें पराये पुरुष के घर भेजते हैं जब उसकी पत्नी चलने-फिरने तक से लाचार होती है।
भारत में लड़कियां बनाई ही बलात्कार के लिए जाती हैं।
संपादित करेंबलात्कार[1] का अर्थ है: बलपूर्वक अनजान या जिसको ज्यादा जानते नहीं उस व्यक्ति द्वारा बिना लड़की की इच्छा के या ज्ञान के जबरन सेक्सुअल सम्बन्ध बनाना।
सुहागरात पर पहली ही रात को सेक्स सम्बन्ध बनाना और इस से पहले लड़की को सेक्स के बारे में कोई भी शिक्षा का न दिया जाना बलात्कार ही होता है।
यही वजह है कि पुरुष किसी भी लड़की के बलात्कार को "लड़की की इज्ज़त" से जोड़ कर नहीं देखते बल्कि उन्हें लगता है कि उन्होंने सुहाग रात मनाई है और कहते हैं कि बकरी को खुला छोड़ोगे तो कोई न कोई उसे दुह ही लेगा।
जबकि लड़की पक्ष में ये सब होता है:
आधुनिक जीवन शैली | |
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बेहतर विकल्प | |
लाभ | |
अधिक खुशियाँ | |
1. हमारी लड़की ने शादी से पहले सेक्स कर लिया और अब यह सेक्स का सच जान गयी है और अब किसी से भी कर लेगी।
2. ये बात सब में फ़ैल गई है और उसकी शादी खतरे में है क्योंकि अब लोग रोज़ उसका बलात्कार करने लगेंगे। भारत में किसी भी बदनाम लड़की से विवाह नहीं किया जाता है क्योंकि लड़की पर भरोसा नही होता कि होने वाले बच्चे का पिता कौन है।
3. इसकी वजह से उनकी (माँ-पिता) परवरिश पर भी लोग ऊँगली उठाने लगेंगे। इस आधार पर उसकी बहनों का विवाह भी नहीं हो पायेगा।
इसके इलाज़ के तौर पर परिजन या तो शहर बदल लेते हैं या इस बात को दबा कर रखने का हर संभव प्रयास करते हैं। जिसमें आरोपी की शिकायत न करने से लेकर उसी को रिश्वत देकर चुप करने तक का प्रयास शामिल है। अगर ये प्रयास सफल रहता है तो लड़की को उसकी जल्दी से की गई शादी की सुहागरात से पहले घर से निकलना भी बंद करा दिया जाता है। मतलब जॉब या पढ़ाई दोनों की छुट्टी।
वो जानते है कि भारत में लड़कियां सेक्स करने को खुद कभी नहीं कहेंगी क्योंकि उनको इसके बारे में कोई नहीं बताता।
समाज इसीलिए बंद कमरे में या एकांत में लड़का-लड़की को एक साथ पकड़े जाने पर सेक्स का होना तय मानता है। जबकि ऐसा बिना घटिया मानसिकता के हो ही नहीं सकता।
लड़कियां इतना डरती हैं कि जिसने भी उनसे बलात्कार किया होता है उसी से बार बार ब्लैकमेल होती रहती हैं। धन से लेकर शरीर तक सब लुटाती रहती हैं।
कई बार तो माता-पिता भी इसकी इज़ाज़त दे देते हैं जब कोई दबंग उन्हें ब्लैक मेल करता है।
अब ऐसा ना हो जाए इस डर से लड़कियां जल्द से जल्द शादी के सपने देखती हैं।
इसीलिए भारतीय लोग प्रेमियों को अच्छी नज़र से नहीं देखते। उन्हें डर होता है कि वे आपस में शादी नहीं करेंगे और फिर उनसे कोई भी नहीं करेगा क्योंकि सबने उन्हें साथ में देख लिया है। सामाजिक तौर पर भारत में "लिव इन रिलेशन[2]" को सामाजिक मान्यता मिलना मुश्किल ही है।
प्यार का रहस्य
संपादित करेंलेख: Shubhanshu Singh Chauhan Vegan
