कल्याश्शेरी (കല്യാശ്ശേരി) अथवा कुऱुन्ताऴा (കുറുന്താഴ) केरल के कण्णूर जिले के एक प्रान्त हैं । कल्याश्शेरी या कोलत्तुवयल का इतिहास कोलत्तुनाडु (കോലത്തുനാട്) के कोलत्तिरि राजा के राजशासन काल से शुरु हुआ है । कोलत्तुवयल कोलत्तिरी के भूमि थे । उसके बाद अऱय्कल राजा से युद्ध करने में सहायता किए चन्द्रोत्त कण्णन को सौपा गया । वह भारत को स्वतंत्रता मिलने तक कोलत्तुवयल की ज़मींदार थे । कण्णन्नूर इंजिनियरिंग कॉलेज से शुरु होते एक नाला, कण्डन् चिऱॅ तोडु (കണ്ടൻചിറ തോട്) कोलत्तुवयल पर जाते हैं । १९०९ तक कोलत्तुवयल के ९६% भाग धानखेतों से भरे थे । पर आज उसकी ८०% खेत नारियल कृषि के लिए उपयोग करते हैं ।