विकासात्मक मनोविज्ञान संपादित करें

विकासात्मक मनोविज्ञान एक वैज्ञानिक अध्ययन है जो मनुष्य के जीवन मे हो रहे परिवर्तन के बारे मे बताता है। मूल रूप से यह शिशुओं और बच्चो से संबंध रखता है पर इस क्षेत्र मे किशोरावस्था, वयस्क विकास, उम्र बढ़ने और पूरे जीवनकाल को भी किया गया है। विकासात्मक मनोविज्ञान के तीन लक्षय हैं- विकासात्मक को वर्णन करना, समझाना और अनुकूलन करना। एरिक एरिक्सन एक प्रभाविक मनोविज्ञानी हैं जिन्होंने मनोसमाजिक विकास के बारे मे अध्ययन किया है। सिगमंड फ्रायड दूसरे प्रसिदध विकासात्मक ममनोविज्ञानी हैं जिन्होंने मनोसामाजिक विकास के बारे मे अध्ययन किया था। मानव जीवन का मनोवैज्ञानिक विकास पर चर्चा करने के लिए एरिक एरिकस ने मनोसामाजिक विकास के अपने चरणों का प्रसताव दिया। विकासात्मक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की शाखा मानी जाती है।

मानसिक विकास के चरण संपादित करें

(१) प्रसव पूर्व विकास संपादित करें

शीघ्र मानसिक विकास को समझने के लिए मनोविज्ञानिको को प्रसव पूर्व विकास मे चाह है। कीटाणु मंच, भ्रूण अवस्था और भ्रूण चरण प्रसव पूर्व विकास के तीन मुख्य चरण है। कीटाणु चरण की आरम्भ २ सप्ताह तक गर्भाधान मे हो जाती है। भ्रूण अवस्था का मतलब है विकास २ सप्ताह से ८ सप्ताह तक और भ्रूण चरण बच्चे के जन्म तक नौ सप्ताह का प्रतिनिधित्व करता है। होश गर्भ मे ही विकसित हो जाता है। दूसरी तिमाही(१३-२४ सपताह) मे होने तक एक भ्रूण दोनो देख और सुन भी सकता है। स्पर्श की भावना भ्रूण चरण (५-८ सप्ताह) मे विकसित हो जाता है। मस्तिष्क के ज्यादा तर न्यूरान्स दूसरी तिमाही तक विकसित हो जाता है। कुछ मौलिक सजगता भी जन्म से पहले ही पैदा हो जाते है और नवजात शिशुओ मे मौजूद भी रह्ता है। अल्ट्रासाउंड मे दिखाया जाता है कि शिशु गर्भ के अंदर आंदोलन कर सकते है। ज्न्म के बाद शिशु अपनी मॉ की आवाज़ को सुन और समझ भी सकता है। अनैध ड्रग्स, तमबाकू, शराब, पर्यावरण प्रदूषण लेने से मॉ और शिशु दोनो को नुकसान पहुच सकता है और कई पर्यावरणीय एजेंडो जन्म के पूर्व की अवधि के दौरान नुकसान पहुचा सकता है।