प्यार कभी भी शुरू में दोनों तरफ से नहीं होता। ये एक बहुत ही सशक्त मानवीय भाव के कारण शुरू होता है। ये भाव सभी स्वस्थ लोगों में पाया जाता है। ये भाव ही हमें बच्चों और पालतू जानवरों को पालने को मजबूर करता है।
किसी कमज़ोर की मदद करने का भाव ही हमें polygamy[1] होने के बावजूद monogamy[2] बना देता है लेकिन हम मरते दम तक रहते polygamy ही हैं। ये हमारे डीएनए में दर्ज है। यह तब काम आता है जब किसी कारण से हमारे सेक्स पार्टनर की मृत्यु हो जाए या वो सदा के लिए चला जाए तो हम नया साथी ढूंढ सकें।
कुछ लोग मरते दम तक दूसरा साथी नहीं ढूंढते, क्योंकि या तो उन्होंने ऐसा वादा किया होता है या उन्हें लगता है कि उनका मृत साथी अविनाशी आत्मा के रूप में उसके साथ है और उसे बुरा लगेगा।
आप को अगर ऐसा लगता है कि स्त्री-पुरुष के बीच का प्यार ऐसा नहीं होता तो ज़रा जांच कर देखिये कि अगर आप को किसी से प्यार है तो वह इंसान आप को किस वजह से प्यारा है याद कीजिये।
1. अगर उसका चेहरा या शरीर पसंद है तो आप सुन्दरता के प्रेमी हैं उस इंसान के नहीं।
2. अगर आप उसकी बातों या काम को पसंद करते हैं तो आप उसके प्रेमी नहीं बल्कि प्रशंषक (फैन) हैं।
3. अगर आपको धनी और well managed लोग पसंद हैं तो आप इन्सान से ज्यादा धन एवं स्मार्टनेस से प्यार करते हैं।
4. अगर आपको गरीब लेकिन खुश इंसान पसंद है तो आप ज़रूर अपनी अमीरी से तंग आ चुके हैं और ख़ुशी ढूँढने निकले हैं।
5. अगर आप अपने माता-पिता से खुश हैं और दिल से उन्हें याद करते हैं तो ज़रूर आप को उनका भरपूर प्यार मिला है और आपको नहीं पता कि जाने अनजाने आपने उनसे प्यार करने का यह गुण सीख लिया है। अब आप उन्ही की एक प्रतिकृति हैं। अब आप दो तरह से किसी को चाह सकते हैं:
प्रकार | |
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५ प्रकार | |
1. अगर कोई आपको भोला और मासूम समझ कर आपकी परवाह करता है तो आप उसमें अपने माता या पिता को देखने लगते हो और आपको उस से प्यार हो जाता है।
2. अगर आपको कोई मासूम और भोला इंसान दिखाई देता है तो आप के भीतर की माँ या पिता जाग जाते हैं और आपको उस से बच्चे की तरह प्यार हो जाता है।
क्रमांक 5 ही सच्चा प्यार कहलाता है। रोमांटिक भावना तो सेक्सुअल आकर्षण के कारण अपने आप आ जाती है। रोमांटिक होने के लिए सिर्फ करीब आ जाना ही काफी होता है। दरअसल सामाजिक ताने बाने को ऐसे बुना गया है कि लोग आसानी से एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते हैं और करीब आने से बचते हैं।
आज़ आपने जाना कि monogamy एक अस्थायी स्थिति है जबकि polygamy स्थाई।
अब बदलो लड़कियों
संपादित करेंलेख: Shubhanshu Singh Chauhan Vegan
लड़कियोंं, अपने आप को सिर्फ शरीर ही मत बनाओ। आप मस्तिष्क के साथ एक इंसान हैं। अपनी प्रतिभाओं का उपयोग करके। न केवल अपने भविष्य के पति के लिए। दुनिया को खुश करने के लिए प्रतिभा जो आपको प्रसिद्ध बनाती है, अपने मस्तिष्क और उनकी उपलब्धियों पर गर्व महसूस करें। क्या आपको अपना मस्तिष्क कम बुद्धि का लग रहा है?
