[1] [2]

सन्दर्भ संपादित करें

नारी द्वारा हमरा अस्तित्व हे पर नारी के अस्तित्व की बात की जाए तो शायद ही किसी के पास इस का कोई भी उत्तर नहीं। नारी के रूप मिल जाएगे बहुत पर क्या उन रूपों को हम अपने जीवन में कोई स्थान देते हे। अपने दिल में नारी के लिए सम्मान रखते हे। नहीं, तो इसे जीवन के अस्तित्व को समाप्त करदो क्योकि जिससे आपका अस्तित्व हे उसी के लिए अपने ह्रदय में सम्मान और प्यार नहीं.

नारी, महिला स्त्री कितने शब्दों से हम सम्भोदित करते हे। और इनको जीवन में माँ, बहन बेटी दोस्त पत्नी जेसे संबंधो द्वारा हमको प्यार मिलता हे और प्यार के साथ ही इनका हमे जीवन में सहयोग भी मिलता हे। किसी ने कहा हे की माँ सबकी जगह ले सकती हे लेकीन माँ की जगह कोई नहीं ले सकता और माँ ही स्त्री जीवन हे अहम् भूमिका में हे जिसके बिना इस संसार का अस्तित्व ही नहीं। नारी के जीवन को देखा जाए जो नारी कर सकती वो शायद कोई भी न कर पाए।   समर्थन आज के समय में नारी को एक तरफ सोशल मिडिया द्वारा सम्मान मिलता हे और दूसरी और अशिक्षित लोगो द्वारा इनके अस्तित्व का हरण हो रहा। यहा अशिक्षित लोगो का तात्पर्य जो विध्यालय द्वारा ज्ञान प्राप्त से नहीं अपितू जो नारी को सम्मान की नज़र से न देख पाए उससे हे। एसी शिक्षा का क्या लाभ, जिससे हमरे जीवन का अस्तित्व ही हे उसी का हम सम्मान न कर पाए। सोशल मीडिया पर प्यार या सम्मान दिखने से नारी का सम्मान नही होता ओर न ही किसी मंदिर या पूजा स्थल पर जाकर उनका वंदन करने से हे। अगर सच में सम्मान करना चाहते हो तो नारी को दिल से सम्मान दो उसने बात या उनको देखने का नजरिया बदलो। क्योकि नारी को शक्ति बनने पर विवश न करे यदि वो शक्ति का रूप में परिवरित हुए तो विनाश का एक अलग ही रूप देखने को मिलेगा। बदलते समय में नारी के रूप में भी परिवर्तन हुआ जहा नारी प्यार, ममता की मूरत कहा जाता हे तथा समय आने पर शक्ति का रूप में देखा गया हे। वही अब नारी ने भी समय के साथ अपने व्यव्हार को परिवर्तित किआ हे। जेसे सभी एक सामान विचार वाले नहीं होते हे उसी प्यार नारी में भी यह बदलाव होते हे।   विरोध ममता प्यार जेसी देवी मदर टेरेसा को सभी जानते हे और अब दुसरे क्षेत्र में भी देखा जाए हमारी सुषमा स्वराज, मेरी कोम, जेसी नारी का जो भारत का सम्मान उच्च स्तर पर ले गयी हे। और दूसरी और नारी का एक अलग ही रूप मिलेगा जिसमे लालच इत्यादी का वास होता हे अब सबाल ये हे की एसी स्थिति में नारी को सम्मान दिया जाए या नहीं। इसका कुछ कहना गलत नहीं होगा कुछ भी नारी के साथ कभी गलत न करे जो भी करे अपनी मर्यादा में रहकर क्योकि बो एक नारी और नारी को देवी कहा गया हे। कुछ मजबुरियो से भी नारी गलत व्यव्हार अपनाने को विवश हो सकती हे। नारी को कोई नहीं समझ सकता. लोगो अपनी माँ जो अपने संतान को केसे केसे इस लायक बनाती हे की वो दुनिया के सामने खड़ा हो सके। संतान कुछ भी गलत करती हे फिर भी माँ के ह्रदय में संतान के प्रति प्यार ममता कम नहीं होती न ही वो उससे दूर जाने को सोचती परतु आज के समय में अधिकांश संताने अपने माँ को अपने ह्रदय का एक नुकीला शूल समझते हे। अरे नासमझो किन शब्दों और केसे समझाऊ माँ नहीं तो कुछ भी माँ से ही संसार हे।

103.74.70.138 (वार्ता) 12:13, 9 मार्च 2019 (UTC) रोहित कुमार राठौर (मि० संस्कारी)उत्तर दें

  1. नारी तेरे रूप
  2. नारी तेरे रूप