(२) शैशव संपादित करें

 
HumanNewborn

जन्म से पह्ले वर्ष तक बच्चा शिशु माना जाता है। ज़्यादा तर सारे नवजात शिशु अपना समय सोने मे निकाल देते है। शिशु दिन रात सोते है पर कुछ महीने गुज़र जाने के बाद शिशु आम तौर पर प्रतिदिन सोता है। शैशव अनुभूति के ऊपर थोडी दृष्टि डालते है। शैशव अनुभूति का मतलब जो नवजात शिशु देख सकता, गंध, स्वाद और स्पर्श , सुन सकते हैं। ज़्यादा तर शिशुओ की दृष्टि वयस्क बच्चो से खराब होती है। शिशुओ की दृष्टि प्रारंभिक दौर मे धुँधली होती है पर समय के साथ सुधरने लगती है। छह महीने हो जाने के बाद शिशु की दृष्टि अच्छी हो जाती है।सुनवाई दृष्टि के विपरीत, जन्म से पूर्व अच्छी तरह से विकसित है। शिशुओ एक ध्यानि से आती दिशा को पता लगाने मे काफी अच्छे है और १८ महीने से उनके सुनने की क्षमता एक वयस्क के लगभग बराबर है।नवजात शिशु गंध और स्वाद वरीयताओ के साथ जन्म लेता है। शिशु अलग अभिव्यक्ति दिख्लाता है जब उसको सुखद या अप्रिय गंध और स्वाद से प्रसतुत कराया जाता है। स्पर्श और महसूस करना दोनो एसी समझ है जो पहले गर्भ मे विकसित हो जाती है।भाषा विकास: नवजात शिशु मानव के सभी भाषाओं की लगभग सभी ध्वनियों भेदहभाव करने की क्षमता के साथ पैदा होते है। छह महीने के आसपास के सारे शिशुओ अपनी भाषा मे स्वनिम के बीच अंतर कर सकते है पर अलग भाषाओं मे स्वनिम के बीच अंतर नही कर सकते। इस अवस्था मे शिशु प्रलाप करना शुरू करते हुए स्वविम का उत्पादन करते है। शिशु अनुभूति: शिशु की अनुभूति को समझने के लिए 'जीन पियाजेट' एक प्रसिद्ध नामक विकासात्मक मनोविज्ञानी ने अनुभूति विकास के सिदधांत लिखे है। पियाजेट के अनुसार शिशुओ को दुनिया कि समझ और अनुभूति मोटर विकास के द्वारा हो सकती है और इसी के साथ वस्तु को छूने या पकडने से शिशु को वस्तु के बारे मे पता चलता है। पियाजेट यए भी कह्ते है कि शिशुओ को १८ सपताह से पह्ले वस्तुओ कि कोई समझ नही होती बल्कि शिशु उस वस्तु को बार बार देखने और समझने की कोशिश करता है।

 
Redheaded child mesmerized 2

(३) शिशु अवस्था संपादित करें

जब शिशु एक या दो वर्ष के हो जाते है तो उस विकासात्मक चरण को शिशु अवस्था कहते है। कैसे चलना, बात करना और कैसे अपने बारे मे निर्णय लेना है, शिशुओ इस चरण मे सीखना शुरू करता है। इस चरण मे शिशुओ की भाषा मे विकास होता है। आसपास के लोगो से संवाद करने और अपनी भावनाओ को दिखाने के लिए मुखर आवाज़, बड्बडा और अंत मे शब्दो का प्रयोग करते है।

(४) बचपन संपादित करें

 
two friends

बचपन मानसिक विकास का चौथा चरण माना जाता है। इसको 'खोजपूर्ण उम्र' और 'खिलौना उम्र' भी कहा जाता है। जब बच्चे बढ़ते है तो उनके अतीत अनुभवो से उनके जीवन का आकार होता है और दुनिया को समझने की क्षमता मिलती है। तीन वर्ष से ही बच्चों की भाषा का विकास होता है। बच्चे ९००-१००० अलग शब्द और हर दिन १२००० शब्दो का उपयोग करता है। छह वर्ष होने तक बच्चा २,६०० शब्द का उपयोग करता है और २०,००० शब्दो को समझते है। बच्चो की समझने की क्षमता इस वर्ष तक बढ़ जाती है और विधालय जाने से उसको बहुत कुछ सीखने को मिलता है। बच्चे इस उम्र मे आसानी से दोस्त बना लेते है। भाषा विकास होने से बच्चो को ज्ञान और कौशलता भी प्राप्त होता है और अपने लोगो से र्वातालाप करने और समझने मे आसानी होती है। ब्च्चे लोगो को पहचानने लगते है। बच्चो के अच्छे या बुरे व्यवहार मे परवरिश शैली और उसके आसपास के वातावरण का बडा योगदान होता है। मध्यम बचपन या बालपन : ९ वर्ष - ११ वर्ष के बच्चे मध्यम बालपन के कहलाते है। बच्चो का मोटर विकास जारी रहता है। इस चरण मे बच्चो को स्थानिक अवधारणाओ, करणीय संबंध, वर्गीकरण, अधिष्ठापन और वियोजक कारणो और संरक्षण मे समझने की क्षमता बढ़ जाती है। बच्चो मे लिखने की क्षमता पठन करने से ही बढ़ती है। इस चरण मे बच्चो के लिए अपना आत्म स्म्मान बहुत महत्वपूर्ण लगता है। पैतृक प्रभाव और साथियों का दबाव बच्चो के मानसिक विकास पर असर डालता है। मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण चरण बचपन है।