बस थॉमस एडीसन और अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में सोचो। दोनों आमतौर पर शुरूआत में बेवकूफ थे, लेकिन उन्होंने दुनिया को बुद्धिमानी में पीछे छोड़ दिया। अब पूरी दुनिया उन्हें सम्मान के साथ जानती है।
मुझे दुख है क्योंकि कोई भी लड़की उन जगहों पर नहीं थी। सभी लड़कियां अपने पति के बच्चो की देखभाल करने में व्यस्त थीं। एक अच्छे दिमाग वाली महिला का कितना बड़ा अनादर!
बच्चों को पैदा करना बंद करो[1]। ऐसे कई लोग हैं जो कभी नहीं बदलेगें। आइए हम आबादी को संतुलित करने के लिए प्रजनन का विरोध करते हैं। लेकिन हम कुछ खास कर रहे हैं। हम अधिक जनसंख्या में योगदान नहीं कर वास्तविक परिवर्तन करते हैं। हम जानते हैं कि उत्पाद को नष्ट करने के स्थान पर उत्पादन को रोकना बेहतर है।
आधुनिक समाज | |
विवाह एक हत्यारी संस्था है जिसके लिए निर्मुक्त प्रेम करना अपराध/पाप है तो हम इस हत्यारी/हिंसक संस्था के खिलाफ हैं जहां माता-पिता अपने सम्मान के लिए अपने बच्चों तक को मार डालते हैं। क्या है माता-पिता का प्यार और बच्चों का सम्मान? एक पुरुष की यौन आवश्यकता के लिए चैरिटी में अपने प्यारे बच्चे को देने और उसकी संपत्ति की जिम्मेदारी लेने के लिये बच्चे पैदा करना? खासकर के पुरुष बालक? नहीं किया तो पत्नी नहीं, स्त्री नहीं, इंसान नहीं? पुरुष के अहंकार और स्वार्थ को बढ़ावा देने के लिए स्त्री का बलिदान या बर्बादी एक इंसान और एक खास प्रतिभा की जो दबा दी गई।
दुनिया के कई लोगों को अपने पैरों पर खड़े होने की जरूरत है लेकिन हम अपनर आने वाले बुरे बच्चों के लिए तजोरियों में और बैंकों में धन रख रहे हैं। हम एक समय में एक से अधिक बच्चे की देखभाल नहीं कर सकते। तो अन्य बच्चों के साथ क्या होगा? वे मानवता को नष्ट करने के लिए निश्चित रूप से बुरे इंसान बनेंगे।
समस्या ये है कि ये बुरे लोग, बुरे लोगों को नहीं मार रहे हैं बल्कि वे अच्छे और दुर्लभ लोगों की हत्या कर रहे हैं। तो संक्षेप में, प्रजनन मत करो, हमेशा साथ रहने का वादा मत करो, शादी मत करो, क्योंकि ये सब अनावश्यक हैं। हमारी ज़रूरत है भावनात्मक सहारा और सेक्स, साथ ही प्लेटोनिक प्यार जो हमें जोड़ता है।
स्थिति सामान्य होने की प्रतीक्षा करें। जब बेरोजगारी समाप्त हो जाएगी। बेरोजगारी समाप्त होने पर, भीख माँगने के, चोरी और अपराध के सभी बहाने कम हो जाएंगे या पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे। तब फिर से प्रजनन शुरू कर देना। लेकिन नियंत्रित मात्रा में। 1 बच्चे के रूप में, एक जीवन में।
सुजननिकी[2] को पढ़ें। उसका अनुपालन करें। जब आपकी बुद्धि प्रमाणित हो जाये तो अपने अण्डाणु और शुक्राणुओं को दान करें। मूखों को प्रजनन का हक नहीं होना चाहिए। क्योंकि बुद्धि आनुवंशिक है।
फिर भी शादी न करें, क्योंकि यह संस्था स्वतंत्र प्रेम और बहुसाथी जीवनशैली का समर्थन नहीं करता है जो हमारी जेनेटिक संरचना है जिसे हम चाह कर भी कभी भी नहीं बदल सकते।
नोट: कुछ संस्कृतियों ने 4 महिलाओं की शादी की अनुमति दी थी, लेकिन यह ऐसा नहीं है जैसा कि हम चाहते थे हमें किसी सीमा की आवश्यकता नहीं है हम जन्म मुक्त हैं! हमारी मृत्यु तक!
