हरिपाड के राजा
सुब्रमन्यस्वामी का मंदिर

हरिपाड भारत के अलाप्पुझा जिले में, केरल की एक नगर पलिका है। हरिपाड और कोल्लम के बीच वाले राष्ट्रीय हाइवे ६६ पर स्थित है।

भौगोलिक स्थिति

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हरिपाड के निर्देशांक हैं: अक्षांश: 9°18′0″N और देशान्तर: 76°28′0वा″E है। यह पूर्व की ओर से पल्लीपाड के साथ सीमा रखती है, यह उत्तर की ओर से वीयापुरम और करुवतट्टा के साथ सीमा रखती है, यह पश्चिम की ओर पर कुमारपुरम और महादेवीकादडु के साथ सीमा रखती है और यह दक्षिण की ओर से ननगजियारकुलंगरा के साथ सीमा रखती है। हरिपाड अरबियाई समुद्र के करीब है और हरीपाड मवेलिकारा और थ्रीककुनप्पुझा को जोड़ता है।

हरिपाड को कला, कलाकार, साँप नौकाओं, संगीत, नृत्य,नाटक की भूमि के रूप में जाना जाता है। हरिपाड की 'पयिपाड जलोलसवम' एक मुख्य विशेषता है जो परदेशी लोगों को भी आकर्षित करती है।

नाम का मूल

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यहाँ यह माना जाता है कि इधर के मंदिर के भगवान सुब्रमण्यम जिस की पूजा की जाती है, वह कंडलूर से साँप नौकाओं और वाल्ला सद्या के अनुरक्षण के साथ लाया गया था। राजीव गांधी संयुक्त चक्र बिजली संयंत्र हरिपाड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है। हरिपाड को अपना नाम 'अरिपाड' से मिला ( अरि का अर्थ 'चावल' है ) ।

जनसंख्या

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२०१० के जनगणना के अनुसार हरिपाद की आबादी १६,४४५ है।

इतिहास और धर्म

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पुराने ज़माने में हरिपाड में बौद्ध धर्म निखारा करता था। यह कहा जाता है कि बुद्ध विश्वविद्यालय 'स्रीमूलवासम' हरिपाद में ही स्थित थी। मावेलिकरा में बुद्धा कि प्रतिमा इसका सबूत है कि यहाँ बौद्ध धर्म की उपस्थिति थी। मावेलिकरा के मंदिरों में यह भी देखा जा सकता है कि वहाँ बरगद के पेड़ दिखाई देते हैं। सन १९२१ में हरिपाड को म्युनिसिपल नगर की स्थिति दी गई थी। तथापि, सन १९४१ में हरिपाड को ढाल किया और सन १९५१ में हरिपाड को एक पंचायत बना दिया था। सन २०१५ में हरिपाड को फिर एक म्युनिसिपल नगर बना दिया था। श्रीमती सुधा सुसीलन हरिपाड म्युनिसिपल नगर की पहली अध्यक्ष बनी। हरिपाड की रेलवे स्टेशन नगर के बीच में है। हरिपाड से सबसे निकटतम हवाई अड्डा कोच्चि में है जो हरिपाड से तीन घंटे दूर है। पश्चिमी भारत में स्थित होने के कारण गर्मी के मौसम के दौरान यहां बहुत गर्मी होती है और बहुत नमी भी होती है। बारिश का मौसम अप्रैल और मई में होता है। हरिपाड में सबसे श्रेष्ठ समय नवंबर से मार्च के समय में होता है। हरिपाड तट के बहुत पास है। इसकी वजह से हरिपाद में बहुत बारिश होती है। हरिपाड में २ बहुत प्रसिद्ध मंदिर हैं; भेस और मन्नारसाला मंदिर। हरिपाड में जो सुब्रह्मण्यम स्वामी का मंदिर केरल मेंसबसे पुराने मंदिर में से एक है। यह मंदिर भगवान सुब्रह्मण्यम स्वामी को समर्पित करते निर्माण किया गया था। कहा जाता है कि यह मंदिर कलि युग के शुरु होने से पहले स्थापित हुआ था और कहा जाता है कि यह मंदिर मकर मास के समय स्थापित हुआ था। यह भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु एक साधू के भेस में आए और उन्होनें ही इस मंदिर को स्थापित किया। हरिपाड का सुब्रह्मण्यम स्वामी का मंदिर केरल में सबसे बड़े मंदिर में से एक है। हरिपाड का सुब्रह्मण्यम स्वामी का मंदिर हर साल तीन त्योहार मनाता है। यहां का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार चित्र उल्सावम है जो विशु के पहले दिन शुरु होता है और १० दिन मनाया जाता है। मन्नारसाला एक नाग देवता का मंदिर है जो हरिपाड के बहुत करीब है और सारे मंदिरों की तरह, मन्नारसाला भी पेड और हरियाली से ढका हुआ है। इस मंदिर के अंदर के रास्ते के साथ यहां करीब ३०,००० साँप के तस्वीरें हैं। यह केरल में इस तरह का सबसे बड़ा म्ंदिर है। जिन महिलाओं को उपजाऊपन की तमन्ना होती है, वह सब मन्नारसाला मंदिर के नाग देवता के पास आते हैं और उनसे दुआ करते हैं और वादे भी करते हैं। हरिपाड में जो श्री रामकृष्ण आश्रम है, वह केरल के राज्य का सबसे पहला रामकृष्ण आश्रम है। यह रामकृष्ण आश्रम सन १९१३ में स्थापित हुआ था। हरिपाद कार्तिकपल्ली तालुक का मुख्यालय है, जिसमें चेप्पाड, चेरुताना, चिंगोली, हरिपाड, कंडलूर, महादेवीकाड, करुवतट्टा, कायमकुलम, कृष्णापुरम, कुमारपुरम, पल्लीपाड, पुथुपल्ली और वीयापुरम भी इसमें शामिल हैं। हरिपाड में एक तालुक अस्पताल है जहाँ पर बहुत सारे विशेषज्ञाएँ है। यहाँ जल्दी एक चिकित्सा महाविद्यालय के स्थापित होने की बातें भी हो रही है।

{{टिप्पणी सूची}}

https://en.wikipedia.org/wiki/Haripad

http://www.haripad.in/about-haripad/

http://www.haripad.in/history-of-haripad/