गृहस्थ जीवन कष्टमय क्यों?
संपादित करेंलेख: Shubhanshu Singh Chauhan Vegan
मैं यह समझा सकता हूँ कि क्यो लोग (प्रेमी जोड़े या पति-पत्नी) एक दूसरे को कुछ समय बाद छोड़ देते हैं!
क्योकि इंसान पोलिगेमस होता है, वैसे 99% सभी जीव ऐसे ही होते हैं तो कुछ नया नहीं है, विवाह का अर्थ सेक्स होता है विज्ञान में और लोगों की राय में भी, तो पोलिगेमस को हिंदी में बहुविवाही कह सकते हैं।
दुनिया मे सबसे सेक्स नहीं किया जा सकता लेकिन जितनो से भी कर लिया जाए ये मानव का प्रयास रहता है।
ये मानव दिमाग मे भरा हुआ है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा किये जायें ताकि मानव जाति या कोई भी जाति (अन्य जीवों के मामले में) बची रहे।
प्रकृति में ये ऐसा इसलिये था क्योंकि जब विवाह नहीं था और साइंस नहीं था तो सब बहुत कम समय तक जी पाते थे। (अन्य जीवों की तरह)
ऐसे में सिर्फ वही प्रजाति बची रह सकी जो ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने में सफल हुई। एवोल्यूशन के दौरान केवल वही मानव जीवित बचे जो सेक्स करने में और बच्चे पैदा करने में ज्यादा सफल हुए।
इन मानवों में सेक्स के प्रति बहुत तीव्र इच्छा थी और इसी कारण ये यहाँ तक पहुच सके। यही तीव्र इच्छा आज के मेडिकल साइंस के कारण जनसँख्या बढ़ाने की ज़िम्मेदार कहलाई क्योकि अब लोग कम मरते हैं
लेकिन इंसान की प्रवर्ति नहीं बदली वह वैसी ही रह गई।
लोगों ने इस प्रवृत्ति को बदलने के लिये मोनोगैमी (एकल विवाह) को अनिवार्य बनाया ताकि समाज मे धन का विनिमय करने के लिये मजदूर मिल सके। समाज को चलाने के लिये मोनोगैमी काम आई और एक व्यक्ति से विवाह बहुत प्रसिद्ध हुआ।
इंसान खाली नहीं बैठ सकता इसलिये उसे कोई न कोई काम चाहिए, कुछ नहीं तो मनोरंजन या गप शप करने के लिये एक साथी। ये बात सिर्फ इंसान के लिये ही सही नहीं है लगभग सभी जीव ऐसा ही करते हैं, उनको भी कोई न कोई चाहिए ताकि अपना फालतू समय काट सकें, जिनको नहीं मिल पाता वे या तो निर्जीव वस्तुओं से मनोरंजन करते हैं, जैसे खेल इत्यादि या वे सोते रहते हैं।
विभिन्न प्रेम रूप | |
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गृहस्थ जीवन | |
इस प्रकार जो आनन्द प्राप्त होता है, उस से सभी के मस्तिष्क से डोपामिन नाम का एक एन्जाइम निकलता है जो एडिक्टिव (जिसकी लत लग जाती है) होता है।
इसी लत को प्यार/love/मोहब्बत/इश्क/प्रेम कहते हैं। ये किसी भी चीज से हो सकता है। जिससे भी आनन्द की प्राप्ति हो। आवश्यकतानुसार इसमें भेद भी उत्तपन्न हुए और जब मानव समाज रिश्ते बना रहा था तो उसने प्रेम को तरह-तरह के भेदों में बांट लिया।
माता-पिता का प्यार, भाई-बहन का प्यार, रिश्तेदारों का प्यार, दोस्तों का प्यार, शिक्षक और विद्यार्थियों का प्यार और सबसे महत्वपूर्ण, रोमांस वाला प्यार (विश्व प्रसिद्ध)।
प्रारम्भ में केवल विपरीत लिंग के लोगों में ही रोमांस सम्भव माना जाता था परंतु कालांतर में इसके अन्य भेद भी सामने आए। जैसे LGBTQ।
इन सभी रोमांटिक प्रेमों के खिलाफ धर्म और कानूनों ने व्यापक मुहिम छेड़ दी।
खरबों जोड़ो को मार डाला गया, उनके ही, अपने घरवालों के द्वारा, या जो जोड़े नहीं मार पाए गए, उनको बाकायदा पापी घोषित करके धर्म के ठेकेदारों ने कत्ल कर दिया।
क्यो?
बहुत कड़वा जवाब है इस क्यो का। जानने से पहले खुद को मजबूत कर लो।
तो चलो कुछ सवालों का जवाब ढूंढते हैं पहले:
विवाह जो समर्थन प्राप्त संस्था है, उसकी कॉमन विधि क्या है?
1. अपनी ही जाति और स्टेटस वाले, सुदंर चेहरे वाले या उनसे ऊपर के खानदान से बात चलाई जाती है।
2. यदि बात नहीं बनती तो कम से कम में जो भी मानक पूरे करता हो उसके साथ रिश्ता पक्का किया जाता है।
3. धन का लेनदेन शुरू।
4. विवाह के उम्मीदवारों से या तो कुछ नहीं पूछा जाता है या कुछ लोग (जो खुद को आधुनिक कहते हैं) फ़ोटो दिखा कर या आमने-सामने बिठा कर परिचय करवा देते हैं।
5. फिर उचित समय निर्धारित करके, विवाह समारोह आयोजित किया जाता है जिसमे ज्यादा से ज्यादा लोगों को, अपना स्टेटस दिखाने और जान पहचान बढ़ाने के लिये, तथा नेग/उपहार रूपी धन की वापसी की उम्मीद में, बुलाया जाता है।
इनकी आव भगत की जाती है, वर पक्ष और वधू पक्ष के तमाम लोग इस तमाशे में शामिल होते हैं। जिनको भोजन कराने, ठहराने, घुमाने, लाने और ले जाने की व्यवस्था मेजबान करता है। भारी धन हानि। सूट बूट में तोंद वाले लोग आकर गरिष्ठ और महंगा भोजन भकोसते हैं और भरी हुई प्लेट कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं।
6. इस सब के बाद या पहले (परम्परानुसार) विवाह की रस्म होती है। जिसमे कोई धार्मिक पुजारी/काजी/मुल्ला/पादरी आकर वर और वधु को सैकडों लोगों की मौजूदगी में जीवन भर साथ रहने की शपथ दिलवाता है और ईश्वर का डर दिखाता है कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो बुरा होगा। सभी लोग इस agreement के गवाह बनते हैं और आज कल तो इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी करा ली जाती है कि कहीं दोनों में से कोई भाग निकला तो पकड़ा जा सके।
इतनी बड़ी परियोजना केवल 2 लोगों के बच्चे पैदा करने के लिये? नहीं मित्रों, बहुत बड़ी साजिश है इसके पीछे।
ये सब इसलिये ताकि कोई भी अपनी मर्जी से विवाह न कर ले। एक विवाह एक व्यापारी के लिए विज्ञापन, एक कारपोरेट के लिये नए व्यापार के लिये रास्ते खोलने वाला और बड़े लोगो से सम्पर्क बनाना हो सकता है।
धर्म को क्या फायदा है? जितने ज्यादा कमाने वाले होंगे उतना ज्यादा दान। उतने ज्यादा नामकरण, यग्योपवीत संस्कार, मुंडन, इत्यादि 16 संस्कारों में धन कमाने का अवसर। और फिर खानदानी लॉयल्टी।
अब अगर उन माता-पिता के बच्चे खुद ही अपना जीवन साथी चुन लेंगे तो उनके इस प्लान का क्या होगा?
भारत के परिपेक्ष्य में:
वधू पक्ष: कितने निष्ठुर हैं न ये माता पिता? एक तो लड़की को घर से विदा कर दिया जबरन और फिर रोने का नाटक भी?
वर पक्ष: एक तो लड़की ले आये दूसरे की खा पी कर, साथ में पैसा भी ले आये, फिर भी dowry चाहिए? नहीं दें तो?
1. लड़की केरोसीन stove से जल मरी। दुर्घटना हैं।
2. लड़की ने जहर खा लिया। कायर है।
3. लड़की के फांसी लगा ली। चाय में चीनी डालने को कह दिया, इतनी सी बात पर नाराज हो गई थी।
4. नई शादी
5. Repeat
यदि दहेज की मांग पूरी करते रहे:
वधू पक्ष:
1. गरीबी में जीवन।
2. अपनी ही लड़की को कोसना।
3. किस्मत को कोसना।
4. अपने लड़के की शादी में 2 गुना दहेज माँगूँगा तब जा कर कुछ आराम मिलेगा।
उधर वर-वधु का जीवन:
पति:
1. तू लाई ही क्या थी? ये दो कौड़ी का सामान?
2. तेरे बाप ने तुझे यही सिखा पढ़ा के भेजा है कि तू हमसे जुबान लड़ाती है?
3. अब तेरे में वो पहले वाली बात नहीं रही, अब तेरे साथ मज़ा नहीं आता।
4. आफिस में अपनी जूनियर को पटाऊंगा। वो नया माल लगती है।
5. अब मस्त ज़िंदगी है, घरवाली और बाहरवाली दोनों होनी चाहिए।
सास:
1. अरे करमजली, फिर दूध जला दिया, यही सिखा कर भेजा है तेरी माँ ने?
2. अरे नास पीटी, तुझ से कहा था कि मुझे नाश्ता टाइम पर चाहिए, अभी तेरे बाप को बुलाती हूँ ठहर जा।
3. अरे ये पोछे का पानी अब तक नहीं सूखा? अभी मैं गिर जाती तो? मार डालने का प्लान है।
4. फिर लड़की? लड़का कब देगी तू डायन?
ससुर:
1. बहू, ज़रा मेरा भी थोड़ा ध्यान रख लिया कर, तेरी सास तो कुछ करती नहीं है, तू आ गई तो लगा कि जीवन आराम से कट जाएगा, मेरे कपड़े, सामान वगेरह का ध्यान तुमको ही रखना है अब।
बहू:
1. एक आदमी से शादी की थी, ये तो पूरा कुटुंब ही पल्ले पड़ गया। क्या क्या कर लूँ अकेले मैं?
2. इज़्ज़त तो कोई है नहीं, नौकर बन कर जीना पड़ रहा है।
3. लड़का क्या पड़ोस से कर लूं? जो होगा वही तो मिलेगा? में क्या जानू पेट मे क्या पल रहा है?
4. मैं कहाँ फंस गई?
5. वो पी कर आते हैं, 1 मिनट से ज्यादा सम्भोग नहीं करते, में तड़पती रहती हूं।
6. देवर की नज़र मेरे ऊपर है, अब तक खुद को रोका लेकिन अब कहीं फिसल न जाऊं।
7. पड़ौस का लड़का बहुत लाइन मारता है, इधर मुझे ये खुश कर नहीं पाते, कहीं मन बहक न जाये।
8. अब क्या कर सकती हूं, ऐसे ही जीना है अब मुझको। चुप रहूंगी।
ऑफिस की जूनियर:
1. Sir ने मेरा रेप किया। किस से कहूं? सहेली से कहती हूँ।
2. पागल हो गई क्या? वो तेरे से मजे ले रहा है तो लेने दे, मैंने भी यही झेला है। कुछ कहेगी तो demotion करवा देगा या निकलवा देगा, कॉन्ट्रासेप्टिव लेती रहना। सब ठीक होगा। किसी से कहना मत, नहीं तो सब तुझे ही गलत कहेंगे। सोसायटी लड़कियों को जॉब करते नहीं देख सकती, उनके लिये तो हम हमेशा धंधे वाली ही रहेंगे। और तुझे करना क्या है? शादी ही न? कर देगा तेरा बाप।
परिणाम: विवाह सफल! बधाई हो। लड़का हुआ है। गुलामी स्वीकार कर लो तो कोई दिक्कत नहीं है। लड़की समाज के पांव की जूती ही तो है।
विरोध किया तो? समस्या शुरू। यहीं से सब दिक्कत शुरू है। समाज कहता है कि विरोध मत करो।
तो मत करिए, यही चाहते हैं न आप सब भी?
इस सब का विरोध शुरू से क्यों नहीं हुआ? क्योकि इसको चलाने में धर्म का बहुत बड़ा हाथ था जिसके डर से लोगों ने विरोध नहीं किया।
लड़की की अब लाश ही वापस आएगी।
पति का घर ही अब उसका घर है।
इसी तरह लोग अपनी वास्तविक पृवृत्ति को छुपा कर जीने लगे, अपने पोलिगेमस होने को दबाए रहे, लेकिन समय बदला और इसके बुरे परिणाम सामने आने लगे, क्योकि इंसान अपनी प्रवर्ति को नहीं बदल सकता और बलात्कार का आविष्कार हुआ।
विवाहेतर सम्बन्ध, बलात्कार और हत्या सब अवैध कहलाने के डर से चुप चाप होने लगीं।
समाज के ठेकेदारों ने इस पर सजा रख दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, बलात्कार के बाद सज़ा के डर से लड़की को मारा जाने लगा, यानी सज़ा से फायदे के स्थान पर नुकसान हो गया।
आज भी यही हो रहा है, दिल्ली रेप केस में ज्यादातर लड़के शादी शुदा थे। जो नाबालिग थे उनको शादीशुदा लोग भड़काते और उकसाते हैं। कहते हैं, नहीं करेगा? मर्द नही है साला।
शादी शुदा जीवन तो पत्नी का बलात्कार ही होता है 90%। कितनी पत्नियां होंगी जो खुद पति से आकर कहती हैं, "ऐ जी बहुत मन कर रहा है आज, चलो कमरे में।"
हमेशा पति ही अपनी इच्छा पूर्ति करता रहता है, महिला तो कह तक नहीं पाती। और यदि कहे तो? रंडी है, छिनाल है। पति भी कौन सा स्टैमिना वाला होता है, 1 या 2 मिनट में out। मौसम की तरह। जब मौसम का मजा आने लगता है तभी खत्म।
जो लोग बलात्कार नही कर सकते थे वो "महिला मित्र-पुरुष मित्र" खेलने लगे। वैसे इसमें भी पहले दिन बलात्कार होता ही है। इसे डेट रेप कहते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ये बलात्कारी प्यार का वास्ता देकर मना लेता है, जबकि दूसरे बन्दूक दिखा कर या ब्लैकमेल करके।
जब मुझे ये सब पता है तो मैं प्यार का नाटक नहीं करता, जिसके साथ सेक्स का मन है उस से सेक्स करो और जिस से प्यार करना है उस से प्यार करो। दोनों को मिलाने से ही क्लेश और अपराध होते हैं। सेक्स लोयल्टी की निशानी नहीं होता, लेकिन प्यार होता है।
इतना गन्दा समाज, इतना घटिया सिस्टम, इतने घटिया लोग। फिर क्यों न मैं साथ दूँ लिव इन रिलेशनशिप का? कोई दखल नहीं दूसरे का। आज़ादी, दो लोगों का व्यक्तिगत सम्बन्ध। ये उनके लिए जो बच्चे चाहते हैं।
माता-पिता अपनी देखभाल के लिये नौकर रख लें और स्वीकार लें इस सम्बंध को। नौकर जिसकी पुलिस पड़ताल हो चुकी हो।
जो Antinatalist Vegans[1] हैं, वे Free-sex[2] का concept पढ़ें और सेफ सेक्स[3] और प्यार को कायदे से मैनेज करें।
डिस्क्लेमर: मेरी व्यक्तिगत सोच, किसी को बाध्य नहीं किया गया है। वही करें जो दिल कहे। धन्यवाद।